गुरूवार मंगलवार शनिवार बाल नाख़ून कटवाने से क्यों मना है
3 February 2020
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हिन्दू धर्म की परम्पराओं अनुसार मंगलवार, गुरूवार और शनिवार को ""नाख़ून एवं बाल " कटवाने से क्यों मना किया जाता है नहीं पता चलिए हम बताते है
परम्पराओ का पालन करना अपनी आधुनिक शिक्षा के खिलाफ समझते हैं जबकि सच्चाई ये है कि हम हिन्दुओं के अधिकतर परंपराओं और रीति-रिवाजों के पीछे एक सुनिश्वित एवं ठोस वैज्ञानिक कारण होता है
आज भी हम घर के बड़े और बुजुर्गों को यह कहते हुए सुनते हैं कि.......मंगलवार, गुरूवार और शनिवार के दिन बाल और नाखून भूल कर भी नहीं काटने चाहिए (यहाँ क्लिक कर जाने सुख-समृद्धि बनाए रखने के 5 चीजें जरूर रखे vastu tips)
असल में जब हम अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष की प्राचीन और प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करते हैं तो हमें इन प्रश्रों का बड़ा ही स्पष्ट वैज्ञानिक समाधान प्राप्त होता है होता यह कि मंगलवार, गुरुवार और शनिवार के दिन ग्रह-नक्षत्रों की दशाएं तथा अंनत ब्रह्माण्ड में से आने वाली अनेकानेक सूक्ष्मातिसूक्ष्म किरणें (cosmic rays) मानवीय शरीर एवं मस्तिष्क पर अत्यंत संवेदनशील प्रभाव डालती हैं
वैज्ञानिक विश्लेषणों से यह भी स्पष्ट है कि इंसानी शरीर में उंगलियों के अग्र भाग तथा सिर अत्यंत संवेदनशील होते हैं तथा, कठोर नाखूनों और बालों से इनकी सुरक्षा होती है इसीलिये ऐसे प्रतिकूल समय में इनका काटना शास्त्रों के अनुसार वर्जित, निंदनीय और अधार्मिक कार्य माना गया है
यह बेहद सामान्य सी बात है कि हर किसी का मानसिक स्तर एक समान नहीं होता है ना ही हर किसी को एक एक कर हर बात की वैज्ञानिकता समझाना संभव हो पाता इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने गूढ़ से गूढ़ बातों को भी हमारी परम्परों और रीति-रिवाजों का हिस्सा बना दिया ताकि, हम जन्म-जन्मांतर तक अपने पूर्वजों के ज्ञान-विज्ञान से लाभान्वित होते रहें कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजियेगा जिससे मुझे प्रोत्साहन मिलता रहे।
आजकल ये बात तो लगभग हर किसी को मालूम है कि ऐसा नहीं करना चाहिए.... लेकिन, ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए शायद ही किसी को मालूम नहीं हो और इसका परिणाम ये होता है कि जाने-अनजाने हम हिन्दू स्वयं ही....परम्पराओं को अन्धविश्वास घोषित कर देते हे
हिन्दू परम्परा
परम्पराओ का पालन करना अपनी आधुनिक शिक्षा के खिलाफ समझते हैं जबकि सच्चाई ये है कि हम हिन्दुओं के अधिकतर परंपराओं और रीति-रिवाजों के पीछे एक सुनिश्वित एवं ठोस वैज्ञानिक कारण होता है
आज भी हम घर के बड़े और बुजुर्गों को यह कहते हुए सुनते हैं कि.......मंगलवार, गुरूवार और शनिवार के दिन बाल और नाखून भूल कर भी नहीं काटने चाहिए (यहाँ क्लिक कर जाने सुख-समृद्धि बनाए रखने के 5 चीजें जरूर रखे vastu tips)
असल में जब हम अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष की प्राचीन और प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करते हैं तो हमें इन प्रश्रों का बड़ा ही स्पष्ट वैज्ञानिक समाधान प्राप्त होता है होता यह कि मंगलवार, गुरुवार और शनिवार के दिन ग्रह-नक्षत्रों की दशाएं तथा अंनत ब्रह्माण्ड में से आने वाली अनेकानेक सूक्ष्मातिसूक्ष्म किरणें (cosmic rays) मानवीय शरीर एवं मस्तिष्क पर अत्यंत संवेदनशील प्रभाव डालती हैं
वैज्ञानिक विश्लेषणों से यह भी स्पष्ट है कि इंसानी शरीर में उंगलियों के अग्र भाग तथा सिर अत्यंत संवेदनशील होते हैं तथा, कठोर नाखूनों और बालों से इनकी सुरक्षा होती है इसीलिये ऐसे प्रतिकूल समय में इनका काटना शास्त्रों के अनुसार वर्जित, निंदनीय और अधार्मिक कार्य माना गया है
यह बेहद सामान्य सी बात है कि हर किसी का मानसिक स्तर एक समान नहीं होता है ना ही हर किसी को एक एक कर हर बात की वैज्ञानिकता समझाना संभव हो पाता इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने गूढ़ से गूढ़ बातों को भी हमारी परम्परों और रीति-रिवाजों का हिस्सा बना दिया ताकि, हम जन्म-जन्मांतर तक अपने पूर्वजों के ज्ञान-विज्ञान से लाभान्वित होते रहें कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजियेगा जिससे मुझे प्रोत्साहन मिलता रहे।
Kya bal nakhun katne ka asar musalmaan ya esai pr nahi padta
ReplyDeleteKya bal nakhun katne ka asar musalmaan ya esai pr nahi padta
ReplyDeleteBahut Acche Gyan Ki Baaten Likhi Hain Aapne .......... Dhanywaad
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