आतंकी हमला एसपी कई अहम खुलासे Pathankot attack sp army
6 January 2016
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सवाल ये उठ रहे हैं कि जो दशहतगर्द आंख मूंदकर निहत्थे मासूम लोगों पर गोलियां बरसाने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने आखिर एसपी सालविंदर और उनके रसोइये को छोड़ कैसे दिया ? पूरी दस्ता पढ़े -
पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हमले से पहले आतंकियों ने जिस एसपी, कुक और ज्वैलर को अगवा किया था उन्होंने कई अहम खुलासे किए। किडनैपर्स ने गुरदासपुर के एसपी सालविंदर सिंह और उनके 2 दोस्तों को शुक्रवार को छोड़ दिया था हालांकि उनकी कार को लेते गए। एसपी और उनके दोस्तों कों गुरुवार देर रात किडनैप किया गया था।
सर्द मौसम में एसपी सलविंदर सिंह अपने दोस्त राजेश के साथ ख्वाजा साहब की दरगाह की तरफ बढ़ रहे थे। 31 दिसंबर की उस शाम एसपी सलविंदर सिंह ख्वाजा साहब के दरबार में मत्था टेकने आए थे। साथ में दोस्त राजेश वर्मा और उनका कुक भी था।
आधी रात, 6 दहशतगर्द और प्लान पठानकोट
हमले की सबसे बड़ी गवाही का सच ?
सवाल ये उठ रहे हैं कि जो दशहतगर्द आंख मूंदकर निहत्थे मासूम लोगों पर गोलियां बरसाने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने आखिर एसपी सालविंदर और उनके रसोइये को छोड़ कैसे दिया ? पूरी दस्ता पढ़े -
पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हमले से पहले आतंकियों ने जिस एसपी, कुक और ज्वैलर को अगवा किया था उन्होंने कई अहम खुलासे किए। किडनैपर्स ने गुरदासपुर के एसपी सालविंदर सिंह और उनके 2 दोस्तों को शुक्रवार को छोड़ दिया था हालांकि उनकी कार को लेते गए। एसपी और उनके दोस्तों कों गुरुवार देर रात किडनैप किया गया था।
सर्द मौसम में एसपी सलविंदर सिंह अपने दोस्त राजेश के साथ ख्वाजा साहब की दरगाह की तरफ बढ़ रहे थे। 31 दिसंबर की उस शाम एसपी सलविंदर सिंह ख्वाजा साहब के दरबार में मत्था टेकने आए थे। साथ में दोस्त राजेश वर्मा और उनका कुक भी था।
आधी रात, 6 दहशतगर्द और प्लान पठानकोट
सेना की वर्दी पहने चार लोगों ने गाड़ी को रूकने का इशारा किया। सभी के हाथों में एके-47 थी। इशारा मिलते ही राजेश वर्मा ने गाड़ी रोक दी लेकिन पलक झपकते ही सब कुछ बदल गया। तूफान की तेजी से कार को हाईजैक कर लिया गया। 2 आतंकियों ने गन प्वाइंट पर एसपी सलविन्दर सिंह और राजेश को काबू में किया,जबकि दो आतंकियों ने बीच वाली सीट पर बैठे कुक को। किसी को सोचने समझने का मौका तक नहीं मिला। सभी के सिर पर एके-47 तनी हुई थी, आतंकियों ने गाड़ी चला रहे राजेश और आगे की सीट पर बैठे सलविंदर को जबरन बीच वाली सीट पर बैठा दिया। एक आतंकी गाड़ी चलाने लगा, जबकि तीन आतंकी मारपीट कर रहे थे और आतंकी लगातार धमकी दे रहे थे कि जिंदा रहना है तो खामोश रहो। आतंकियों ने गाडी हाईजैक कर ली और कार में सवार तीनों लोगों को बंधक बना लिया। अभी तक आतंकी अंजान थे कि बंधक बनाया गया एक शख्स एसपी है।
