क्यों महिलाएं आज भी इन विषयों पर बात करने से झिझकती हे...Ladies Dont Talk These Topic


वक्त भले ही बदला हे, लेकिन आज भी कुछ विषयों पर वक्त नहीं बदला हे, ना हम और ना सामाजिक सोच. अगर विषय महिलाओं से जुड़ा हो, तो आज भी हम खुली सोच रखने में कहीं ना कहीं हिचकचाते हे. यही वजह हे की खुद महिला भी खुद से जुड़े मुद्दों पर भी ना खुलकर बोल पाती हे और ना ही अपनी समस्याओं पर चर्चा कर पाती हे. आईये जानते हे ऐसे कौनसे विषय हे जिन पर महिलाएं आज भी बात करने से झिझकती हे. 
Ladies Dont Talk These Topic

1. पीरियड्स
कभी संकेतो से, तो कब ही चुप रहकर पीरियड्स के बारे में बात ना करने की हिदायत अक्सर दी जाती थी और स्थिति आज भी वही हे. पीरियड्स को छुआछुत से लेकर सबसे छुपाने वाले गहरे राज की तरह वर्षों पहले भी देखा जाता था और आज भी हे. बचपन से ही लड़कियों को समझा दिया जाता था की पीरियड्स छुपाने वाला विषय हे, क्योंकि अगर इस पर बात की तो तुम हंसी की पात्र बन जाओगी. लड़को को तो इस बारे में बिलकुल पता नहीं चलना चाहिए.

प्रभाव:- इस वजह से लडकियां स्कूल तक मिस कर देती थी. कई बार तो अभिशाप समझ डिप्रेशन में चली जाती थी. उसके मन में छुआछुत की भावना घर कर जाती थी. 

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2. सेक्स
सेक्स में अगर महिलाएं पहल करे तो उसे चरित्रहीन समझा जाता हे. अगर इस बारे में वो बात भी करती हे तो उन्हें अच्छी लड़कियों में नहीं गिना जाता हे. हमारे समाज में यह सबसे वर्जित विषय हे. ऐसे में अगर कोई स्त्री अपनी सेक्स सम्बधी समस्या के बारे में बात करे तो सीधे तौर पर इसे उसके चरित्र से जोड़ दिया जाता हे. यही वजह हे की शादी के बाद भी महिलाएं इस विषय पर खुलकर बात नहीं करती हे.

3. फैमिली प्लानिंग और एबार्शन
चूँकि प्रकृति ने ऐसी व्यवस्था दी हे की बच्चे को महिलाएं ही जन्म दे सकती हे, तो इसका यह अर्थ नहीं हे की वो बच्चे पैदा करने की मशीन हे. फैमिली प्लानिंग में अगर वो राय देना चाहे तो उसकी राय का कोई महत्व नहीं रखा जाता हे. इस पर बात करने से रिश्ता टूटने का डर रहता हे.

4. सेक्सुअल डिजीज
ना सिर्फ ग्रामीण महिलाएं, बल्कि शहर की महिलाएं भी सेक्सुअल डिजीज को लेकर इतना जागरूक नहीं हे. वे यह सोचकर भी कुछ नहीं बोलती की लोग उन्हें या उनके पार्टनर को चरित्रहीन समझेंगे. सेक्सुअल डिजीज को लेकर आज भी बहुत से मिथ्स हे. इसी वजह से पुरुष और महिलाएं दोनों खुलकर इस पर बात नहीं कर पाते हे.

इन सब का क्या प्रभाव होता हे
इन सबके कारण महिलाएं ना सिर्फ मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी कमजोर होने लगती हे. वे डिप्रेशन की शिकार हो जाती हे. उनमे यह भावना घर कर जाती हे की अगर वे कुछ बोलेगी तो लोग क्या सोचेंगे और उन्हें उनके चरित्र पर ऊँगली उठेगी.

इसलिए हमें लोगों को जागरूक करने की जरूरत हे. महिलाएं सिर्फ भोग और बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं हे, उनमे भी फीलिंग्स हे, भावनाएं और वे भी सब समझती हे.

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