नाजायज विवाह बाह्य संबंध कानून बदला व्यभिचारी का अर्थ supreme court judgement on extra marital affair
27 September 2018
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external affair minister of india order sc hindi अवैध संबंध पर भारत मे कई फिल्में बनी है और लोगों ने बड़े चाव से देखते आए हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद अवैध संबंधों में से अवैध शब्द हट गया है सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूरे देश में अब बहस हो रही है अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह तर्क दिया कि व्यभिचार को अपराध मानने वाला यह कानून महिलाओं के साथ आसमान व्यवहार करता है हमारे देश के लिहाज से यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत वह देश है जहां परिवार को पहली प्राथमिकता दी जाती है और परिवार की कल्पना में व्यभिचार का कोई स्थान नहीं है यहां तक कि सीता को भी अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी इसलिए इस फैसले के विशेषण से पहले आप यह समझ लीजिए कि भले ही कानून में व्यभिचार को अपराध माना हो लेकिन समाज की नजर में भारतीय समाज की नजर में आज भी एक अपराध है
समस्या यह थी कि अगर पति किसी दूसरी महिला से संबंध बनाता है तो पत्नी को शिकायत करने का अधिकार इस कानून में नहीं था आईपीसी की धारा 497 यह कहती है कि पति की इजाजत के बिना उसकी पत्नी से किसी गैर मर्द का संबंध बनाना भी अपराध है इसीलिए जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई तो याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि यह कानून एक तरह से पत्नी को पति की संपत्ति बताने जैसा है
केरल के जोसेफ इस मामले में याचिकाकर्ता थे इस कानून में सजा देने का प्रावधान है तो महिलाओं को नहीं और यह पुरुषों के साथ जाती है याचिकाकर्ता ने संविधान के मौलिक अधिकार का हनन होना भी कहा था जिसमे समानता का अधिकार का उल्लंघन बताया
यह कानून महिला और पुरुष के बीच भेदभाव करता है आज सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा को ही खारिज कर दिया और बड़ा फैसला सुनाते हुए यह कह दिया कि व्यभिचार अपराध नहीं है और यह धारा असंवैधानिक है आज फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा किसी महिला पर उसके पति का मालिकाना हक नहीं होता सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि यह कानून महिला के जीने के अधिकार पर असर डालता है अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने लिखा है कि चीन जापान ऑस्ट्रेलिया बहुत सारे पश्चिमी यूरोपीय देशों में अपराध नहीं है
ज्यादातर कानूनों को भारत ने बाहरी देशों से अपनाया है वहां भी एडल्ट्री को अपराध नहीं माना जाता कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार तलाक का आधार तो हो सकता है लेकिन यह अपराध नहीं हो सकता यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने एकमत से दिया है यानी सभी जजों ने 487 धारा को असंवैधानिक माना इस पर कोई मतभेद नहीं था इस बैंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा जस्टिस आरएफ नरीमन जस्टिस एएम खानविलकर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल थे
रिश्तो की दुनिया को असहज कर दिया है फिलहाल स्थिति है कि व्यभिचार कानून की नजर में अपराध नहीं है लेकिन समाज की नजर में आज भी यह एक नैतिक अपराध है भारत देश है जहां मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने जन्म लिया भगवान राम के दौर में भी सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी ऐसे में सोचिए कि जिस देश और जिस समाज में सीता की अग्नि परीक्षा ले ली जिस देश में आज भी श्री राम का मंदिर बनाने के लिए संघर्ष चल रहा है
ज्यादातर लोग ऐसी फिल्मों को देखते हैं तभी तो इस देश के प्रॉड्यूसर, डायरेक्टर और जो फिल्म बनाने वाले लोग हैं वह ऐसी फिल्में बनाते हैं ना केवल हमारे देश में बल्कि पूरी दुनिया के सिनेमा के क्षेत्र में लव ट्राएंगल्स फिल्म प्रोड्यूसर्स का और डायरेक्टर्स का प्रिय विषय रहा है इसलिए इसमें एक विरोधाभास भी है क्योंकि लोग ऐसी फिल्मों को देखना भी चाहते हैं ऐसे जीवन को जीना भी चाहते हैं लेकिन शायद खुलकर सामने नहीं आना चाहते जानकारी शेयर करे
IPC 497 jankari hindi व्यभिचारी का अर्थ
