आधार कार्ड के बारे में सबसे बड़ा फैसला सुप्रीम कोर्ट का Aadhar card not mandatory supreme court sc order September
26 September 2018
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जिस दिन से आधार कार्ड अस्तित्व में आया उसी दिन से बहस की बात बना हुआ है आज फिर सुप्रीम कोर्ट ने आधार कानून में बदलाब किये है
आज के पहले तक आप अपना बैंक खाता और मोबाइल फोन नंबर आधार कार्ड से लिंक करवाएं लेकिन आज के बाद से आपको किसी बैंक से और किसी भी टेलीकॉम कंपनी से इस तरह के फोन या मैसेज नहीं आएंगे अब आपको किसी बैंक के टेलीकॉम कंपनियों के दबाव में आने की कोई जरूरत नहीं है
अब छात्रों के लिए आधार नंबर देना जरूरी नहीं होगा अपने फैसले के तीसरे पन्ने पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने एक बड़ी रोचक टिप्पणी की है अदालत ने अपनी टिप्पणी में क्या लिखा है यह मैं आपको अभी पढ़कर सुनाता हूं यह जो अदालत का फैसला है उसकी कॉपी मेरे हाथ में और इसमें देखिए क्या लिखा है सबसे पहले शुरुआत की है
कुछ सवाल भी तय किए थे जिनके आधार पर अदालत ने सुनवाई की ओर यहां भी आपने देखा होगा अदालत ने कहा कि आधार कार्ड बनने के बाद ही इस पूरे मामले के आने के बाद आधार के मतलब ही बदल गए हैं आधार का मतलब होता है फाउंडेशन किसी बात की का आधार होना लेकिन अब जब आप किसी को भी यह शब्द कहेंगे आधार तो लोग इस आधार का हिंदी में असली मतलब भूल कर आधार कहे तो इसका मतलब koi समझता है शायद आप आधार कार्ड की बात कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट ने इस में लिखे हैं और अपने सवालों के जवाब दिए हैं बहुत महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या इस वजह से
लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एक बात बिल्कुल साफ कर दी है कि स्कूलों में दाखिले के लिए आधार कार्ड की कोई जरूरत नहीं है ठीक सवाल यह भी था कि क्या आधार को बैंक अकाउंट से लिंक करना गैरकानूनी है अब आपको अपने बैंक अकाउंट को आधार कार्ड से लिंक करवाने की जरूरत नहीं है कोई भी आपको इसके लिए बाध्य नहीं कर सकता मोबाइल फोन को आधार कार्ड से लिंक करवाना गैर कानूनी और संवैधानिक है
Aadhar कार्ड से लिंक करवाने की जरूरत नहीं है और अगर कोई टेलीकॉम कंपनी या कोई और प्राइवेट कंपनी आपको बार-बार फोन करके इसके लिए बातें करती है तो आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दे सकते हैं और अदालत ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया है कि घुसपैठियों के लिए आधार कार्ड किसी भी सूरत में नहीं बनना चाहिए
शिक्षा हमें अंगूठे के निशान से हस्ताक्षर तक लेकर गई लेकिन तकनीक में फिर से हस्ताक्षर से अंगूठे के निशान पर ले आई है यह बहुत ही दिलचस्प टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने की
aadhar section section 33 to Section 47 or section 57 Kisi Ke Data ko Axis karne ki Ijazat
किसी व्यक्ति का पक्ष जाने बिना उसके डाटा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता अगर सरकार ने किसी निश्चित लक्ष्य को ध्यान में रखकर किसी व्यक्ति का डाटा स्टोर किया है तो वह डाटा भी 6 महीने से ज्यादा time तक नहीं सेव किया जा सकता इससे पहले सरकार के पास 5 वर्ष तक किसी भी व्यक्ति के डाटा को स्टोर करने का अधिकार था
Aadhar ka section 57 private company or pop up card data access karne ki saza deta tha Supreme Court
जिन कंपनियों के पास डाटा अभी है उन्हें भी 6 महीने के अंदर आपके आधार डेटा को अपने सिस्टम से डिलीट करना पड़ेगा जस्टिस एके सिकरी ने अपने फैसले में सेक्शन को मिश्रा की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने दिया है बेंच ने 4 अनुपात 1 के बहुमत के हाथ से आधार को संवैधानिक माना है 4:1 क्या हुआ इसका मतलब है चार जजों ने आधार को संवैधानिक माना है लेकिन एक जज ने इसका विरोध किया है इसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा जस्टिस एएम खानविलकर जस्टिस अशोक भूषण एके सीकरी ने एक ही फैसला दिया अशोक भूषण इन तीनों के फैसले से सहमत थे लेकिन उन्होंने इसमें कुछ और बातों को भी जोड़ा है जबकि जस्टिस डी चंद्रचूड़ के विरोध में डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि
