कंधार विमान अपहरण कांड का सच kandahar hijack story real


कंधार हाईजैक kandahar hijack documentary - दोस्तों पिछले दिनों मुझे एक documentary देखने का अवसर मिला.. डॉक्युमेंट्री भारत कि Indian Airlines Flight  IC-814 के अपहरण के ऊपर थी हम सभी उस अपहरण के बारे में जानते हैं.. लेकिन यकीन मानिये डॉक्युमेंट्री में विस्तार से दिखाए गए घटनाक्रम किसी रोचक कहानी से कम नहीं लगे जब ये अपहरण हुआ था तब मेरी उम्र इतनी नहीं थी कि मुझे इनघटनाओं कि
गंभीरता का पता हो तो IC-814 के अपहरण के बारे में ही विस्तार से बताने कि कोशिश करूँगा,,
बात है क्रिसमस की एक पूर्व शाम की..सन 1999,
पहला दिन-दिसम्बर 24, 1999. (काठमांडू,नेपाल) जरूर पढे ->> ताकत है बना के दिखाओ राम मंदिर hashim ansari controversial statement
काठमांडू के एअरपोर्ट पर खड़ा विमान नयी दिल्ली के लिए उड़ान भरने को तैयार.. कप्तान, सह कप्तान या सह-चालक और इंजिनियर उड़ान से पूर्व नियमित जाँच करने में व्यस्त 178 यात्री, जिनमें से ज्यादातर नेपाल से थोड़े दिनों की छुटियाँ बिताकर वापिस अपने घर जा रहे हैं..शाम के 4 बजने के बाद विमान ने नयी दिल्ली की लिए उड़ान भरी.. सब कुछ नोर्मल ही था..शीघ्र ही विमान ने भारतीय वायु अंतरिक्ष पार कर लिया एयर होस्टेस यात्रियों को हल्का नाश्ता देने में व्यस्त हो गया..

केबिन सदस्यों में से एक अनिल शर्मा के अनुसार- मैंने कैप्टेन और अन्य कोक्क-पिट के मेम्बेर्स को ड्रिंक्सऑफर करने का मन बनाया और उन्हें चाय या काफ्फी देने के बाद जैसे ही मैं कॉकपिट से बाहर निकला तोबाहर का दृश्य बदल चूका था.! कुछ लोग चेहरे पर मास्क लगाये हुए थे और उन्होंने मुझ पर अपनी बन्दूकतान दी! मैंने अपना इंटर-कोम पर कप्तान को सावधान करना चाहा , लेकिन असफल रहा!
तभी अपहर्ताओं में एक कोक्पित में घुस जाता है और कप्तान को डराना शुरू कर देता है.. वो पायलट को बारबार पश्चिम की तरफ विमान उड़ाने को कहता है !
इतनी देर में ही चार अन्य भारी हथियारों से लैस अपहर्ताओं ने पुरे जहाज पर कब्ज़ा कर लिया और उनकीआवाज को पुरे जहाज में सुना जा सकता था वो बार बार यात्रियों के सामने रखे भोजन को नीचे गिरा देने कोबोल रहे थे.. सभी यात्रियों ने अपना भोजन नीचे रख दिया!
उसके बाद उन सभी को अपनी सीट्स बदलने के लिए मजबूर कर दिया गया.. बच्चों को अलग कर दिया गया.सभी साथी यात्रियों को एक दुसरे से अलग बैठा दिया गया,
यही वो समय था जब कप्तान से कोक्पिट से घोषणा की--मैं आपका कैप्टेन बोल रहा हूँ, हमारा विमान हाई-जेक हो चूका है आप सभी यात्री कृपया संयम से काम लें और अपहर्ताओं कीबात मान लें..
एक यात्री (अरुण)के अनुसार-मैं अपनी सीट से अपनी बेटी को देखने के लिए एक बार उठा लेकिन अपहर्ताओं ने मुझे बैठे रहने को कहा, लेकिन बाद में उन्होंने मेरे रोष को देखते हुए एक बार जल्दी से मुड़कर देख लेने की इजाजत दे दी!
इधर कोकपिट में कप्तान(पायलट) हाई- जेकर को ये विश्वास दिलाने में नाकाम रहा कि प्लेन के अंदर इतना इंधन नहीं है कि प्लेन को लाहोर(पाकिस्तान) तक उड़ाया जा सके जो की उनका पहला पसंदीदा गंतव्यस्थान था !

