टायफाइड का आयुर्वेदिक उपचार परहेज दवा typhoid treatment


Tified fever treatment in hindi - इस बुखार को मोतिझरा भी कहते है. इसमें संचित ग्लाइकोजिन का तेजी से अपचय होता हैं. और पानी का संतुलन बिगड़ जाता हैं. ऑटो की नली फूल जाती है. और दस्त भी हो सकते हैं. अतः प्रोटीन युक्त्त आहर बील्कुल नही देना चाहिए. ऐसे में अण्डा और माँस तो पूर्णतया वर्जित है. बुखार ठीक होने तथा कमजोरी दूर होने के बाद प्रचुर मात्रा में प्रोटीन देनी चाहिए ताकि शरीर में नष्ट तन्तुओं की पूर्ति हो सके.
चिकित्सा

1. तरल, पचने योग्य आहार ही देना चाहिए. सब्जियों और फलों का जूस और सुप का सेवन रोगी के लिए ठीक रहता हैं.

2. मुनक्का और किशमिश में मोती झरा (टायफाइड)के कीटाणु समाप्त करने की शक्त्ति होती हैं. अतः रोगी को दूध में उबाल कर मुनक्का व् किशमिश दे.

दूसरी विधि
मुनक्का के बीज निकालकर तवे पर हल्का सा गरम कर उसमें बहुत हल्का सा नमक व् काली मिर्च लगा कर देने से रोगी के मुह का बिगड़ा हुआ स्वाद भी ठीक हो जाती है.

3. मौसमी टायफाइड में लाभदायक होती है इसका रस भी दे सकते हैं. और इसकी फांको को काटकर उसका जीरा निकल कर उस पर काला नमक डालकर दे. यह भी पढे ->  क्या आप करना चाहेंगे 8 अजीबो-गरीब नोकरियाँ

4. टायफाइड में उबला हुआ पानी ठण्डा करके देना चाहिए. लौंग का पानी पिलाये. 5 लौंग दो किलो पानी में उबाले आधा रह जाने पर इसे छान कर रख ले और बार-बार थोड़ा-थोड़ा पिलाये.

5. केला टायफाइड का आदर्श भोजन है इससे भूख प्यास कम लगती है.

6. उबले हुए पानी में शहद डालकर रोगी को गरमा गरम पिलाते रहने से रोगी दुर्बल नही होता और रोग भी जल्दी ठीक होता हैं. tified fever diet in hindi typhoid fever ayurvedic treatment in hindi typhoid fever treatment home remedies tified fever treatment medicine tified fever food antibiotic for typhoid fever typhoid ka ilaj in hindi

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