आधार लोगों के प्रोफाइल बनाने की अनुमति देता है जो गोपनीयता के अधिकार के खिलाफ है और इससे जासूसी भी हो सकती हैं यानी जो जासूसी की बात आ रही थी निजता की बात आ रही थी जो तर्क दिए गए उससे जो एक जज सहमत नहीं थे और जस्टिस जस्टिस चंद्रचूड़ थे आधार कार्ड संधू ने कहा कि आधार एक्ट फॉर मनी बिल के तौर पर पारित किया गया था और ऐसा इसलिए किया गया ताकि राज्य सभा को बाईपास किया जा सके आपको बता दें कि मनी बिल को पास करने के लिए राज्यसभा से मंजूरी लेना जरूरी नहीं होता है जस्टिस चंद्रचूड़ के हिसाब से आधार को मनी बिल के तौर पर पेश करना संविधान के साथ धोखा है अपने फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी लिखा है कि आधार के बिना भारत में रहना असंभव है यह बात भी भारत के संविधान का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अब राजनीति भी शुरू हो गई और आपको याद होगा जब से आधार कार्ड का यह मुद्दा आया है तब से आधार भी एक बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था आप जानते हैं हमारे देश में जब भी कोई नया कानून आता है नया सिस्टम आता है या कोई नई चीज नहीं जाती है सबसे पहले हमारे नेता उस पर राजनीति करने लगते हैं आज भी जो हुआ उस पर राजनीति शुरू हो गई
आज के पहले तक आप अपना बैंक खाता और मोबाइल फोन नंबर आधार कार्ड से लिंक करवाएं लेकिन आज के बाद से आपको किसी बैंक से और किसी भी टेलीकॉम कंपनी से इस तरह के फोन या मैसेज नहीं आएंगे अब आपको किसी बैंक के टेलीकॉम कंपनियों के दबाव में आने की कोई जरूरत नहीं है
Aadhar card not mandatory supreme court sc order September
क्योंकि अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एकदम साफ साफ कर दिया है कि बैंक अकाउंट और मोबाइल फोन नंबर को आधार कार्ड से लिंक करवाने की जरूरत नहीं है बच्चों के एडमिशन के लिए भी अब आधार कार्ड जरूरी नहीं है सुप्रीम कोर्ट ने मां-बाप को राहत दी है जो अपने बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराने जाते हैं बहुत सारे स्कूलों में बच्चों के एडमिशन के लिए भी आधार को अनिवार्य कर दिया गया था लेकिन अब स्कूली बच्चों का आधार कार्ड बनवाने की कोई जरूरत नहीं होगी आधार कार्ड ना होने पर किसी बच्चे को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों को भी एक बड़ी राहत दी है नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंटरेंस टेस्टअब छात्रों के लिए आधार नंबर देना जरूरी नहीं होगा अपने फैसले के तीसरे पन्ने पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने एक बड़ी रोचक टिप्पणी की है अदालत ने अपनी टिप्पणी में क्या लिखा है यह मैं आपको अभी पढ़कर सुनाता हूं यह जो अदालत का फैसला है उसकी कॉपी मेरे हाथ में और इसमें देखिए क्या लिखा है सबसे पहले शुरुआत की है
कुछ सवाल भी तय किए थे जिनके आधार पर अदालत ने सुनवाई की ओर यहां भी आपने देखा होगा अदालत ने कहा कि आधार कार्ड बनने के बाद ही इस पूरे मामले के आने के बाद आधार के मतलब ही बदल गए हैं आधार का मतलब होता है फाउंडेशन किसी बात की का आधार होना लेकिन अब जब आप किसी को भी यह शब्द कहेंगे आधार तो लोग इस आधार का हिंदी में असली मतलब भूल कर आधार कहे तो इसका मतलब koi समझता है शायद आप आधार कार्ड की बात कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट ने इस में लिखे हैं और अपने सवालों के जवाब दिए हैं बहुत महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या इस वजह से
आधार को असंवैधानिक कहा जा सकता है