कप्तान के अनुसार---उसने मुझसे पुछा की हमारे पास कितना इंधन है..मैंने कहाँ की सिर्फ इतना की दिल्ली तक उड़ सकें,. तब उसने पुछा कि ऐसा कैसे संभव है.. अगर आपातकालीन स्थिति में प्लेन को निर्धारित स्थान पर नहीं उतराजा सकता तो तुम्हारे वैकल्पिक स्थान कोन से होंगे,
उसके ऐसा पूछने पर मैं आश्चर्यचकित रह गया,, हाई-जेकर जानता था की इस स्थिति में हमारे विकल्प बॉम्बे या अहमदाबाद हैं इसीलिए मैंने कहा अहमदाबाद तब हाई-जेकर को थोडा गुस्सा आया और उसने मुझसे कहा कि जब तुम बॉम्बे और अहमदाबाद तक उड़ सकते हो तो लाहोर क्यूँ नहीं.. लाहोर तो बॉम्बे औरअहमदाबाद की तुलना में दिल्ली से बहुत नज़दीक है!

IC-814 प्लेन अभी भी पश्चिम की तरफ एक अनजान गंतव्य की और उड़ रहा था - इधर कैप्टेन ने अपह्र्न्कर्ताओं कि नज़र से बचते हुए एक रिस्क उठाकर भारतीय हवाई ट्राफिक कंट्रोल को इमरजेंसी सन्देश
भेजना शुरू किया जिससे उन्हें ये बात पता चल सके की IC-814 का अपहरण हो चूका है..

उधर कोक्पित में अभी भी बहस जारी थी.. अपहरण-कर्ता विमान को लाहोर लेकर जाना चाहते थे लेकिन कैप्टेन इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं था और बहानेबाज़ी कर रहा था अभी कारगिल लडाई को मुश्किल से 6 महीने ही बीते थे और कप्तान किसी भी कीमत में अपना हवाई क्षेत्र पार नहीं करना चाहता था वो भारत में कहीं पर भी उतरने के लिए तैयार था लेकिन पाकिस्तान में नहीं!

लाहोरे ATC ने अब इसे अपहरण-कर्ताओं के लिए और मुश्किल बना दिया जिन्होंने विमान को लाहोरे में उतारने की अनुमति देने से इनकार कर दिया यही नहीं उन्होंने अपने लाहोर के एयर स्पेस और एअरपोर्ट की लाईट्स को पूरी तरह बंदकर दिया ताकि विमान वहां उतरने न पाए ! चाहे पाकिस्तानियों का अपना विमान को ही वहां उतरना था लेकिन पाकिस्तानियों ने वहां रौशनी के सभी ज़रिये बंद कर दिए जिससे भारतीय विमान वहां उतर न पाए..

अब ये चोंका देने वाला था सबके लिए शायद पाकिस्तानी किसी भी तरह का खतरा मोल लेना नहीं चाहते थे और इस केस से खुद को दूर रखना चाहते थे इधर प्लेन में, 8 यात्रियों को कार्यकारी केबिन (Executive Cabin) में शिफ्ट कर दिया गया जिसमे 27वर्षीय रुबिन कात्याल भी शामिल था जो अपनी नव-विवाहित पत्नी रचना के साथ हनीमून मनाकर लोट रहा था!

