विश्व विजेता सिकन्दर को एक बुढ़िया की सीख..Story Of Sikandar in Hindi
1 September 2016
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जब सिंकदर भारत-विजय पर आया था तब उसे अस्सी वर्षीय वृद्धा मिली थी. उसने सिंकदर से पूछा “तुम कौन हो ओर कँहा से आए हो?” सिकंदर ने कहाँ “में सिकंदर महान हूँ, विश्व-विजेता हूँ ओर यूनान से आया हूँ. “वृध्दा ने कहाँ “क्यों आया है?” उसने कहाँ “विश्व-विजय के अंतर्गत भारत को जितने के लिए आया हूँ. “वृध्दा ने कहाँ “जब भारत को जीत लेगा तब क्या करेगा?'' ओर जो पड़ौसी देश हैं उन्हें जीतूँगा'' उसके बाद क्या करेगा?'' सारी दुनिया को जीत लूँगा.''उसके बाद क्या करेगा?” वृधा ने फ़िर पूछा. सिकंदर ने कहाँ “उसके बाद सुख की रोटी खाऊँगा. “वृध्दा ने कहाँ, “आज तूजे कौन-सी सुख की रोटी की कमी है जो जान बूझकर दु:ख की रोटी की ओर क़दम बढ़ा रहाँ है और जो दुःख की रोटी की और कदम बढाता हे वह सुख की रोटी खाने को तरस जाता है.
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यह वही सिकन्दर हे जो पूरी दुनिया जीत कर भी खुद से हार गया था. इसलिए किसी ने सही ही कहा हे इंसान खाली हाथ आता हे और खाली हाथ ही चला जाता हे. उसने जो कमाया वो सब यंही रह जाता हे. इसलिए दूसरों की मदद करे और उन्हें भी खुश करें. किसी महान इंसान ने कहा हे की :-
बुरे वक्त से डर, क्योकि
बुरा वक्त किसी को बताकर नहीं आता.
एक हार से कोई फ़कीर और
बुरे वक्त से डर, क्योकि
बुरा वक्त किसी को बताकर नहीं आता.
एक हार से कोई फ़कीर और
एक जीत से कोई सिकन्दर नहीं बन जाता.
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