आजादी में जान न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सैनानियों के नारे
16 August 2016
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देश की आजादी में स्वतंत्रता सैनानियों ने अपनी जान तक की परवाह नहीं की. घर-परिवार सब कुछ भूल कर सिर्फ अपने देश की सेवा में लग गए. उन्ही की बदोलत आज हम आजादी में जी रहे हे और खुले में सांस ले रहे हे. उन्होंने ना सिर्फ खुद को देश के लिए बलिदान किया बल्कि अपने साथ साथ और स्वतंत्रता सैनानियों को भी देश के लिए मर मिटने की प्रेरणा दी. आज की इस पोस्ट में, हम उन्ही स्वतंत्रता सैनानियों के नारों के बारे में जानेंगे, जिन्होंने अपने नारों से क्रांतिकारियों में देश प्रेम की भावना जगा दी.
1. भगतसिंह
जिंदगी तो अपने दम पर जी जाती हे, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हे.
2. चन्द्रशेखर आजाद
भारत की फिजाओं में सदा याद रहूँगा, आजाद था और आजाद रहूँगा.
3. रास्ट्रपिता महात्मा गाँधी
पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हसेंगे, फिर आप से लड़ेंगे और फिर आप जीत जायेंगे.
4. बाल गंगाधर तिलक
आलसी इंसानों के लिए भगवान अवतार नहीं लेते, वह मेहनती इंसानों के लिए अवतरित नहीं होते. इसलिए कार्य करना शुरू करे.
5. सुभाष चन्द्र बोस
तुम मुझे खून दो, में तुम्हे आजादी दूंगा.
6. लाल बहादुर शास्त्री
जय जवान, जय किसान.
7. लाला लाजपत राय
मेरे शरीर पर पड़ी एक एक चोट ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत की कील बनेगी.
8. सुखदेव
मेरा रंग दे बसंती चोला, माय रंग दे बसंती चोला.
9. सरदार बल्ल्भ भाई पटेल
मेरी एक इच्छा हे की भारत एक अच्छा उत्पादक देश बने और इस देश में कोई भूखा ना रहे और अन्न के लिए आंसू ना बहाए.
जिंदगी तो अपने दम पर जी जाती हे, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हे.
2. चन्द्रशेखर आजाद
भारत की फिजाओं में सदा याद रहूँगा, आजाद था और आजाद रहूँगा.
3. रास्ट्रपिता महात्मा गाँधी
पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हसेंगे, फिर आप से लड़ेंगे और फिर आप जीत जायेंगे.
4. बाल गंगाधर तिलक
आलसी इंसानों के लिए भगवान अवतार नहीं लेते, वह मेहनती इंसानों के लिए अवतरित नहीं होते. इसलिए कार्य करना शुरू करे.
5. सुभाष चन्द्र बोस
तुम मुझे खून दो, में तुम्हे आजादी दूंगा.
6. लाल बहादुर शास्त्री
जय जवान, जय किसान.
7. लाला लाजपत राय
मेरे शरीर पर पड़ी एक एक चोट ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत की कील बनेगी.
8. सुखदेव
मेरा रंग दे बसंती चोला, माय रंग दे बसंती चोला.
9. सरदार बल्ल्भ भाई पटेल
मेरी एक इच्छा हे की भारत एक अच्छा उत्पादक देश बने और इस देश में कोई भूखा ना रहे और अन्न के लिए आंसू ना बहाए.
हमारे देश को अंग्रेजों से तो आजादी मिल गयी, लेकिन भ्रष्टाचार, भुखमरी, बेरोजगारी, व्यसन, महंगाई, रिश्वतखोरी आदि से कब आजादी मिलेगी इसका कुछ पता नहीं. दोबारा हमारा देश इन चीजों से गुलाम ना बने इसके लिए हमें इन बिमारियों को अपने समाज से बाहर करना होगा.
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