चाणक्य नीति इन 5 से पलभर का आनंद | Chanakya niti 2021 new


chanakya niti about marriage in hindi - कुछ बातें ऐसी हैं, जिनसे हमें कुछ ही पलों के लिए आनंद मिलता है। थोड़े समय बाद ही ये चीजें नष्ट हो जाती हैं। आचार्य चाणक्य ने भी अपनी एक नीति में चार ऐसी चीज़ों के बारे में बताया है जिनसे की हमे कुछ ही समय का आनंद मिलता है।




आइए जानते है ये बातें कौन-कौन सी हैं...

1. आकाश में घिरे हुए बादलों की छाया
जब भी आकाश में बादल घिर आते हैं तो उसकी छाया बहुत ही सुखद लगती है। सूर्य की गर्मी से राहत मिलती है, लेकिन छाया का ये आनंद पलभर का ही होता है। बादल पलभर में ही चले जाते हैं और सूर्य की गर्मी फिर से बढ़ जाती है।

2. किसी बुरे व्यक्ति की सेवा से मिला लाभ
यदि किसी बुरे व्यक्ति की सेवा करके कोई लाभ प्राप्त किया गया है तो वह भी पलभर का ही आनंद देता है। बुरे व्यक्ति की न तो दुश्मनी अच्छी होती है और ना ही दोस्ती। ऐसे लोगों से दूर रहने में ही भलाई है। गलत काम करने वाले व्यक्ति की संगत से लाभ मिल सकता है, लेकिन हम बड़ी-बड़ी परेशानियों में भी उलझ सकते हैं। इनसे बचना चाहिए।

3. दुष्ट इंसान का प्रेम
यदि कोई व्यक्ति दुष्ट स्वभाव का है तो उसका प्रेम पलभर के लिए ही होता है। दुष्ट स्वभाव के लोग पलभर में ही प्रेम भूलकर दुष्टता कर सकते हैं। इन लोगों का प्रेम थोड़े समय के लिए ही आनंद दे सकता है। यदि लंबे समय तक सुखी रहना चाहते हैं तो इन लोगों के क्षणिक प्रेम में नहीं उलझना चाहिए और इनसे दूर रहना चाहिए।

4. तिनके की आग
तिनके की आग भी क्षणभर के लिए ही होती है। इसकी आग से कुछ पल के लिए ही अंधकार दूर करके रोशनी का आनंद लिया जा सकता है।

5. प्रशंसा क्रिया

कौन थे आचार्य चाणक्य

भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। एक समय जब भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए भारतीय सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी। चाणक्य ने अपने प्रयासों और अपनी नीतियों के बल पर एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को भारत का सम्राट बनाया जो आगे चलकर चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुए और अखंड भारत का निर्माण किया (यहाँ क्लिक कर गुरूवार मंगलवार शनिवार को बाल व नाख़ून कटवाने से क्यों मना है)

चाणक्य के काल में पाटलीपुत्र (वर्तमान में पटना) बहुत शक्तिशाली राज्य मगध की राजधानी था। उस समय नंदवंश का साम्राज्य था और राजा था धनानंद। कुछ लोग इस राजा का नाम महानंद भी बताते हैं। एक बार महानंद ने भरी सभा में चाणक्य का अपमान किया था और इसी अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए आचार्य ने चंद्रगुप्त को युद्धकला में पारंपत किया। चंद्रगुप्त की मदद से चाणक्य ने मगध पर आक्रमण किया और महानंद को पराजित किया।

आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। जो भी व्यक्ति नीतियों का पालन करता है, उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

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