हमारा नजरिया हमारी हार और जीत के लिए जिम्मेदार हे Positive Attitude Story
12 July 2016
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डेविड और राघव दो भाई थे. एक राक्षस था, जो गाँव के बच्चो को डराता, धमकाता और परेशान करता था. एक दिन 17 साल का एक गडरिया अपने भाइयों से मिलने आया तो तो उन्होंने डेविड और राघव से कहा की “तुम दोनों इतने मजबूत हो इस राक्षस से लड़ते क्यों नहीं”. दोनों भाई बेहद डरे हुए थे उन्होंने कहा “तुमने देखा नहीं उस राक्षस को वो कितना बड़ा हे की उसे मारा नहीं जा सकता. तब उस गडरिये ने कहा की “नहीं ऐसी बात नहीं हे की वह इतना बड़ा हे की उसे मार नहीं सकते, बल्कि वो इतना बड़ा हे की उसे मारो तो चुक नहीं सकते. गडरिये की बाद ने डेविड को जगा दिया. तब डेविड ने उस राक्षस को सिर्फ गुलेल से ही मार गिराया. राक्षस वही था लेकिन उसके बारे में डेविड का नजरिया अलग था.
यही बात हमारी जिंदगी में लागू होती हे की हम हार को किस नजरिये से देखते हे. positive सोच वालो के लिए हार सफलता की एक सीढ़ी हो सकती हे तो negative सोच वालो के लिए रास्ते की एक बाधा.
जब हम यह कहते हे की “हम यह काम नहीं कर सकते”. तो इस बात के दो मतलब होते हे या तो हम उस काम को करना नहीं चाहते या हमें वो काम आता नहीं हे. अगर हमें वो काम नहीं आता हे तो हमें ट्रेनिंग की जरूरत हे, लेकिन अगर हम वो काम करना नहीं चाहते तो हमें नजरिये की जरूरत हे. अब यह हमारा नजरिया हे की हम उस काम को क्यों नहीं करना चाहते?? क्या यह हमारे उसूलों का हिस्सा हे या हम परवाह ही नहीं करते उस काम की.
माहोल, तजुर्बा और शिक्षा हमारे नजरिये को तय करते हे. हमारे आसपास, घर, स्कूल, दोस्तों, दफ्तर आदि में माहोल कैसा हे positive या negative. अगर माहोल अच्छा होगा तो बड़े से बड़े काम को भी आसानी से कर सकते हे अगर माहोल ही खराब होगा तो हम छोटे काम को भी सही से नहीं कर पाएंगे. हमारा तजुर्बा भी हमारे नजरिये को तय करता हे. अगर हमारा अनुभव किसी व्यक्ति के साथ अच्छा होता हे तो उस व्यक्ति के प्रति हमारा नजरिया भी अच्छा होते हे. ठीक उसी तरह शिक्षा भी हमारे नजरिये को तय करती हे. शिक्षा से मतलब किताबी ज्ञान से नहीं, बल्कि ओपचारिक ज्ञान से हे और यह भी हमारे अच्छे और बुरे नजरिये के लिए जिम्मेदार हे.
जब हम यह कहते हे की “हम यह काम नहीं कर सकते”. तो इस बात के दो मतलब होते हे या तो हम उस काम को करना नहीं चाहते या हमें वो काम आता नहीं हे. अगर हमें वो काम नहीं आता हे तो हमें ट्रेनिंग की जरूरत हे, लेकिन अगर हम वो काम करना नहीं चाहते तो हमें नजरिये की जरूरत हे. अब यह हमारा नजरिया हे की हम उस काम को क्यों नहीं करना चाहते?? क्या यह हमारे उसूलों का हिस्सा हे या हम परवाह ही नहीं करते उस काम की.
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