हमें अफ़सोस क्यों होता हे, क्या यह अच्छा भी हे और कैसे बचे इससे
2 November 2016
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काश, मेने ऐसा किया होता, काश मेने ऐसा ना किया होता. यह दो वाक्य जीवन पर ग्रहण लाने वाले हे. अफ़सोस हर किसी को अपनी जिंदगी में होता हे. क्यों होता हे, अच्छा भी हे और कैसे बचे इससे, आज इन सवालों के बारे में जानेंगे.
अफ़सोस क्यों होता हे??
क्योंकि भविष्य में क्या होने वाला हे, हम इसका सटीक अनुमान नहीं लगा सकते हे. यानी जब हम कुछ करने का निर्णय लेते हे, तो हम नहीं जानते की आगे उसके नतीजे क्या होंगे और जब परीणाम मनमुताबीक नहीं होते हे तो अफ़सोस होते हे. काश ऐसा हो पाता, ऐसा क्यों नहीं हुआ, क्या हो सकता था यह सब बातें बताती हे की हमें अफ़सोस हे.
अफ़सोस अच्छा भी हे, पर
इंसान के पास दिल हे तो जाहिर सी बात हे उसे अपनी गलतियों के लिए अफ़सोस भी होगा. इसके बगेर सुधर भी सम्भव नहीं हे. यह हमें अच्छा इंसान भी बनाता हे और प्रेरित करता हे. इसी के चलते हम दूसरों के बारे में सहानुभूतिपूर्ण ढंग से सोचते हे.
अफ़सोस क्यों होता हे??
क्योंकि भविष्य में क्या होने वाला हे, हम इसका सटीक अनुमान नहीं लगा सकते हे. यानी जब हम कुछ करने का निर्णय लेते हे, तो हम नहीं जानते की आगे उसके नतीजे क्या होंगे और जब परीणाम मनमुताबीक नहीं होते हे तो अफ़सोस होते हे. काश ऐसा हो पाता, ऐसा क्यों नहीं हुआ, क्या हो सकता था यह सब बातें बताती हे की हमें अफ़सोस हे.
अफ़सोस अच्छा भी हे, पर
इंसान के पास दिल हे तो जाहिर सी बात हे उसे अपनी गलतियों के लिए अफ़सोस भी होगा. इसके बगेर सुधर भी सम्भव नहीं हे. यह हमें अच्छा इंसान भी बनाता हे और प्रेरित करता हे. इसी के चलते हम दूसरों के बारे में सहानुभूतिपूर्ण ढंग से सोचते हे.
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लेकिन बेवजह अफ़सोस करना, जरूरत से ज्यादा अफ़सोस करना यह हमारी खुशियों के लिए ग्रहण हे. आप बुढ़ापे में पहुँचने के बाद भी जवानी की किसी भूल को भूल नहीं पाते या खुद को दोषी ठहराते हे तो यह गलत हे. इसकी वजह से आप अपनी जिंदगी को आनन्द से नहीं जी पाते.
कैसे बचें इससे
1. अपने भीतर पनपे अफ़सोस को स्वीकार करें. यह मान के चले की हर किसी को अफ़सोस होता हे, लेकिन इसके चलते जिंदगी रुक नहीं जाती. यह भी समझे की कोई भी इंसान 100% मामलों में अच्छा नहीं हो सकता.
2. अगर ऐसा कुछ हे जो आप अपनी गलती सुधारने के लिए कर सकते हे तो आज ही करें. भले ही वो कदम छोटा ही क्यों ना हो.
3. अफ़सोस की सार्थकता तभी हे जब उससे सबक लिया जाएँ. इसलिए अपनी गलती को स्वीकारें, परन्तु दुखी होने की बजाय उसे ना दोहराने का संकल्प ले.
4. पहले जो हुआ सो हुआ, लेकिन आज का दिन आपके लिए सबसे अच्छा दिन हे. आज आप जनबुझकर कोई गलती नहीं करेंगे.
5. कोई भी नतीजा बहुत सारे कारकों पर निर्भर करता हे. इसलिए किसी बात के लिए अकेले खुद को दोषी ना ठहराहें.
6. सब कुछ आपके हाथ में नहीं हे. कई बार पुरे प्रयास करने के बाद भी कोई कसर रह ही जाती हे. यही जीवन का रहस्य हे.
लेकिन बेवजह अफ़सोस करना, जरूरत से ज्यादा अफ़सोस करना यह हमारी खुशियों के लिए ग्रहण हे. आप बुढ़ापे में पहुँचने के बाद भी जवानी की किसी भूल को भूल नहीं पाते या खुद को दोषी ठहराते हे तो यह गलत हे. इसकी वजह से आप अपनी जिंदगी को आनन्द से नहीं जी पाते.
कैसे बचें इससे
1. अपने भीतर पनपे अफ़सोस को स्वीकार करें. यह मान के चले की हर किसी को अफ़सोस होता हे, लेकिन इसके चलते जिंदगी रुक नहीं जाती. यह भी समझे की कोई भी इंसान 100% मामलों में अच्छा नहीं हो सकता.
2. अगर ऐसा कुछ हे जो आप अपनी गलती सुधारने के लिए कर सकते हे तो आज ही करें. भले ही वो कदम छोटा ही क्यों ना हो.
3. अफ़सोस की सार्थकता तभी हे जब उससे सबक लिया जाएँ. इसलिए अपनी गलती को स्वीकारें, परन्तु दुखी होने की बजाय उसे ना दोहराने का संकल्प ले.
4. पहले जो हुआ सो हुआ, लेकिन आज का दिन आपके लिए सबसे अच्छा दिन हे. आज आप जनबुझकर कोई गलती नहीं करेंगे.
5. कोई भी नतीजा बहुत सारे कारकों पर निर्भर करता हे. इसलिए किसी बात के लिए अकेले खुद को दोषी ना ठहराहें.
6. सब कुछ आपके हाथ में नहीं हे. कई बार पुरे प्रयास करने के बाद भी कोई कसर रह ही जाती हे. यही जीवन का रहस्य हे.
7. अपने जीवन को अच्छी बातों पर केन्द्रित करे और अपनी उपलब्धियों को याद करें.
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