और यहां उन्होंने कहां है कि इससे जासूसी नहीं हो सकती सुप्रीम कोर्ट के 5 में से चार जजों का यह कहना है कि देश में आधार बनाने वाली अथॉरिटी की तरफ से यह आश्वासन दिया गया है कि clone नहीं हो सकता इसके अलावा दूसरा सवाल ये था कि क्या आधार से राइट टू प्राइवेसी यानी निजता के अधिकारों का हनन होता है सुप्रीम कोर्ट नहीं होता अगला सवाल था क्या बच्चों को आधार के तहत लाया जा सकता है सुप्रीम कोर्ट ने लिखा है कि आधार एक्ट के तहत बच्चों को माता-पिता की रजामंदी से आधार के दायरे में लाया जा सकता हैलेकिन सुप्रीम कोर्ट में एक बात बिल्कुल साफ कर दी है कि स्कूलों में दाखिले के लिए आधार कार्ड की कोई जरूरत नहीं है ठीक सवाल यह भी था कि क्या आधार को बैंक अकाउंट से लिंक करना गैरकानूनी है अब आपको अपने बैंक अकाउंट को आधार कार्ड से लिंक करवाने की जरूरत नहीं है कोई भी आपको इसके लिए बाध्य नहीं कर सकता मोबाइल फोन को आधार कार्ड से लिंक करवाना गैर कानूनी और संवैधानिक है
Aadhar कार्ड से लिंक करवाने की जरूरत नहीं है और अगर कोई टेलीकॉम कंपनी या कोई और प्राइवेट कंपनी आपको बार-बार फोन करके इसके लिए बातें करती है तो आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दे सकते हैं और अदालत ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया है कि घुसपैठियों के लिए आधार कार्ड किसी भी सूरत में नहीं बनना चाहिए
शिक्षा हमें अंगूठे के निशान से हस्ताक्षर तक लेकर गई लेकिन तकनीक में फिर से हस्ताक्षर से अंगूठे के निशान पर ले आई है यह बहुत ही दिलचस्प टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने की
aadhar section section 33 to Section 47 or section 57 Kisi Ke Data ko Axis karne ki Ijazat
किसी व्यक्ति का पक्ष जाने बिना उसके डाटा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता अगर सरकार ने किसी निश्चित लक्ष्य को ध्यान में रखकर किसी व्यक्ति का डाटा स्टोर किया है तो वह डाटा भी 6 महीने से ज्यादा time तक नहीं सेव किया जा सकता इससे पहले सरकार के पास 5 वर्ष तक किसी भी व्यक्ति के डाटा को स्टोर करने का अधिकार था
Aadhar ka section 57 private company or pop up card data access karne ki saza deta tha Supreme Court
जिन कंपनियों के पास डाटा अभी है उन्हें भी 6 महीने के अंदर आपके आधार डेटा को अपने सिस्टम से डिलीट करना पड़ेगा जस्टिस एके सिकरी ने अपने फैसले में सेक्शन को मिश्रा की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने दिया है बेंच ने 4 अनुपात 1 के बहुमत के हाथ से आधार को संवैधानिक माना है 4:1 क्या हुआ इसका मतलब है चार जजों ने आधार को संवैधानिक माना है लेकिन एक जज ने इसका विरोध किया है इसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा जस्टिस एएम खानविलकर जस्टिस अशोक भूषण एके सीकरी ने एक ही फैसला दिया अशोक भूषण इन तीनों के फैसले से सहमत थे लेकिन उन्होंने इसमें कुछ और बातों को भी जोड़ा है जबकि जस्टिस डी चंद्रचूड़ के विरोध में डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि
आधार लोगों के प्रोफाइल बनाने की अनुमति देता है जो गोपनीयता के अधिकार के खिलाफ है और इससे जासूसी भी हो सकती हैं यानी जो जासूसी की बात आ रही थी निजता की बात आ रही थी जो तर्क दिए गए उससे जो एक जज सहमत नहीं थे और जस्टिस जस्टिस चंद्रचूड़ थे आधार कार्ड संधू ने कहा कि आधार एक्ट फॉर मनी बिल के तौर पर पारित किया गया था और ऐसा इसलिए किया गया ताकि राज्य सभा को बाईपास किया जा सके आपको बता दें कि मनी बिल को पास करने के लिए राज्यसभा से मंजूरी लेना जरूरी नहीं होता है जस्टिस चंद्रचूड़ के हिसाब से आधार को मनी बिल के तौर पर पेश करना संविधान के साथ धोखा है अपने फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी लिखा है कि आधार के बिना भारत में रहना असंभव है यह बात भी भारत के संविधान का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अब राजनीति भी शुरू हो गई और आपको याद होगा जब से आधार कार्ड का यह मुद्दा आया है तब से आधार भी एक बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था आप जानते हैं हमारे देश में जब भी कोई नया कानून आता है नया सिस्टम आता है या कोई नई चीज नहीं जाती है सबसे पहले हमारे नेता उस पर राजनीति करने लगते हैं आज भी जो हुआ उस पर राजनीति शुरू हो गई
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