एक यात्री कुमार सोनी के अनुसार वहां उन सबको सीट बेल्ट से सीट के साथ बांध दिया गया

इधर कप्तान अपनी तरफ से कोशिश कर रहा था,. उसने विमान की गति 40% तक कम कर दी थी ताकि भारत सरकार को सोचने और स्थिति से निपटने के लिए और भी समय मिल जाये और जब वो इंडिया में लेंड हो तब तक कुछ न कुछ उपाय करलिए गए हो..
अब विमान का इंधन तेजी से ख़तम हो रहा था,, अपहरंकर्ता किसी भी कीमत पर भारतीय जमीन पर उतर कर भारतीय सुरक्षाप्रणाली को कोई मोका नहीं देना चाहते थे और पाकिस्तानियों ने विमान को अपनी जमीन पर उतारने से इनकार कर दिया था और यहीं नहीं अपने एयर-पोर्ट की लाईट्स तक बंद कर दी थी!

अमृतसर-उत्तरी भारत का एक शहर लाहोर से पूर्व दिशा में मात्र 50 किलो मीटर की दूरी पर यद्यपि हाई-जेकर तैयार नहीं थे लेकिन पायलट के भरोसा दिलवाने पर और आपस में बात करने के बाद वोअमृतसर में लेंड करने के लिए तैयार हो गए,, शर्त ये थी की वहां पर विमान में फिर से इंधन भरा जायेगा

पहला दिन (अभी तक) अमृतसर
विमान अमृतसर की धरती पर उतरा, पायलट ने शांति की सांस ली. उसे भरोसा था की अब वो सब सुरक्षित हैं और भारत सरकार कुछ न कुछ कर लेगी..

पंजाब के पूरक चीफ कमांडो जे.पी. बिरदी के अनुसार---हमें बताया गया था की एन. एस. जी. आ रही है और तब तक कोई भी कदम न उठाएं और विमान को सिर्फ एयर-पोर्ट पर रोके रखें,,
आगे का घटनाक्रम कुछ इस प्रकार है..दिल्ली ऑथोरिटी से मिले आदेशानुसार पंजाब की लोकल फ़ोर्स यही कर रही थी.. बातचीत करने की कोशिश और फिर से इंधन भरने की तैयारी करते हुए बहुत समय ले रही थी!

इधर ये देरी अपहरंकर्ताओं को नागवार गुजर रही थी!

कप्तान को मजबूर किया गया ये कहने के लिए की---हमारा जीवन खतरे में है, कृपया जल्दी से जल्दी इंधन भरें विमना अमृतसर में खड़े हुए को तकरीबन 90 मिनट हो चुके थे लेकिन अब तक इंधन को कोई टैंकर नज़र नहीं आया था!

हाई-जेकर को विश्वास हो गया की भारतियों ने विमान पर हमला करके कब्ज़ा लेने का मन बना लिया है और तैयारी पूरी होचुकी है..उन्होंने कप्तान को आदेश दिया विमान को फिर से उड़ाने का.

ये तर्क कि विमान में इंधन लगभग ना के बराबर है , भी कुछ काम नहीं कर रहा था..

अब ये स्पष्ट हो चूका था कि अगर इंधन नहीं मिलता है तो वो यात्रियों को मारना शुरू कर देंगे,! इस देरी के भयानक परिणाम सामने आने वाले थे जब कप्तान ने फिर भी लम्बे समय तक विमान को नहीं उड़ाया , तो एक
अपहरंकर्ता ने एक यात्री रुबिन का त्याल को चाकुओं से गोद दिया बुरी तरह से उस लड़के कि छाती पर बेतहासा वार किये गए फ्लाईट के क्रू मेम्बर इस बात कि पुष्टि करने पीछे गया कि क्या वास्तव में अपह्र्न्कर्ताओं ने यात्रियों को मारना शुरू कर दियाहै?

वहां का दृश्य देख कर उसके पाँव कि जमीन खिसक गयी उधर अपह्र्नकर्ता ने स्पष्ट कर दिया था कि अब अगर प्लेन नहीं उड़ाया गया तो वो एक एक करके सब को मार देंगे सबसे पहले कप्तान को गोली मारी जाएगी और उसके बाद एक एक यात्री को!

