हाथी को हुआ गलती का अहसास Kahani Hathi Ki Galti Ki


चंपक वन का राजा शेर युद्ध की तैयारियां कर रहा था. उसने जंगल के सभी जानवरो की सभा बुलवाई. हाथी, हरिण, भालू, बन्दर, गधा, खरगोश, गिद्ध, मोर जैसे सभी पशु-पक्षी इसके लिए आए. गधे और खरगोश को जंगल के जानवर ज्यादा पसंद नही करते थे. वे किसी भी काम में उन्हें साथ नही रखते थे. सेनापति हाथी ने कहा, 'महाराजा ! सेना में गधे ओर् और खरगोश को शामिल मत कीजिए. शेर को यह बात अटपटी लगी, लेकिन वह चुप रहा. उसने इसकी वजह पूछी. हाथी ने कहा, 'गधा इतना मुर्ख है कि वह हमारे किसी काम का नही. युद्ध के लिए बुद्धिमान जानवर की जरूरत होती है.' खरगोश को नही लेने के प्रस्ताव पर बंदर बोला, 'महाराज ! खरगोश इतना डरपोक है कि वह तो मेरी परछाई से भी डर जाता है युद्ध में डरपोक जानवर का क्या काम?

शेर ने उस वक़्त कोई प्रतिक्रिया नही दी. वह सही समय पर जानवरो को उनकी गलती का अहसास करवाना चाहता था. अगले दिन युद्ध के लिए अभ्यास रखा गया. जानवरो ने जिस तरह अपनी जिम्मेदारीया लेना उचित समझा, शेर ने उसी तरह कि उन्हें जिम्मेदारी दी. एक दल का नर्तत्व शेर कर रहा था, तो दूसरे दल का हाथी. शेर के दल को जंगल पर आक्रमण करना था, वही हाथी के दल को जंगल की रक्षा करनी थी अभ्यास के दौरान शेर का दल दूसरे रास्ते से युद्ध के अभ्यास स्थल पर आया और आते ही धावा बोल दिया हाथी का दल रक्षा नही कर सका. उन्हें आक्रमण की सुचना ही नही मिल सकी.

अभ्यास के बाद शेर ने हाथी से गधे और खरगोश को अपने दल में शामिल करने को कहा. अगले दिन फिर अभ्यास हुआ इस बार जैसे ही शेर का दल किसी और रास्ते से आया, वहा गधा पहले से मौजूद था वह जोर से रेका. उसकी आवाज सुन कुछ दूरी पर मौजूद खरगोस फुर्ती से दौड़ा और उसने शेर के दल के आने की सुचना हाथी को दी. यह भी पढे ->आपकी ताकत कभी आपकी कमजोरी क्यों हे??

हाथी का दल तैयार था. इस बार शेर का दल नही जित सका हाथी को अपनी गलती का अहसास हो चूका था. उसने शेर से अनुरोध किया कि युद्ध में गधे को उदघोषक और खरगोश को सन्देशवाहक का महत्वपूर्ण पद दिया जाए. शेर ने मुस्कराते हुए अनुरोध स्वीकार कर लिया.

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