कहानी पति के मजाक की और जीवनसाथी के सम्मान की


एक युवा दम्पति रेल में सफ़र कर रहा था. पति और पत्नी दोनों ही खिड़की की तरफ बेठना चाहते थे, इसलिए वे आमने-सामने की सीटों पे बेथ गए. अगले स्टेशन पर कुछ युवाओं का समूह वंहा पहुंचा. चूँकि युवती ने सुहागचिन्ह धारण नहीं किये हुए थे और उसकी उम्र भी कम थी, इसलिए उसे अकेली लड़की समझकर मजाक करने लगे. वे पति के बगल में बैठकर फुसफुसाते हुए बाते कर रहे थे और युवती से बात कर लेने की शर्त लगा रहे थे.

पति ने उनकी बाते सुनी, तो उसे एक ठिठोली सूझी. उसने लडको की तरफ फुसफुसाते हुए शर्त लगा ली की वह युवती से ना सिर्फ बात करेगा, बल्कि उसी के पैसों से चाय भी पिएगा. उन दोनों के रिश्ते से अनजान उन लोगो के लिए यह बहुत बड़ी बात थी. उन्होंने शर्त लगा ली और पैसे इकट्ठा करके उस युवक को दे दिए. कुछ देर बाद चायवाला गुजरा तो उस युवक ने उससे चाय ली और युवती से कहा की पैसे तुम दे दो. युवती यानी उसकी पत्नी को उनका बर्ताव थोडा अजीब लगा, लेकिन उसने पैसे निकालकर उस चायवाले को दे दिए.

अब लड़को का मुहं देखने लायक था और पति बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोक पा रहा था. इधर पत्नी को भी किस्सा कुछ कुछ समझ आ गया था, इसलिए उसके होठों पर भी मुस्कान थी. आगे पति ने लड़को को सच्चाई बता दी और उनके पैसे भी वापिस कर दिए, जो उसने शर्त में जीते थे. इसके बाद वे सब खूब हंसे.

अब सवाल यह उठता हे की पति ने सच्चाई क्यों बता दी?? क्या मजाक का लम्बा चलना मजेदार नहीं होता.
इसका सीधा सा जवाब हे की अगर पति सच्चाई ना बताता तो मुमकिन था की लड़के उसकी पत्नी की गलत छवि बना लेते या उससे छेड़छाड़ भी कर बैठते. यानी पति ने एक दोस्त की तरह पत्नी को थोडा हैरान किया, कुछ ठिठोली की लेकिन फिर पति की भूमिका में आ गया. जन्हा जीवनसाथी का सम्मान करना और उसे परेशानियों से बचाना उसकी जिम्मेदारी होती हे.

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