स्लीप डिसऑर्डर ब्रीदिग प्रॉब्लम बढ़ने पर हो सकता है हार्ट फेलियर जाने इसके बारे में
17 October 2016
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रात में सोते समय अचानक से चोंक कर उठना और गाड़ी चलाते हुए नींद आना. सांस में रुकावट की वजह से रातभर की वजह से रातभर जागने से नींद हो पाना. स्लीप डिसऑर्डर ब्रीदिंग की वजह से होने वाली यह बीमारी ऑब्स्ट्रेक्टिव स्लीप एपनिया सिंड्रोम है. नाक से वोकल कॉर्ड तक कंही भी रुकावट होने के कारण होने वाली इस बीमारी के बढ़ने से हार्ट फेलियर, टीबी, एंजाइना, हार्ट अटैक भी हो सकता हैं. इसमें एक घन्टे में पांच से ज्यादा बार, दस सैकंड या उससे ज्यादा ज्यादा सांस रुकने का एपिसोड होने पर ऑब्स्ट्रेक्टिव स्लीप एपनिया होता है.
बीमारी को बढ़ाने वाले फैक्टर
अल्कोहल, नींद लाने वाली दवाइयां खाना, ओबेसिटी, सीधे सोना, अपर रेस्पेक्ट्रिव इंफेक्शन, नाक की एलर्जी.
लक्षण
खराटे आना, दिन में ज्यादा नींद आना, वर्क प्लेस और गाड़ी चलाते-चलाते सो जाना, सुबह-सुबह सिर में दर्द और थकान, पूरी नींद लेने के बाद आराम नही मिलना, रेस्टलेस स्लीप, पीरियड ऑफ़ एपनिया बार-बार उठाना, एसिडिटी, हाइपरटेंशन, ध्यान केंद्रित नही रख पाना, डिप्रेशन में जाना, रात में सिर दर्द, बार-बार यूरिन आना.
अल्कोहल, नींद लाने वाली दवाइयां खाना, ओबेसिटी, सीधे सोना, अपर रेस्पेक्ट्रिव इंफेक्शन, नाक की एलर्जी.
लक्षण
खराटे आना, दिन में ज्यादा नींद आना, वर्क प्लेस और गाड़ी चलाते-चलाते सो जाना, सुबह-सुबह सिर में दर्द और थकान, पूरी नींद लेने के बाद आराम नही मिलना, रेस्टलेस स्लीप, पीरियड ऑफ़ एपनिया बार-बार उठाना, एसिडिटी, हाइपरटेंशन, ध्यान केंद्रित नही रख पाना, डिप्रेशन में जाना, रात में सिर दर्द, बार-बार यूरिन आना.
यह भी पड़े रक्तदान के आगे आ रहा हेपेटाईटिस रोग
कारण
नाक की हड्डी का टेढ़ा होना, नाक में मास का भरना, नाक की एलर्जी, जीभ का बढ़ा होना, बड़े टांसिल होना, तलुवा का हिस्सा बड़ा होना, मोटापा.
डायग्नोसिस
कारण
नाक की हड्डी का टेढ़ा होना, नाक में मास का भरना, नाक की एलर्जी, जीभ का बढ़ा होना, बड़े टांसिल होना, तलुवा का हिस्सा बड़ा होना, मोटापा.
डायग्नोसिस
नाक से गले तक दूरबीन से जांच नेजी फैरिंगो लेरिगोस्कोप,सिटी स्कैन, एमआरआई,पॉली सोनोग्राफी.
ट्रीटमेंट
ट्रीटमेंट
अल्कोहल नही ले, सोने और खाने के बीच तीन घण्टे का अंतर रखे, ज्यादा थकान से बचे, मॉर्निंग और इवनिंग वॉक करे, सीधे नही करवट लेकर सोए, सिरहाने को चार इंच ऊँचा करे,रेगुलर स्लीप पैटर्न बनाए. सी पैप और बाई पैप मशीन से रात को सोते समय व्यक्ति को हवा देकर पेशेंट के रेस्पिरेटरी सिस्टम को खुला रखा जाता है. इससे रिलीफ नही मिलने पर सर्जरी की जाती है या फिर सांस की नली में छेद किया जाता है.
किस उम्र में होती है प्रॉब्लम
किस उम्र में होती है प्रॉब्लम
30 से 60 साल की उम्र में अक्सर यह प्रॉब्लम होती है. 9 परसेंट महिलाओं और 29 फीसदी पुरुषों में यह प्रॉब्लम अक्सर होती है. मेनोपॉज के बाद और 70 परसेंट ओबीज लोग इससे ग्रस्त हैं.
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