क्या करें जब खुद के फैसले पर संशय होने लगे
22 August 2016
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एक मशहूर कोट है - जब आपको कोई फ़ैसला करना हो और दुविधा हो तो सिक्का उछालकर भी फ़ेसला किया जा सकता है. क्योंकि जब सिक्का हवा में होता है तो आपका दिल बता देता है कि आप क्या चाहते हैं. मन की बात सुनकर आप सही फ़ैसले पर पहूंच सकते हैं. निर्णय करने में दुविधा की स्थिति सभी के सामने कभी न कभी बनती है. किसी तरह एक फ़ैसला कर ही लिया जाए फिर भी संशय होने लगता है. लेकिन क्या आपकी आदत है की हर फ़ैसले पर संशय होता है की यह सही या ग़लत है. आईये जानते हैं कैसे इस आदत पर क़ाबू पाया जा सकता है.
1. ख़ुद से पूछना अहम
स्वय से सवाल पूछने की आदत डालना चाहिए कि यह मामला कितना महत्वपूर्ण है. कुछ मामले ऐसे होते है, जिनमे फ़ैसला अगर ग़लत भी हो जाए तो बड़ा नुक़सान है होने का ख़तरा नही होता. अगर आपके पास इससे महत्वपूर्ण विषय विचार के लिए हैं तो उन पर विचार किया जाना चाहिए. क्योंकि कम महत्वपूर्ण विषय को लेकर चिंता करने से तो समय बर्बाद ही होगा।
2. मन की बात सुनना ज़रूरी
अगर अपने फ़ैसले पर संदेह हो तो एक उपाय है, अपने मन की बात सुनना। यह काफ़ी उपयोगी साबित होगा. वो कहते हे ना की सुनो सब की पर करो अपने मन की.
3. एडवाइजर से पूछना उपयोगी
अगर किसी फ़ैसले पर नही पहूच पा रहे हैं तो आसपास के साथियों से सलाह उपयोगी तरीक़ा हो सकता है। आप उनसे पूछ सकते हैं कि क्या आपको लगता है कि इसमें कोई ग़लती है। इससे आपको अपनी चिंता के बारे में समझने में सहायता मिलेगी और वो आपको किसी नतीजे पर पहुंचने में मदद करेंगे।
4. सामंजस्य के लिए तैयारी
कुछ फ़ैसलो को वापस नही लिया जा सकता. लेकिन कुछ मामलों में श्रेष्ठ निर्णय पर पहुचने के लिए कुछ एजस्टमेंट करने होते हैं. यह याद रखना चाहिए कि आप हर मामले में सही नही हो सकते। कई बार आगे बढ़ते रहना ज़्यादा उपयोगी होता है। अपने फ़ैसलों पर सवाल उठाने की आदत से मुक्ति का एक तरीक़ा है जिस पल फ़ैसला किया जाए, यह भी तय कर लिया जाए कि कब इस पर फिर से विचार करना है.
स्वय से सवाल पूछने की आदत डालना चाहिए कि यह मामला कितना महत्वपूर्ण है. कुछ मामले ऐसे होते है, जिनमे फ़ैसला अगर ग़लत भी हो जाए तो बड़ा नुक़सान है होने का ख़तरा नही होता. अगर आपके पास इससे महत्वपूर्ण विषय विचार के लिए हैं तो उन पर विचार किया जाना चाहिए. क्योंकि कम महत्वपूर्ण विषय को लेकर चिंता करने से तो समय बर्बाद ही होगा।
2. मन की बात सुनना ज़रूरी
अगर अपने फ़ैसले पर संदेह हो तो एक उपाय है, अपने मन की बात सुनना। यह काफ़ी उपयोगी साबित होगा. वो कहते हे ना की सुनो सब की पर करो अपने मन की.
3. एडवाइजर से पूछना उपयोगी
अगर किसी फ़ैसले पर नही पहूच पा रहे हैं तो आसपास के साथियों से सलाह उपयोगी तरीक़ा हो सकता है। आप उनसे पूछ सकते हैं कि क्या आपको लगता है कि इसमें कोई ग़लती है। इससे आपको अपनी चिंता के बारे में समझने में सहायता मिलेगी और वो आपको किसी नतीजे पर पहुंचने में मदद करेंगे।
4. सामंजस्य के लिए तैयारी
कुछ फ़ैसलो को वापस नही लिया जा सकता. लेकिन कुछ मामलों में श्रेष्ठ निर्णय पर पहुचने के लिए कुछ एजस्टमेंट करने होते हैं. यह याद रखना चाहिए कि आप हर मामले में सही नही हो सकते। कई बार आगे बढ़ते रहना ज़्यादा उपयोगी होता है। अपने फ़ैसलों पर सवाल उठाने की आदत से मुक्ति का एक तरीक़ा है जिस पल फ़ैसला किया जाए, यह भी तय कर लिया जाए कि कब इस पर फिर से विचार करना है.
आपने बेहतरीन जानकारी दी है। धन्यवाद और आभार।
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