ये कहानी हैं तीन गवाहों की गवाही की इस कहानी में कितनी हकीकत है और कितना फसाना ये तो जांच के बाद पता चलेगा लेकिन एसपी सालविंदर की बात पर यकीन करें तो अब गाड़ी में AK-47 से लैस 4 से 5 दशहतगर्द सवार हो चुके थे। आतंकियों ने सबसे पहले गाड़ी के अंदर बैठे तीनों लोगों को कुछ इस तरह डरा-धमकाकर काबू में किया और फिर पंजाबी और उर्दू में बातें करने लगे। उनकी जुबान और उनका लहजा सुनकर साफ हो चुका था कि उनके इरादे बेहद खतरनाक है। आतंकी कोडवर्ड में बात कर रहे थे और बार बार किसी एयरफोर्स का नाम ले रहे थे।
आतंकियों ने कोहनिया मोड से गाड़ी को हाईजैक किया। अंधेरा होने के वजह से न सलविंदर और राजेश चारों आतंकियों को ठीक से देख सके और न ही आतंकियों ने गाड़ी के ऊपर लगी बत्ती देखी लेकिन बंधक बने तीनों बखूबी समझ चुके थे कि अब मौत पक्की है क्योंकि सेना की वर्दी में कोई और नहीं बल्कि आतंकवादी है। चलती गाड़ी में ही आतंकियों ने सलविंदर, राजेश और मदन से मारपीट शुरू कर दी एके-47 की बट से बुरी तरह हमला किया गया। और तो और आतंकियों ने सलविंद और राजेश के मोबाइल छीनकर बातचीत शुरू कर दी।
आतंकियों ने कोहनिया मोड से गाड़ी को हाईजैक किया। अंधेरा होने के वजह से न सलविंदर और राजेश चारों आतंकियों को ठीक से देख सके और न ही आतंकियों ने गाड़ी के ऊपर लगी बत्ती देखी लेकिन बंधक बने तीनों बखूबी समझ चुके थे कि अब मौत पक्की है क्योंकि सेना की वर्दी में कोई और नहीं बल्कि आतंकवादी है। चलती गाड़ी में ही आतंकियों ने सलविंदर, राजेश और मदन से मारपीट शुरू कर दी एके-47 की बट से बुरी तरह हमला किया गया। और तो और आतंकियों ने सलविंद और राजेश के मोबाइल छीनकर बातचीत शुरू कर दी।
कोडवर्ड में बातचीत कर रहे थे आतंकी
एक आतंकी छीने गए मोबाइल से अपने आका से बातचीत कर रहा था। पुलिस महकमे में एसपी के ओहदे पर काम करने वाले सलविंदर आतंकियों की बातचीत से समझ गए कि मामला किसी बड़े आतंकी हमले का है। दरअसल आतंकी की ये बातचीत अपने आका से हो रही थी, जो किसी आतंकी हमले के बारे में पूछताछ कर रहा था। आतंकी कोडवर्ड में बातचीत कर रहे थे और बार-बार वो एयरफोर्स कहते हुए सुनाई दिए। यानी चंद घंटे के बाद जिस आतंकी हमले से पूरा देश हिल जानेवाला वाला था, उन्हीं आतंकियों ने हमले से पहले अपहरण कांड को अंजाम दिया।
चारों आतंकियों की उम्र 19 से 22 साल के बीच थी वो कभी उर्दू तो कभी हिंदी में बोल रहे थे लेकिन उनके मंसूबे बेहद खतरनाक थे। आतंकियों के पास जीपीएस था, जिसकी मदद से वो पठानकोट एयरबेस की तरफ बढ़ रहे थे। आतंकियों ने बातचीत के दौरान वो खुलासा किया जिसे सुनकर गाड़ी में मौजूद तीनों बंधकों की सांसे अटक गई। आतंकियों की बातचीत सुनकर किसी को भरोसा नहीं था कि वो जिंदा बचेगे, तीनों अपनी मौत का इंतजार करने लगे।
मारने-पीटने के बाद SP और कुक को फेंका'
अब तक ये साफ हो चुका था कि आतंकी किसी की हत्या कर चुके है और अगला नंबर इन तीनों का था। इसी बीच गाडी को रोक दिया गया। तीनों ने सोचा कि आतंकी अब उन्हें यही पर गोली मार देंगे। सभी रहम की भीख मांगने लगे लेकिन आतंकियों का प्लान कुछ और था। कुछ देर बाद आतंकियों ने गाड़ी से एसपी और उनके कुक को बाहर फेंक दिया। खून जमा देने वाली सर्दी के बीच दोनों मौत का इंतजार करने को मजूबर थे।