भारतीय सरकार की तरफ से अब तक कोई मदद नहीं आई थी -उधर कप्तान समझ चूका था कि अब ये लोग उन्हें मारना शुरू करने वाले हैं, उनकी आँखों में वेह्शिपन साफ़दिखने लगा था!

कप्तान ने फिर से उड़ने का मन बनाया, ये जानते हुए भी कि लाहोर तक पहुँचने के लिए इंधन पर्याप्त है या नहीं,ये कन्फर्म नहीं है..

भारतीय सरकार विमान को बचाने का एकमात्र और शायद आखरी मोका खो चुकी थी!

अमृतसर के एक अफसर,वि. एस. मालेकर के अनुसार--पायलट बार बार यही बोल रहा था कि उनके पास इंधन नहीं है, खत्म हो चूका है, इसलिए कृपया इंधन भरा जाये! इसलिए हम सबको यकीन था कि जब तक हम उन्हें इंधन नहीं देंगे विमान उड़ान नहीं भर सकता!

उस समय के सुरक्षा सलाहकार,ब्रजेश मिश्र के अनुसार---तब तक जरुरी जानकारी नहीं मिल सकी थी, और जरुरी जानकारी के आभाव में कोई भी कदम उठाना गंभीर साबित हो सकताथा!

उस समय पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त,ऐ परथारार्ति के अनुसार-सरकार का रवैय्या बचपना-पूर्ण था, तब तक कोई न कोई गतिविधि तो शुरू हो जानी चाहिए थी लेकिन सरकार इसमें नाकाम रही!

विमान एक बार फिर से हवा में था और उसका रुख पाकिस्तान की तरफ था उधर विमान फिर से पाकिस्तान कि तरफ चल तो दिया था लेकिन पाकिस्तान किसी भी कीमत पर उसे पानी धरती पर उतरने नहीं देना चाहती थी!

पाक सरकार कि और से साफ़ साफ़ सन्देश था कि दुनिया में कहीं भी उतर जाओ लेकिन पकिस्तान में नहीं!
उधर इंधन समाप्त होने की कगार पर था!

कप्तान ने विमान की ऊँचाई कम करते हुए लाहोर में नीचे की और आना शुरू किया ,ये देखने के लिए कि कोई जगह उसे मिल सके जहाँ वो लैंड करदे! उसे ऐसी एक जगह दिखी जहाँ एअरपोर्ट की तरह रौशनी थी.. जैसे ही वो नीचे की तरफ आया उसने देखा वो एक बहुत ही व्यस्त रोड था..बड़ी ही मुश्किल से उसने विमान को वहां क्रेश होने से बचाया ये देखने के बाद पाक अधिकारियों को अहसास हो चूका था कि अगर पायलट को अनुमति ना दी गयी तो प्लेन पाकिस्तान मेंक्रेश हो जायेगा!

इधर इधन की कमी के कारन विमान का एक इंजन पहले ही बंद हो चूका था! तब जाकर लाहोर एअरपोर्ट को खोल दिया गया और रौशनी की गयी !

प्लेन अब पाकिस्तान की धरती पर उतर चूका था- प्लेन के अंदर यात्रियों के घायल होने के कारन मेडिकल सुविधाओं के लिए अनुरोध किया गया,, लेकिन पाकिस्तान जल्दी से जल्दी प्लेन को अपने देश से बाहर निकल देना चाहता था,, उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा की इंधन लो और यहाँ से बाहर निकल जाओ..

भारतियों के सभी अनुरोध को ठुकरा दिया गया!
वरिस्थ पत्रकार प्रवीण स्वामी के अनुसार- शायद पाकिस्तान ये दिखाना चाहता था कि इस अपहरण से उसका कोई सरोकार नहीं है , इसलिए उसने ऐसा किया!
और पकिस्तान के इस उदासीन रवैये के कारण विमान वहां ज्यादा देर नहीं रुक सकता था!
पाकिस्तान के लाहोर में उतरने के 3 घंटे से भी कम समय में विमान फिर से हवा उड़ चूका था!

