कहानी सोच समझ कर बोले, क्योंकि बोले गए शब्द वापिस नहीं आते


एक बार एक किसान की अपने पडोसी से जमकर लड़ाई हुयी. किसान ने पडोसी को बहुत भला-बुरा कहा और जमकर कोसा. लेकिन बाद में जब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ तो पछताने लगा. इसी पछतावे के साथ वह एक साधू के पास पहुंचा. किसान ने साधू को पूरी बात बताई और कहा की “में अपनी गलती का प्रायश्चित करना चाहता हु.” मुझे बहुत ग्लानी हो रही हे. में क्या करू?? किसान की बात सुनकर साधू ने उसे एक पंखो से भरा थैला दिया और कहा की इसे शहर के बीचो-बीच जाके उड़ा दो. किसान ने ऐसा ही किया और साधू के पास लोट आया. साधू ने कहा की अब जितने भी पंख उडाए हे उन्हें वापिस बटोर कर लाओ. नादान किसान जब ऐसा करने पहुंचा तो उसे यह पता चला की यह काम मुश्किल ही नहीं बल्कि असम्भव हे. खली थैला लिए वो साधू के पास लोटा और उसने साधू को सारी बात बताई. साधू ने उसकी पूरी बात सुनने के बाद उसे कहा देखो जैसा इन पंखो के साथ हुआ हे वेसा ही मुहं से निकले शब्दों के साथ होता हे. इसलिए किसी के बारे में भला-बुरा बोलने से पहले सोच ले वरना बाद में इन पंखो जैसी ही स्थिति हो जाती हे. 

यह कहानी हमें यह सीख देती हे की हमें हमेशा सोच-समझ कर बोलना चाहिए. जिंदगी में 3 चीजे कभी वापिस नहीं आती. कमान से निकला तीर, शरीर से निकला प्राण और मुहं से निकला शब्द. शब्दों के घाव शरीर पर लगे घाव से भी तेज होते हे. शरीर के घाव तो फिर भी भर जाते हे लेकिन शब्दों के घाव कभी नहीं भरते. लोगो के ताने सुनके ही बहुत सारे लोग सफल हो जाते हे और कुछ कर दिखाते हे और बहुत से लोग निराश हो जाते हे कभी कभी तो आत्महत्या तक का कदम उठा लेते हे. इसलिए हमेशा सोचकर बोले क्योकि सामने वाले की भावना को ठेस पहुँचाना गलत हे.

2 Responses check and comments

  1. tol mol ke bol bhar jata hai gahra ghav jo banta hai goli se par voh ghav nahi bhart jo bana ho kadvi boli se

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  2. wah wah kya bat he deepak ji.. thnx keep visiting this site..

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