कहानी अपनी कीमत मत गिराओ..Special story in Hindi
20 July 2016
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एक लड़का मिट्टी के बर्तन बनाने में अपने पिता की मदद करता था. अचानक उसके पिता की मोत के बाद उसकी जिंदगी बदल गयी. सारे परिवार की जिम्मेदारी उसके उपर आ गयी. हालाँकि वो मिट्टी के बर्तन बनाने में पिता की मदद करता था, लेकिन फिर भी वो इस कला में पारंगत नहीं था. उसे संशय रहता था की घड़े ठीक बने या नहीं, कोई खरीदार मिलेगा या नहीं. पहले दिन शाम तक उसका एक भी घडा नहीं बिका.
उसके पिता का दोस्त जो की फल बेचता था, दूर से ही उस लड़के की मनोदशा समझ रहा था. पास आकर वो उस से बातचीत करने लगा. तभी एक लड़के की ठोकर से ही फल वाले का मटका गिरकर टूट गया. तब फलवाले ने उस लड़के से ही मटका खरीदकर उसकी मदद करनी चाही. पर घड़े का मूल्य 50 रूपये सुनकर उसने कुछ विचार किया. फलवाले ने मोलभाव करते हुए उसे दाम कुछ कम करने को कहा. कुछ सोचने के बाद लड़का 30 रूपये में घडा देने को राजी हुआ. इसके बाद फलवाले ने फिर मोलभाव करते हुए लड़के से कुछ पैसे और कम करने को कहा. इस पर लड़के ने कुछ सोचने के बाद 20 फिर 10 पर हां कर दी. पर फलवाले ने उसे आखिर में पुरे 50 रूपये दिए. रूपये देते हुए उसने कहा की में तुम्हारे पिता का दोस्त हु इसलिए में तुम्हे समझा रहा हु की कभी भी अपने काम को कम मत आंको. व्यापार में लागत और मेहनत के साथ मुनाफा भी बहुत जरुरी हे. अगर खुद के काम को कम आंकोगे तो लोग भी तुम्हारे काम को महत्व नहीं देंगे.
उसके पिता का दोस्त जो की फल बेचता था, दूर से ही उस लड़के की मनोदशा समझ रहा था. पास आकर वो उस से बातचीत करने लगा. तभी एक लड़के की ठोकर से ही फल वाले का मटका गिरकर टूट गया. तब फलवाले ने उस लड़के से ही मटका खरीदकर उसकी मदद करनी चाही. पर घड़े का मूल्य 50 रूपये सुनकर उसने कुछ विचार किया. फलवाले ने मोलभाव करते हुए उसे दाम कुछ कम करने को कहा. कुछ सोचने के बाद लड़का 30 रूपये में घडा देने को राजी हुआ. इसके बाद फलवाले ने फिर मोलभाव करते हुए लड़के से कुछ पैसे और कम करने को कहा. इस पर लड़के ने कुछ सोचने के बाद 20 फिर 10 पर हां कर दी. पर फलवाले ने उसे आखिर में पुरे 50 रूपये दिए. रूपये देते हुए उसने कहा की में तुम्हारे पिता का दोस्त हु इसलिए में तुम्हे समझा रहा हु की कभी भी अपने काम को कम मत आंको. व्यापार में लागत और मेहनत के साथ मुनाफा भी बहुत जरुरी हे. अगर खुद के काम को कम आंकोगे तो लोग भी तुम्हारे काम को महत्व नहीं देंगे.
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हे की कभी भी अपने काम को कम मत आंको. एक उदहारण लेते हे डॉक्टर का. डॉक्टर कभी भी अपनी फीस कम नहीं करता और हम उस से मोलभाव भी नहीं कर सकते, क्योकि हम जानते हे की जब वो अपना 100% दे रहा हे तो हमसे भी 100% ही लेगा. इसलिए हमें भी अपने काम को कभी कम नहीं आंकना चाहिए.
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