आपको इस कानून के बारे में जानकारी यह अंग्रेजों के जमाने का 497 ipc kanoon था इंडियन पेनल कोड 1807 में बना था और यह कानून 158 वर्ष पुराना था सोचिए 158 साल पुराना कानून आज भी चल रहा था आईपीसी की धारा 497 के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी विवाहित महिला से शारीरिक संबंध रखता है तो उसे एडल्ट व्यभिचार मारा जाएगा इसमें दोषी पाए जाने पर पुरुष को 5 साल की सजा हो सकती थी लेकिन इस कानून में यह था कि मुकदमा सिर्फ विवाहित महिला से संबंध रखने वाला था ना तो मुकदमा चलता था ना ही उसे सजा मिलती थी ना उस पर कोई कारवाई होती थीसमस्या यह थी कि अगर पति किसी दूसरी महिला से संबंध बनाता है तो पत्नी को शिकायत करने का अधिकार इस कानून में नहीं था आईपीसी की धारा 497 यह कहती है कि पति की इजाजत के बिना उसकी पत्नी से किसी गैर मर्द का संबंध बनाना भी अपराध है इसीलिए जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई तो याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि यह कानून एक तरह से पत्नी को पति की संपत्ति बताने जैसा है
केरल के जोसेफ इस मामले में याचिकाकर्ता थे इस कानून में सजा देने का प्रावधान है तो महिलाओं को नहीं और यह पुरुषों के साथ जाती है याचिकाकर्ता ने संविधान के मौलिक अधिकार का हनन होना भी कहा था जिसमे समानता का अधिकार का उल्लंघन बताया
यह कानून महिला और पुरुष के बीच भेदभाव करता है आज सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा को ही खारिज कर दिया और बड़ा फैसला सुनाते हुए यह कह दिया कि व्यभिचार अपराध नहीं है और यह धारा असंवैधानिक है आज फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा किसी महिला पर उसके पति का मालिकाना हक नहीं होता सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि यह कानून महिला के जीने के अधिकार पर असर डालता है अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने लिखा है कि चीन जापान ऑस्ट्रेलिया बहुत सारे पश्चिमी यूरोपीय देशों में अपराध नहीं है
ज्यादातर कानूनों को भारत ने बाहरी देशों से अपनाया है वहां भी एडल्ट्री को अपराध नहीं माना जाता कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार तलाक का आधार तो हो सकता है लेकिन यह अपराध नहीं हो सकता यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने एकमत से दिया है यानी सभी जजों ने 487 धारा को असंवैधानिक माना इस पर कोई मतभेद नहीं था इस बैंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा जस्टिस आरएफ नरीमन जस्टिस एएम खानविलकर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल थे
इन देशों में इस कानून को अवैध माना जाता है
Zealand Australia Scotland Netherlands Denmark France Germany Bobby doors Bermuda Jamaica Trinidad and Tobago or South Korea Jhappi kuch Datia Aise Bhi Hai Aaj Bhi adultery Ek Apradh Hai in mein jyada Muslim deshon ke naam hai Bangladesh Indonesia Maldives Nepal Pakistan Philippinesरिश्तो की दुनिया को असहज कर दिया है फिलहाल स्थिति है कि व्यभिचार कानून की नजर में अपराध नहीं है लेकिन समाज की नजर में आज भी यह एक नैतिक अपराध है भारत देश है जहां मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने जन्म लिया भगवान राम के दौर में भी सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी ऐसे में सोचिए कि जिस देश और जिस समाज में सीता की अग्नि परीक्षा ले ली जिस देश में आज भी श्री राम का मंदिर बनाने के लिए संघर्ष चल रहा है
क्या यह देश व्यभिचार को सहर्ष स्वीकार कर पाएगा
इस सवाल का जवाब आने वाला भारत देगा इस वक्त के साक्षी आप भी होंगे और हम भी होंगे लेकिन हमारा देश विरोधाभास का देश है आपने यह भी देखा होगा व्यभिचार हमारे देश में फिल्मों का सबसे प्रिय विषय रहा है हमारे देश में बड़ी संख्या में ऐसी फिल्में बनी है अगर आप अपने दिमाग पर डालेंगे तो आपको ऐसी तमाम फिल्में याद आ जाएंगी जिसमें आपने अवैध संबंध देखे होंगे जिसमें आपने इस तरह के इस कानून का उल्लंघन देखा होगाज्यादातर लोग ऐसी फिल्मों को देखते हैं तभी तो इस देश के प्रॉड्यूसर, डायरेक्टर और जो फिल्म बनाने वाले लोग हैं वह ऐसी फिल्में बनाते हैं ना केवल हमारे देश में बल्कि पूरी दुनिया के सिनेमा के क्षेत्र में लव ट्राएंगल्स फिल्म प्रोड्यूसर्स का और डायरेक्टर्स का प्रिय विषय रहा है इसलिए इसमें एक विरोधाभास भी है क्योंकि लोग ऐसी फिल्मों को देखना भी चाहते हैं ऐसे जीवन को जीना भी चाहते हैं लेकिन शायद खुलकर सामने नहीं आना चाहते जानकारी शेयर करे
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