सम्पूर्ण लौकडाउन क्यो जरूरी है | corona se bachne ke liye upay vichar
आज के हालत पर गौर करें ,तो हर जगह लोग त्राहिमाम कर रहे हैं है । लोग अस्पताल में बेड,औक्सीजन ,वेंटिलेटर ऑर जीवन रक्षक दवाइयों के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं । अस्पतालों में भर्ती होने वाली मरीजों की संख्या दिन- प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । डॉक्टर ऑर अस्पताल मरीजों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं ।
शमशान घाटों पर अंतिम संस्कारों के लिए भी लंबी कतार है । ऐसे हालात में भी कहीं न कहीं से यह सूचना भी मिल रही है कि ऑक्सीज़न का सिलेन्डर गायब हो जा रहा है ,ऑर मुनाफे के लिए कीमत तक बढ़ाया जा रहा है । इसी तरह कोरोना संक्रमण में रेमडेसीविर इंजेक्शन बहुत कारगर साबित हो रहा है परंतु इसकी उपलब्धता पर संकट है ऑर खबरें यह भी हैं कि इसकी कालाबाजारी भी हो रही है।
आज हमसब के लिए कठिन दौर है ऑर मनुष्य से ऐसी व्यवहार कीअपेक्षा कैसे कर सकते है ? हमसब यह समझते रहें है कि इस मुश्किल दिनों में लोग एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाकर इस जानलेवा बीमारी को हरा देंगे , लेकिन यहाँ परिस्थिति ही अलग दिखाई पड़ रही है।
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है ,यहाँ के राज्य सरकारों के पास भी अपना अधिकार है । राज्य सरकारों द्वारा इस महामारी के समय में अपने विवेक ऑर परिस्थिति को देखते हुए राज्य में कहीं नाइट कर्फ़्यू ,तो कहीं विकेंड लौकडाउन का एलान किया गया है।
राज्य सरकारों के तरफ से यह कहा जा रहा कि अगर हम सम्पूर्ण लौकडाउन कर देंगे ,तो आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो जाएगी , लोग भूखे मरने लगेंगे ,क्योंकि हमारे पास संसाधन सीमित हैं । पिछले साल जिस तरह से देश में सम्पूर्ण लौकडाउन हुआ ,तो श्रमिकों में जिस प्रकार से भगदड़ मची थी ,उसे देखते हुए राज्य सरकारें हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं । राज्य सरकार नाइट कर्फ़्यू के सहारे कोरोना को नियंत्रण करने की बात कह रही है ।
इनसब के बीच आज लोग बहुत ही असहाय महसूस कर रहे हैं । इस तरह से बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए लोग अब मांग कर रहे हैं कि अब सम्पूर्ण लौकडाउन लगा दिया जाय ,क्योंकि हम जब जीवित रहेंगे तभी तो आगे काम कर सकेंगे । लोगों को अब लगने लगा है कि लौकडाउन ही एकमात्र विकल्प है इस महामारी से बचने के लिए । क्योंकि एक साल पहले भी हम जो स्थिति में थे ,आज भी हम वही स्थिति में हैं ।
जहां तक इस महामारी का सवाल है तो पहले से अधिक ऑर खतरनाक बन चुकी है । हम मानते हैं कि वर्ष 2020 में कोरोना महामारी ने अपना पैर पसारना भारत में शुरू किया था ,तब बात दूसरी थी क्योंकि महामारी नयी थी ,सरकार को भी समझने के लिए समय चाहिए था । देश के प्रधानमंत्री ने बड़ी सूझ बुझ के साथ बहुत कम संक्रमित लोगों की संख्या के साथ समुर्ण भारत में लौक डाउन लगाया था ।
उसके बाद दिन गुजरता गया ऑर सरकारें लापरवाह होती गयी ऑर लोग भी लापरवाह हो गए । लोगों ने यह सोच लिया था कि अब कोरोना चला गया । लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए था कि कोरोना की दूसरी लहर अन्य देशों ने देखा है ,हमें उन देशों से सीख लेनी चाहिए थी ।
केंद्रीय नेतृत्व को यह समझना पड़ेगा कि अब देश में हालत बद –से बदतर हो गए हैं ,उन्हे आगे आकर इस महमारी को संभालना पढ़ेगा ऑर सम्पूर्ण देश में लौकडाउन लगाने के विषय में सोचना चाहिए । क्योंकि राज्य सरकारें अपनी हिसाब से अपनी सीमित संसाधनों के साथ काम कर रहीं है ,जो प्रार्यप्त नहीं है । देश के प्रधान होने के नाते यह जिम्मेवारी लेनी होगी ,कि किस प्रकार इस कोरोना महामारी से देश को बचाया जाय ऑर लोग इस घातक बीमारी के चपेट से बचे रहें ।
लेख –ज्योति
रंजन पाठक ( औथर व कौलमनिस्ट )
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