बाजरा खाने के फायदे, लाभ millet in hindi benefits
9 January 2016
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बाजरे में प्रोटीन व् आयरन प्रचुर मात्रा में होता है . इसमे कैंसर कारक टाक्सिन नही बनते है , जो की मक्का तथा ज्वार में बन जाते है । बाजरे की प्रकृति गरम होती है। अत : बाजरा खाने वालों को अर्थ्राइटिस , गठिया , बाव व दमा आदि नहीं होता। बाजरा खाने से मांसपेशियां मजबूत होती है। बाजरे में उर्जा अधिक होती है जिससे बाजरा खाने वाले अधिक शक्तिशाली व् स्फूर्तिवान होते हैं।
डाक्टर तो बाजरे के गुणों से इतने प्रभावित है कि इसे अनाजों में वज्र की उपाधि देने में जुट गए हैं। उनके मुताबिक बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है।
बाजरे की रोटी को हमेशा गाय के घी के साथ ही खाते हैं जिससे वह पौष्टिकता व ताकत देती है। बाजरे की ठंडी रोटी को छाछ , दही या रबड़ी के साथ भी बड़े चाव के साथ खायी जाती है। बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं सता सकता।
बाजरे में प्रोटीन व् आयरन प्रचुर मात्रा में होता है . इसमे कैंसर कारक टाक्सिन नही बनते है , जो की मक्का तथा ज्वार में बन जाते है । बाजरे की प्रकृति गरम होती है। अत : बाजरा खाने वालों को अर्थ्राइटिस , गठिया , बाव व दमा आदि नहीं होता। बाजरा खाने से मांसपेशियां मजबूत होती है। बाजरे में उर्जा अधिक होती है जिससे बाजरा खाने वाले अधिक शक्तिशाली व् स्फूर्तिवान होते हैं।
पहले लोग गेहूं के साथ मोटा अनाज (( जौ , चना , बाजरा )) भी खाते थे , इसलिए मोटे अनाज से उन्हें पौष्टिक तत्व मिलते थे और वो तंदुरूस्त रहते थे। आजकल लोगों ने मोटा अनाज खाना छोड़कर केवल गेहूं का उपयोग करना शुरू कर दिया है। इससे उन्हें पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं। ज्वार , बाजरा , रागी तथा अन्य मोटे अनाज उदाहरण के लिए मक्का , जौ , जई आदि पोषण स्तर के मामले में वे गेहूं और चावल से बीस ही साबित होते हैं।
कई मोटे अनाजों में प्रोटीन का स्तर गेहूं के नजदीक ठहरता है , वे विटामिन ( खासतौर पर विटामिन बी ), लौह , फॉस्फोरस तथा अन्य कई पोषक तत्त्वों के मामले में उससे बेहतर हैं। ये अनाज धीरे धीरे खाद्य श्रृंखला से बाहर होते गए क्योंकि सरकार ने बेहद रियायती दरों पर गेहूं और चावल की आपूर्ति शुरू कर दी। साथ ही सब्सिडी की कमी के चलते मोटे अनाज के उपयोग में कमी जरूर आई लेकिन पशुओं तथा पक्षियों के भोजन तथा औद्योगिक इस्तेमाल बढऩे के कारण इनका अस्तित्व बचा रहा। इनका औद्योगिक इस्तेमाल स्टार्च और शराब आदि बनाने में होता है।
बाजरे से आयरन की कमी नही होती उसे अनीमिया नही होता , हिमोग्लोबिन तथा प्लेटलेट्स ऊँचे रहते हैं। बाजरा हमेशा देसी वाला ( तीन माही ) ही खाएं . संकर बाजरे ( साठी ) की गुणवता अच्छी नही होती। हालाँकि देशी बाजरे की उपज कुछ कम होती है परन्तु इसकी पौष्टिकता , नैरोग्यता व् गुणवता कई गुना अच्छी होती है।
गेहूं और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है। डाक्टरों का कहना है कि बाजरे की रोटी खाना सेहत के लिए बहुत लाभदायक है। बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है। आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम की गोलियां खाने के स्थान पर रोज बाजरे की दो रोटी खाने की सलाह चिकित्सकों ने एकमत होकर दी है।
कई मोटे अनाजों में प्रोटीन का स्तर गेहूं के नजदीक ठहरता है , वे विटामिन ( खासतौर पर विटामिन बी ), लौह , फॉस्फोरस तथा अन्य कई पोषक तत्त्वों के मामले में उससे बेहतर हैं। ये अनाज धीरे धीरे खाद्य श्रृंखला से बाहर होते गए क्योंकि सरकार ने बेहद रियायती दरों पर गेहूं और चावल की आपूर्ति शुरू कर दी। साथ ही सब्सिडी की कमी के चलते मोटे अनाज के उपयोग में कमी जरूर आई लेकिन पशुओं तथा पक्षियों के भोजन तथा औद्योगिक इस्तेमाल बढऩे के कारण इनका अस्तित्व बचा रहा। इनका औद्योगिक इस्तेमाल स्टार्च और शराब आदि बनाने में होता है।
बाजरे से आयरन की कमी नही होती उसे अनीमिया नही होता , हिमोग्लोबिन तथा प्लेटलेट्स ऊँचे रहते हैं। बाजरा हमेशा देसी वाला ( तीन माही ) ही खाएं . संकर बाजरे ( साठी ) की गुणवता अच्छी नही होती। हालाँकि देशी बाजरे की उपज कुछ कम होती है परन्तु इसकी पौष्टिकता , नैरोग्यता व् गुणवता कई गुना अच्छी होती है।
गेहूं और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है। डाक्टरों का कहना है कि बाजरे की रोटी खाना सेहत के लिए बहुत लाभदायक है। बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है। आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम की गोलियां खाने के स्थान पर रोज बाजरे की दो रोटी खाने की सलाह चिकित्सकों ने एकमत होकर दी है।
डाक्टर तो बाजरे के गुणों से इतने प्रभावित है कि इसे अनाजों में वज्र की उपाधि देने में जुट गए हैं। उनके मुताबिक बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है।
- बाजरे की खिचड़ी
- चाट
- बाजरा राब
- बाजरे की पूरी
- बाजरा - मोठ घूघरी
- पकौड़े
- कटलेट
- बड़ा , सूप , कटोरी चाट
- मुठिया , चीला , ढोकला
- बाटी , मठरी , खम्मन ढोकला
- हलवा , लड्डू , बर्फी , मीठी पूरी
- गुलगुले , खीर , मीठा दलिया
- मालपुआ , चूरमा , बिस्कुट , केक
- बाजरे फूले के लड्डू , शक्कर पारे आदि कई व्यंजन बनाये जाते है |
बाजरे की रोटी को हमेशा गाय के घी के साथ ही खाते हैं जिससे वह पौष्टिकता व ताकत देती है। बाजरे की ठंडी रोटी को छाछ , दही या रबड़ी के साथ भी बड़े चाव के साथ खायी जाती है। बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं सता सकता।
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