इमली के औषधीय गुण Tamarind benefits hindi meaning
9 January 2016
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इमली Tamarind - से हम सब परिचित हैं अरबी: تمر هندي तामर हिन्दी "भारतीय खजूर इमली के वृक्ष काफी ऊँचे होते हैं तथा सघन छायादार होने के कारण सडकों के किनारे भी इसके वृक्ष लगाए जाते हैं | इमली का वृक्ष उष्णकटिबंधीय अफ्रीका तथा मेडागास्कर का मूल निवासी है | वहां से यह भारत में आया और अब पूरे भारतवर्ष में प्राप्त होता है |
इसका पुष्पकाल फ़रवरी से अप्रैल तथा फलकाल नवंबर से जनवरी तक होता है | इसके फल में शर्करा , टार्टरिक अम्ल , पेक्टिन , ऑक्जेलिक अम्ल तथा मौलिक अम्ल आदि तथा बीज में प्रोटीन , वसा , कार्बोहायड्रेट तथआ खनिज लवण प्राप्त होते हैं |यहाँ से ईरान तथा सऊदी अरब में पहुंचा जहाँ इसे तमार - ए - हिन्द ( भारत का खजूर ) कहते हैं
यह कैल्शियम , लौह तत्व , विटामिन B ,C तथा फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है | चूँकि इमली खट्टी होती है अतः इसे भिगोने के लिए कांच या मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाना चाहिए |
इमली benefits hindi के फायदे ब गुण
१ - १० ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर , मसल - छानकर , शक्कर मिलाकर पीने से सिर दर्द में लाभ होता है |
२ - इमली को पानी में डालकर , अच्छी तरह मसल - छानकर कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है |
३ - १० ग्राम इमली को १ लीटर पानी में उबाल लें जब आधा रह जाए तो उसमे १० मिलीलीटर गुलाबजल मिलाकर , छानकर , कुल्ला करने से गले की सूजन ठीक होती है |
४ - इमली के दस से पंद्रह ग्राम पत्तों को ४०० मिलीलीटर पानी में पकाकर , एक चौथाई भाग शेष रहने पर छानकर पीने से आंवयुक्त दस्त में लाभ होता है |
५ - इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप लगाने से मोच में लाभ होता है |
६ - इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है |
७ - गर्मियों में ताजगी दायक पेय बनाने के लिए इमली को पानी में कुछ देर के लिए भिगोएँ व मसलकर इसका पानी छान लें। अब उसमें स्वादानुसार गुड़ या शक़्कर , नमक व भुना जीरा डाल लें। इसमें ताजे पुदीने की पत्तियाँ स्फूर्ति की अनुभूति बढ़ाती हैं , अतः ताजे पुदीने की पत्तियाँ भी इस पेय में डाली जा सकती हैं
इमली Tamarind - से हम सब परिचित हैं अरबी: تمر هندي तामर हिन्दी "भारतीय खजूर इमली के वृक्ष काफी ऊँचे होते हैं तथा सघन छायादार होने के कारण सडकों के किनारे भी इसके वृक्ष लगाए जाते हैं | इमली का वृक्ष उष्णकटिबंधीय अफ्रीका तथा मेडागास्कर का मूल निवासी है | वहां से यह भारत में आया और अब पूरे भारतवर्ष में प्राप्त होता है |
इसका पुष्पकाल फ़रवरी से अप्रैल तथा फलकाल नवंबर से जनवरी तक होता है | इसके फल में शर्करा , टार्टरिक अम्ल , पेक्टिन , ऑक्जेलिक अम्ल तथा मौलिक अम्ल आदि तथा बीज में प्रोटीन , वसा , कार्बोहायड्रेट तथआ खनिज लवण प्राप्त होते हैं |यहाँ से ईरान तथा सऊदी अरब में पहुंचा जहाँ इसे तमार - ए - हिन्द ( भारत का खजूर ) कहते हैं
यह कैल्शियम , लौह तत्व , विटामिन B ,C तथा फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है | चूँकि इमली खट्टी होती है अतः इसे भिगोने के लिए कांच या मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाना चाहिए |
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१ - १० ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर , मसल - छानकर , शक्कर मिलाकर पीने से सिर दर्द में लाभ होता है |
२ - इमली को पानी में डालकर , अच्छी तरह मसल - छानकर कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है |
३ - १० ग्राम इमली को १ लीटर पानी में उबाल लें जब आधा रह जाए तो उसमे १० मिलीलीटर गुलाबजल मिलाकर , छानकर , कुल्ला करने से गले की सूजन ठीक होती है |
४ - इमली के दस से पंद्रह ग्राम पत्तों को ४०० मिलीलीटर पानी में पकाकर , एक चौथाई भाग शेष रहने पर छानकर पीने से आंवयुक्त दस्त में लाभ होता है |
५ - इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप लगाने से मोच में लाभ होता है |
६ - इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है |
७ - गर्मियों में ताजगी दायक पेय बनाने के लिए इमली को पानी में कुछ देर के लिए भिगोएँ व मसलकर इसका पानी छान लें। अब उसमें स्वादानुसार गुड़ या शक़्कर , नमक व भुना जीरा डाल लें। इसमें ताजे पुदीने की पत्तियाँ स्फूर्ति की अनुभूति बढ़ाती हैं , अतः ताजे पुदीने की पत्तियाँ भी इस पेय में डाली जा सकती हैं
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