रक्तदान के आड़े आ रहा हेपेटाइटिस रोग blood donation benefits importance


इस बीमारी की बढ़ती भयावहता को इसी बात से समझा जा सकता है कि दो महीने पहले करीब 60 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में इस बीमारी के खिलाफ एक सम्मेलन आयोजित किया गया। स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हुए इस आयोजन को वेकअप कॉल करार दिया गया। वहीं भारत में भी 30 नवंबर को हेपेटाइटिस के विरुद्ध राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुुताबिक इसका सबसे ज्यादा असर कम और मध्य आय वाले देशों में दिखाई पड़ता है। फिलहाल अफ्रीका और दक्षिण एशिया इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इस बीमारी से लड़ने का जिम्मा अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उठाया है। उनके मुताबिक इस संबंध में दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे। 

तय नहीं हो सका इलाज
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि हेपेटाइटिस-बी का इलाज और दवाएं मौजूद हैं, लेकिन मौजूदा समय में यह तय नहीं हो पाया है कि किस तरह का इलाज और दवाएं ज्यादा असरकारक हो सकती हैं। पिछले कुछ समय से बी वायरस के लिए टीकाकरण की व्यवस्था की गई है, लेकिन उसका भी सकारात्मक पहलू अब तक सामने नहीं आ सका है। 

अचरज में डालते आंकड़े
स्वास्थ्य मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनेस्को के ताजा आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो भारत में करीब 4 करोड़ लोगों में हेपेटाइटिस के लक्षण पाए गए हैं। प्रभावित लोगों में करीब 10 लाख छोटे बच्चे हैं। वहीं पूरी दुनिया में 4 अरब लोग इस वायरस से संक्रमित हैं। दुनिया में इस बीमारी से करीब 14 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो हर साल हो जाती है, अकेले भारत में ही करीब एक हजार लोग सालाना इसका ग्रास बन रहे हैं।
पि छले दिनों अमिताभ बच्चन ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि वे पिछले 20 सालों से सिर्फ 25 फीसदी लिवर की मदद से जिंदा हैं। बाकी का 75 फीसदी लिवर इसलिए निष्क्रिय हो चुका है, क्योंकि 32 साल पहले उन्हें किसी रक्तदाता ने हेपेटाइटिस संक्रमित रक्त दान किया था, जो अब उनकी रगों में बीमारी बनकर दौड़ रहा है। दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि दुनिया के नक्शे में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है जहां हेपेटाइटिस-बी के रोगियों की अधिकाधिक संख्या है। विश्व में हर पांच में से एक व्यक्ति किसी न किसी रूप में हेपेटाइटिस का शिकार होता है। 
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सामान्यत: एचआईवी की चर्चा खूब होती है, लेकिन हेपेटाइटिस बी की ओर उतना ध्यान नहीं दिया गया। जितने मरीज एचआईवी के चलते सालभर में काल के ग्रास में समा जाते हैं उससे कहीं ज्यादा हेपेटाइटिस के चलते महीनेभर में ही मौत का शिकार हो रहे हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक इसका सबसे बड़ा असर रक्तदान पर पड़ रहा है। ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता कि वह इस बीमारी से पीड़ित हैं।

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