कहानी कोयल की कुक का अंधविश्वास


चंदन वन में एक कोयल रहती थी, नाम था लीला. दिखने में काली, लेकिन आवाज मधुर. उसकी आवाज से पूरा जंगल खुश रहता था. लीला पुरे जंगल में इकलोती कोयल थी. एक बार लीला को अपनी आवाज पर घमंड हो गया. उसने सोचा में इतनी अच्छी आवाज में बोलती हु, तो इसका कुछ मोल होना चाहिए. इस वजह से उसने बोलना ही छोड़ दिया था. अब उसके आवाज की कमी सभी जानवरों को खल रही थी.

जब भी लीला किसी जानवर को मिलती, तो वह उसे कूकने का आग्रह करता. लीला कहती मेरी कुक सुनना बहुत सोभाग्य की बात हे, जो भी मेरी कुक सुनता हे उसे धन मिलता हे. धीरे-धीरे यह बात पुरे जंगल में अंधविश्वास की तरह फ़ैल गयी. कहीं बार ऐसा संयोग भी सामने आया की सुबह जिसने लीला की कुक सुनी उसे कुछ लाभ हुआ. ऐसे में लीला की आवाज की मांग और बढ़ने लगी. लीला को भी इसमें मज़ा आने लगा.

एक दिन ढोलू और मोलू भालू कहीं जा रहे थे, तभी उन्हें लीला की आवाज सुनाई दी. आवाज सुनते ही ढोलू और मोलु की बांछे खिल गयी. ढोलू बोला लीला की आवाज मेने पहले सुनी, मुझे आज कोई खज़ाना मिल सकता हे. मोलू बोला तुमने कंहा, आवाज तो पहले मेने सुनी, इसलिए जो फायदा होगा मुझे होगा. मोलू की बात सुन ढोलू को गुस्सा आ गया और दोनों में हाथापाई होने लगी. जमकर मार पीट की, इस दोरान दोनों को ही चोटे भी ज्यादा आई. बीच बचाव करने आये दोस्तों ने दोनों को हाथी काका के पास ले गए, जो जंगल के राज वैध थे.
हाथी काका ने उनका इलाज किया और शुल्क लिया. फिर उन्होंने ढोलू और मोलू से झगड़े की वजह पूछी. दोनों ने सच-सच बताया. उनकी बात सुनकर हाथी काका जोर-जोर से हंसने लगा और बोले दरअसल लीला कोयल की आवाज ना ढोलू ने और ना मोलू ने पहले सुनी. उसकी आवाज तो पहले मेने सुनी तभी तो तुम दोनों के इलाज की फीस मिली, इसलिए फायदा तो मुझे हुआ. हाथी काका ने दोनों को समझाया की फायदा कर्म करने से हो सकता हे, अंधविश्वास से नहीं. अब ढोलू और मोलू की आँखे खुल चुकी थी और दोनों ने एक-दुसरे को गले लगाया.

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