जीका वायरस नया खतरा तेजी से फैलता zika virus sintomas india
4 February 2016
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जिका वायरस जी का जंजाल बनता जा रहा है। जीका वायरस का आतंक जिस तेजी से दुनिया में फैला है, उसके मद्देनजर उचित होगा कि भारत में भी इससे बचाव की एहतियाती तैयारियां शुरू की जाएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) इस इन्फेक्शन के प्रभाव से उत्पन्न स्थिति को सार्वजनिक स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित कर चुका है।
22 देशों में इस रोग के लक्षण मिलने के बाद डब्लूएचओ ने यह चेतावनी जारी की। पहले माना गया कि ये संक्रमण मच्छरों के काटने से फैलता है। बाद में पता चला कि यौन संबंधों के जरिये भी इसका प्रसार होता है। अमेरिका के टेक्सास में यौन संबंध से इसके संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इस संक्रमण के कारण गर्भस्थ शिशु का अपेक्षित विकास नहीं होता। खासकर यह देखा गया है कि उसका मस्तिष्क सामान्य से छोटा रह जाता है। इस अर्थ में कहा जा सकता है कि जीका वायरस जन्म से पहले ही इनसान को विकलांग बना देता है। बेशक जिन देशों में यह संक्रमण फैला है, वहां इससे पीड़ित होने के खतरे अधिक हैं। मगर भारत जैसे देश यह सोच कर निश्चिंत नहीं हो सकते कि वे देश उनके यहां से बहुत दूर हैं।
खासकर यह देखते हुए कि (जैसा डब्लूएचओ ने बताया है) यह संक्रमण वही मच्छर फैलाते हैं, जिनके कारण डेंगू या चिकनगुनिया होता है। ऐसे मच्छरों का कहर भारत लगातार झेलता रहा है। फिर जीका वायरस से पीड़ित व्यक्तियों में बुखार, बदन पर छाले, आंख आने, जोड़ों में दर्द आदि जैसे लक्षण उभरते हैं, जैसाकि कई दूसरे संक्रमणों में भी होता है। यानी मुमकिन है कि इस रोग का तुरंत निदान न हो पाए। फिलहाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत के लोगों को सलाह दी है कि वे जीका वायरस से ग्रस्त देशों की यात्रा से बचें। यह उचित कदम है, लेकिन इसके साथ अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैयार करना जरूरी है। आज की वैश्वीकृत दुनिया में किसी चीज के प्रसार में ज्यादा देर नहीं लगती। इस बीच यह आशाजनक खबर जरूर है कि हैदराबाद के भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के वैज्ञानिकों ने जीका वायरस का टीका तैयार करने का दावा किया है। यह बात पुष्ट हुई तो यह न सिर्फ भारत की बड़ी उपलब्धि होगी, बल्कि अपने यहां इस बीमारी की रोकथाम भी आसानी से एवं किफायती ढंग से संभव हो सकेगी। मगर तब तक संक्रमण की शीघ्र पहचान और उसके संभावित उपचार की व्यवस्था हर राज्य में की जानी चाहिए। ब्राजील और कोलंबिया के बाद इसका खतरा भारत पर भी मंडरा रहा है।
22 देशों में इस रोग के लक्षण मिलने के बाद डब्लूएचओ ने यह चेतावनी जारी की। पहले माना गया कि ये संक्रमण मच्छरों के काटने से फैलता है। बाद में पता चला कि यौन संबंधों के जरिये भी इसका प्रसार होता है। अमेरिका के टेक्सास में यौन संबंध से इसके संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इस संक्रमण के कारण गर्भस्थ शिशु का अपेक्षित विकास नहीं होता। खासकर यह देखा गया है कि उसका मस्तिष्क सामान्य से छोटा रह जाता है। इस अर्थ में कहा जा सकता है कि जीका वायरस जन्म से पहले ही इनसान को विकलांग बना देता है। बेशक जिन देशों में यह संक्रमण फैला है, वहां इससे पीड़ित होने के खतरे अधिक हैं। मगर भारत जैसे देश यह सोच कर निश्चिंत नहीं हो सकते कि वे देश उनके यहां से बहुत दूर हैं।
खासकर यह देखते हुए कि (जैसा डब्लूएचओ ने बताया है) यह संक्रमण वही मच्छर फैलाते हैं, जिनके कारण डेंगू या चिकनगुनिया होता है। ऐसे मच्छरों का कहर भारत लगातार झेलता रहा है। फिर जीका वायरस से पीड़ित व्यक्तियों में बुखार, बदन पर छाले, आंख आने, जोड़ों में दर्द आदि जैसे लक्षण उभरते हैं, जैसाकि कई दूसरे संक्रमणों में भी होता है। यानी मुमकिन है कि इस रोग का तुरंत निदान न हो पाए। फिलहाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत के लोगों को सलाह दी है कि वे जीका वायरस से ग्रस्त देशों की यात्रा से बचें। यह उचित कदम है, लेकिन इसके साथ अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैयार करना जरूरी है। आज की वैश्वीकृत दुनिया में किसी चीज के प्रसार में ज्यादा देर नहीं लगती। इस बीच यह आशाजनक खबर जरूर है कि हैदराबाद के भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के वैज्ञानिकों ने जीका वायरस का टीका तैयार करने का दावा किया है। यह बात पुष्ट हुई तो यह न सिर्फ भारत की बड़ी उपलब्धि होगी, बल्कि अपने यहां इस बीमारी की रोकथाम भी आसानी से एवं किफायती ढंग से संभव हो सकेगी। मगर तब तक संक्रमण की शीघ्र पहचान और उसके संभावित उपचार की व्यवस्था हर राज्य में की जानी चाहिए। ब्राजील और कोलंबिया के बाद इसका खतरा भारत पर भी मंडरा रहा है।
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