Lachhu Maharaj google doodle 110th birthday kon the


पंडित लछू महाराज एक भारतीय शास्त्रीय नर्तक और कथक के कोरियोग्राफर थे। वह लखनऊ में शानदार कथक घाटियों के परिवार से आए, और फिल्म कोरियोग्राफर, हिंदी सिनेमा, विशेष रूप से मुगल-ए-आज़म और पकीजाह के रूप में भी काम किया बनारस घराने के मशहूर तबला वादक लक्ष्मी नारायण सिंह उर्फ लच्छू महाराज का बुधवार देर रात निधन हो गया.

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वह 73 वर्ष के थे. लच्छू महाराज के भतीजे प्रशांत सिंह ने बताया कि बुधवार देर शाम सीने में दर्द की शि‍कायत पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.

पैदा हुआ: 1 9 07, भारत
मर गया: 1 9 78

शैली: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत
पुरस्कार: नृत्य के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार - कथक

गीत

कर्म बाई की कथा

मैन फुला फुला फायर जगत मीन
अबक बचाई महारी माई
लच्छू महाराज सात भाइयों में दूसरे नंबर के थे. उनके परिवार में पत्नी टीना और एक बेटी है. इस समय दोनों स्विट्जरलैंड में हैं. उन्हें लच्छू महाराज के निधन की सूचना दे दी गई है. लच्छू महाराज की पत्नी और बेटी के आने पर शुक्रवार सुबह आठ बजे मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

  बनारसी अंदाज के लिए मशहूर थे महाराज लच्छू महाराज अपने मस्तमौला और खाटी बनारसी अंदाज के लिए जाने जाते थे. वह अपनी चाहत पर ही तबला बजाते थे, कभी उन्होंने किसी की मांग पर तबला नहीं बजाया. उन्होंने देश-दुनिया के बड़े आयोजनों में तबला वादन किया. तबले की थाप पर सबको झूमने के लिए मजबूर कर देते थे.

  कलाकार को नहीं अवार्ड की जरूरत भाई राजेंद्र सिंह ने बताया कि लच्छू महाराज को केंद्र सरकार की ओर से पद्मश्री देने के लिए नामित किया गया था. उन्हें अवार्ड लेने का निमंत्रण पत्र भी भेजा गया, लेकिन अचानक उन्होंने मना कर दिया. वह कहते थे कि किसी कलाकार को अवॉर्ड की जरूरत नहीं होती.

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