भारत में ये अफवाह फ़ैल गयी थी कि विमान में कुछ मृत यात्री हैं, दिल्ली एअरपोर्ट पर लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो चूकाथा!
अब अपह्र्नकर्ता विमान को काबुल,अफगानिस्तान में ले जाना चाहते थे, लेकिन क्यूंकि अफगानिस्तान के किसी भी शहर मेंरात्रि कि लैंडिंग की व्यवस्था नहीं थी, उन्हें ये विचार त्यागना पड़ा!

अब अपह्र्न्कर्ताओं ने पायलट को बाद्य किया विमान को दुबई,सयुंक्त अरब अमीरात की तरफ उड़ने के लिए!

इस बीच रुबिन कात्याल ने बहुत ज्यादा खून बह जाने के कारन अपनी आखरी सांस ली!
दूसरा दिन, दिसम्बर 25, 1999------
दुबई (सयुंक्त अरब अमीरात)
कुछ घंटो के सफ़र के बाद विमान दुबई में उतरा!
अमृतसर में कुछ कर न पाने के बाद अब भारत ने दुबई से वहां पर भारत से कमांडो भेजकर कमांडोओपरेशन करने की अनुमति मांगी! लेकिन दुबई सरकार ने साफ़ इनकार कर दिया!
फिर भी किसी तरह इंधन के बदले में कुछ यात्रियों को छोड़ देने के लिए अपह्र्न्कर्ताओं को मनi लिया गया!
जिसमे घायल यात्रियों के साथ महिलाएं और बच्चे शामिल थे!

रुबिन का मृत शरीर नीचे लाया गया, और तकदीर की विडंबना देखिये की उसकी पत्नी रचना को इस बारे में पता भी नहीं थाकी उसका सुहाग उजाड़ चूका है!
इन सब गतिविधियों के तुरंत बाद ही विमान ने फिर से उड़ान भरी!

कमाल की बात ये देखिये कि भारत का सम्बन्ध अन्य देशों से या भारत की धाक अन्य देशों पर जो पकिस्तान और दुबई जैसेदेशों ने साफ़ इनकार कर दिया भारत को किसी भी तरह का कोई ओपरेशन करने से अपनी धरती पर!

(किस तरह के संबंधों पर हस्ताक्षर होते हैं ये देशों के बीच????? जो साला ऐसे समय में अगर मदद न मिले तो क्या फायदा है ऐसे संबंधों का! फिर तो अमेरिका ही सही है जो डंडे के दम पर काम निकलवा लेता है किसी भी देश से! )

आखिर आतंक बाद की जीत और भारत सरकार की बच्चा पाना टाइप की हार कुछ लोग की जान भी गयी - 5 terrorist उन्होंने अपने 37 वेहद खुखार आतंकवादियो को भारत की जेल से रिहा करवा लिया और करोडो रूपए लेने के बाद तालिबान से विमान को छोड़ा दिया आगे पढे -Pathankot attack आतंकी हमला एसपी कई अहम खुलासे

ये समझौता भारत के लिए बेहद ख़राब होने वाला था - इन आतंकदियो ने रिहा होने के बाद अपने खुद के संगठन बना लिया और अगला हमला 2001 में भारत में संसद भवन पर कर दिया

ये वही आतंकवादी प्रमुख था जिसने मुम्बई में 26/11 हमला करवाया, और आज तक भारत के खिलाप चाले चलता रहता है 

1 Response to

  1. hamari desh ki janta marnese darti hai, aisi darpok bhartiya janta se aaur pakistan se hamesha ke leeye shhutkara hona chahiye taki bache huye janta sabak le jo apni apni jaayti ka zenda lekar morcha nikalte hai, jinko desh ki chinta nahi uski chinta karna chhod dijiye.

    ReplyDelete

Thanks for your valuable feedback.... We will review wait 1 to 2 week 🙏✅

Iklan Atas Artikel

Iklan Tengah Artikel 1

Iklan Tengah Artikel 2

Iklan Bawah Artikel