बन सकता था देश का तेज धावक लेकिन राजनीती ने उसे इस काबिल भी नहीं छोड़ा
24 July 2016
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जब कोई सफल होता हे तो कोई साथ दे ना दे, लेकिन ऊँगली करने में सब आगे रहते हे. ऐसा ही एक वाकया हे बुधिया का. वो देश का सबसे तेज धावक बनना चाहता था, लेकिन लगता नहीं की इस धावक को हमारी खेल संस्थाएं और राजनीति इस काबिल भी छोड़ेगी. आइये जानते हे इस छोटे मिल्खा सिंह की कहानी और क्या रुकावट आ रही हे इसकी सफलता में.
कोन हे बुधिया सिंह
मई 2006 को बुधिया सिंह 7 घंटे 2 मिनट में पूरी के जगन्नाथ मंदिर से भुवनेश्वर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर 60 किलोमीटर लगातार दोडा. बुधिया ने जब दोड़ पूरी की तो ओडिशा के खेल मंत्री देवाशीष नायक भी मोके पे मोजूद थे. वंहा लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के असिस्टेंट एडिटर अमरिन तुर ने घोषणा की “यह एक रिकॉर्ड भी हे और एक मानवीय कहानी भी, जो की दूसरों को प्रोत्साहित करेगी.
एक सर्वे ने करा दिया बुधिया को हॉस्टल में कैद
एक टीवी चेनल ने “श्रेष्ठ ओड़िया” नाम से एक प्रतियोगिता आयोजित की. उसमे मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ बुधिया भी था. राज्य ख़ुफ़िया विभाग ने सुचना दी की प्रतियोगिता में बुधिया को मुख्यमंत्री से अधिक वोट मिल रहे हे. इस सुचना के बाद तत्कालीन बाल व महिला विकास मंत्री प्रमिल्ला मल्लिक ने इतनी छोटी उम्र में बुधिया सिंह के मैराथन दोड़ने को ही गैरकानूनी बताते हुए पाबंदी लगा दी.
15 साल से पहले नहीं दोडेगा बुधिया
राज्य के सरकारी खेल प्रशिक्षक अरुण दास का कहना हे की 15 साल से कम उम्र के बच्चों को 3 किलोमीटर से अधिक दोडाना मना हे. इस समय बुधिया को 100 या 200 मीटर तक दोड़ने का मोका दिया जाता हे. बाद में अगर वह मैराथन दोड़ने लायक रहा तो उसे प्रशिक्षण दिया जाएगा.
आखिर खुद बुधिया क्या चाहता हे??
हाल ही में बुधिया सिंह ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा हे की वह एक रनर हे और दोड़ना चाहता हे. उसे रोका ना जाये और दोड़ने दिया जाए. लेकिन उसकी सुनता कोन हे.
टेलेंट को खोखला करती राजनीति
राजनीति के कई ऐसे भयानक सच देखने को मिलते हे. देश में कुछ भी हो जाए, कोई मर जाए लेकिन इन्हें पहले वोट बैंक की राजनीती करनी होती हे. इन्हें डर रहता हे की कहीं कोई इनसे आगे ना निकल जाए, कहीं इनकी लोकप्रियता कम ना हो जाए. चाहे इसके लिए वो किसी की भी सफलता को रोक दे.
मई 2006 को बुधिया सिंह 7 घंटे 2 मिनट में पूरी के जगन्नाथ मंदिर से भुवनेश्वर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर 60 किलोमीटर लगातार दोडा. बुधिया ने जब दोड़ पूरी की तो ओडिशा के खेल मंत्री देवाशीष नायक भी मोके पे मोजूद थे. वंहा लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के असिस्टेंट एडिटर अमरिन तुर ने घोषणा की “यह एक रिकॉर्ड भी हे और एक मानवीय कहानी भी, जो की दूसरों को प्रोत्साहित करेगी.
एक सर्वे ने करा दिया बुधिया को हॉस्टल में कैद
एक टीवी चेनल ने “श्रेष्ठ ओड़िया” नाम से एक प्रतियोगिता आयोजित की. उसमे मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ बुधिया भी था. राज्य ख़ुफ़िया विभाग ने सुचना दी की प्रतियोगिता में बुधिया को मुख्यमंत्री से अधिक वोट मिल रहे हे. इस सुचना के बाद तत्कालीन बाल व महिला विकास मंत्री प्रमिल्ला मल्लिक ने इतनी छोटी उम्र में बुधिया सिंह के मैराथन दोड़ने को ही गैरकानूनी बताते हुए पाबंदी लगा दी.
15 साल से पहले नहीं दोडेगा बुधिया
राज्य के सरकारी खेल प्रशिक्षक अरुण दास का कहना हे की 15 साल से कम उम्र के बच्चों को 3 किलोमीटर से अधिक दोडाना मना हे. इस समय बुधिया को 100 या 200 मीटर तक दोड़ने का मोका दिया जाता हे. बाद में अगर वह मैराथन दोड़ने लायक रहा तो उसे प्रशिक्षण दिया जाएगा.
आखिर खुद बुधिया क्या चाहता हे??
हाल ही में बुधिया सिंह ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा हे की वह एक रनर हे और दोड़ना चाहता हे. उसे रोका ना जाये और दोड़ने दिया जाए. लेकिन उसकी सुनता कोन हे.
टेलेंट को खोखला करती राजनीति
राजनीति के कई ऐसे भयानक सच देखने को मिलते हे. देश में कुछ भी हो जाए, कोई मर जाए लेकिन इन्हें पहले वोट बैंक की राजनीती करनी होती हे. इन्हें डर रहता हे की कहीं कोई इनसे आगे ना निकल जाए, कहीं इनकी लोकप्रियता कम ना हो जाए. चाहे इसके लिए वो किसी की भी सफलता को रोक दे.
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