कड़ाके की सर्दी में सड़क किनारे सलविदर को आतंकियों ने फेंक दिया था,जबकि चंद कदमों की दूर पर उनके कुक को। दोनों के हाथ-पैर बंधे हुए थे। लेकिन आतंकी राजेश को अपने साथ लेकर चले गए थे। ऐसा क्यों किया गया ये किसी की समझ से परे था। सलविंदर सिंह किसी तरह अपने हाथ खोलने में कामयाब रहे। वो खड़े हुए तो देखा जख्मी हालात में उनका कुक भी चंद कदमों की दूरी पर दर्द से कराह रहा था, सलविंदर ने उसके हाथ खोले और दोनो जान बचाने के लिए गांव में मदद के लिए भागे। इस दौरान सलविंदर ने अपने दूसरे मोबाइल से पुलिस को वारदात की इत्तला दी।
कार लूट की इत्तला पंजाब पुलिस को मिल चुकी थी लेकिन सलविंदर सिंह की कार और उनका दोस्त किस हाल में था वो जिंदा भी था या नहीं इसकी फिक्र सलविंदर को खाए जा रही थी। वही दूसरी तरफ चारों आतंकी GPS की मदद से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे।
इसके बाद आतंकियों के कंमाडर ने एसपी सलविंदर सिंह को पकड़कर मारने का हुक्म सुना दिया। तब फौरन आतंकी उस जगह पहुंच गए जहां पर सलविदर को गाड़ी
से फेंका था लेकिन गनीमत रही आतंकियों के पहुंचने से पहले सलविंदर और उनका कुक दोनों वहां से जा चुके थे
से फेंका था लेकिन गनीमत रही आतंकियों के पहुंचने से पहले सलविंदर और उनका कुक दोनों वहां से जा चुके थे
आतंकियों ने काटा गला, मरा समझकर फेंक दिया था
इसके बाद आतंकियों ने कत्ल की नीयत से राजेश का गला काट दिया, जख्म के चलते उसके गले का काफी खून रिस चुका था। किसी तरह वो हिम्मत जुटाते हुए गाड़ी की अगली सीट तक आया। तभी उससे एक बड़ी गलती हो गई,ये गलती उसकी हिम्मत को मौत में बदल सकती है, दरअसल हड़बड़ी में गाड़ी में लगा साइरन का बटन उससे दब गया था। आवाज सुनते ही राजेश की हालात और बिगड़ गई। किसी तरह वो गाड़ी छोड़कर भागने लगा ये तब था जब राजेश की गर्दन से तेजी से खून बह रहा था।
किसी तरह दर्द से तड़पते राजेश को घंटों इंतजार के बाद अस्पताल में दाखिल कराया गया। उसके गर्दन पर 40 टाकें लगाने पड़े, गनीमत रही कि वो जिंदा बच गया। लेकिन 31 दिसंबर की उस काली रात को वो जीते-जी कभी नहीं भूलेगा। क्योंकि उस रात सलविंदर, राजेश और मदन का 4 खूंखार आतंकियों से सामना हुआ था,जिन्होंने एयरबेस पर आतंकी हमले को अंजाम दिया।
सवाल ये उठ रहे हैं कि जो दशहतगर्द आंख मूंदकर निहत्थे मासूम लोगों पर गोलियां बरसाने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने आखिर एसपी सालविंदर और उनके रसोइये को छोड़ कैसे दिया ? उनके वार से एसपी के दोस्त राजेश वर्मा बच कैसे गए ? शायद उन दहशतगर्दों को बड़ा टार्गेट पूरा करने की जल्दी थी। शायद वो जल्द से जल्द पठानकोट के एयरफोर्स स्टेशन पहुंच जाना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने रास्ते में मिलने वाले तीन लोगों को सिर्फ जरिए की तरह इस्तेमाल किया। हालांकि इस पूरी कहानी की हकीकत तो जांच के बाद ही सामने आएगी।
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