इन 10 देशों में नहीं रखते जेब में पैसा सब्जी भी खरीदते हैं मोबाइल से
13 November 2017
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Cashless kya hai नोटबंदी ने भारत में कैशलेस इकोनॉमी के लिए रास्ता तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है. नोटबंदी के एक साल बाद भले ही फिर से नगदी का उपयोग बढ़ गया है, लेकिन दूसरी तरफ अच्छी खबर ये है कि कैशलेस लेनदेन में पहले के मुकाबले काफी बढ़ोत्तरी हुई है.
हालांकि कैशलेस होने के मामले में भारत अभी अन्य कई देशों से पीछे है. आगे हम आपको बता रहे हैं, दुनिया के 10 ऐसे देशों के बारे में, जो कैशलेस ट्रांजैक्शन के मामले में सबसे आगे हैं.
स्वीडन : यहां की अर्थव्यवस्था में नगदी में लेनदेन की भागीदारी सिर्फ 3 फीसदी है. यहां आपको सब्जी खरीदने से लेकर बस का किराया भरने तक कैशलेस पेमेंट करनी होती है. स्वीडन 2030 तक दुनिया का पहला 100 फीसदी कैशलेस देश बनने की तैयारी कर रहा है.
नोर्वे : जिस साल भारत में नोटबंदी की घोषणा हुई, उसी साल की शुरुआत में नॉर्वे में कैश का इस्तेमाल कम करने का आह्वान किया गया. यहां के राष्ट्रीय बैंक डीएनबी ने लोगों को नगदी का कम यूज करने के लिए कहा. तब से यहां आप अगर अखबार भी खरीदते हैं, तो उसके लिए भी मोबाइल से पेमेंट करते हैं.
डेनमार्क : डेनमार्क की एक तिहाई से ज्यादा जनसंख्या सेलफोन ऐप मोबाइलपे का इस्तेमाल करती है. यहां दुकानों, रेस्तरां और पेट्रोल पंपों को कानूनी तौर पर छूट है कि वे कैश लेने से इनकार कर सकते हैं.
बेल्जियम : बेल्जियम की 93 फीसदी जनसंख्या कैशलेस लेनदेन करती है. यहां 83 फीसदी लोगों के पास डेबिट कार्ड है. यहां की सरकार ने नगदी में लेनदेन के लिए 3000 यूरो की सीमा तय कर रखी है.
फ्रांस : फ्रांस डिजिटल पेमेंट के मामले में काफी आगे बढ़ गया है. यहां मोबाइल वॉलेट और पीओएस मशीन ही यूज नहीं होतीं, बल्कि कॉन्टैक्ट लेस कार्ड्स भी इस्तेमाल किए जाते हैं. यहां करीब 92 फीसदी जनसंख्या कैशलेस लेनदेन करती है.
सोमालीलैंड : अफ्रीकी देश सोमालीलैंड वैसे तो सबसे गरीब देशों की श्रेणी में आता है, लेकिन जब बात कैशलेस लेनदेन की होती है, तो यहां रोजमर्रा के काम के लिए भी नगदी का इस्तेमाल नहीं होता. यहां मोबाइल पेमेंट्स के जरिये सबसे ज्यादा लेनदेन होता है. डेबिट और क्रेडिट कार्ड की इसमें भागीदारी महज 5 फीसदी है.
कनाडा : कैशलेस इकोनॉमी के हिसाब से कनाडा सबसे बेहतर माना जाता है. यहां 56 फीसदी से भी ज्यादा लोग ई-वॉलेट का इस्तेमाल करते हैं. जबकि 70 फीसदी लोग क्रेडिट व डेबिट कार्ड का यूज करते हैं. यहां पिछले चार सालों से नये नोट नहीं छापे गए हैं.
केन्या : केन्या में 1.5 करोड़ से भी ज्यादा लोग एम-पेसा नाम की मनी ट्रांसफर ऐप का इस्तेमाल करते हैं. यहां के लोग इसके जरिये न सिर्फ अपने रोजमर्रा के काम निपटाते हैं, बल्कि स्कूल फीस भी इसी से भरते हैं. कुछ कारोबारी अपने मजदूरों को सैलरी भी एम-पेसा के जरिये ही भेजते हैं.
साउथ कोरिया : साउथ कोरिया में अगर आप क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट करते हैं, तो आपको टैक्स में छूट मिलती है. यही नहीं, यहां कैशलेस लेनदेन करने वाले को सरकार सरकारी योजनाओं में विशेष छूट देती है.
नाइजीरिया : नाइजीरिया की सरकार ने खुद की इकोनॉमी को मजबूत बनाने के लिए पहला कदम कैशलेस होने का उठाया है. यहां के केंद्रीय बैंक ने कैशलेस नाइजीरिया प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसके जरिये जहां कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा दिया जाता है. वहीं, कैश में लेनदेन पर चार्ज वसूला जाता है.
हालांकि कैशलेस होने के मामले में भारत अभी अन्य कई देशों से पीछे है. आगे हम आपको बता रहे हैं, दुनिया के 10 ऐसे देशों के बारे में, जो कैशलेस ट्रांजैक्शन के मामले में सबसे आगे हैं.
स्वीडन : यहां की अर्थव्यवस्था में नगदी में लेनदेन की भागीदारी सिर्फ 3 फीसदी है. यहां आपको सब्जी खरीदने से लेकर बस का किराया भरने तक कैशलेस पेमेंट करनी होती है. स्वीडन 2030 तक दुनिया का पहला 100 फीसदी कैशलेस देश बनने की तैयारी कर रहा है.
नोर्वे : जिस साल भारत में नोटबंदी की घोषणा हुई, उसी साल की शुरुआत में नॉर्वे में कैश का इस्तेमाल कम करने का आह्वान किया गया. यहां के राष्ट्रीय बैंक डीएनबी ने लोगों को नगदी का कम यूज करने के लिए कहा. तब से यहां आप अगर अखबार भी खरीदते हैं, तो उसके लिए भी मोबाइल से पेमेंट करते हैं.
डेनमार्क : डेनमार्क की एक तिहाई से ज्यादा जनसंख्या सेलफोन ऐप मोबाइलपे का इस्तेमाल करती है. यहां दुकानों, रेस्तरां और पेट्रोल पंपों को कानूनी तौर पर छूट है कि वे कैश लेने से इनकार कर सकते हैं.
बेल्जियम : बेल्जियम की 93 फीसदी जनसंख्या कैशलेस लेनदेन करती है. यहां 83 फीसदी लोगों के पास डेबिट कार्ड है. यहां की सरकार ने नगदी में लेनदेन के लिए 3000 यूरो की सीमा तय कर रखी है.
फ्रांस : फ्रांस डिजिटल पेमेंट के मामले में काफी आगे बढ़ गया है. यहां मोबाइल वॉलेट और पीओएस मशीन ही यूज नहीं होतीं, बल्कि कॉन्टैक्ट लेस कार्ड्स भी इस्तेमाल किए जाते हैं. यहां करीब 92 फीसदी जनसंख्या कैशलेस लेनदेन करती है.
सोमालीलैंड : अफ्रीकी देश सोमालीलैंड वैसे तो सबसे गरीब देशों की श्रेणी में आता है, लेकिन जब बात कैशलेस लेनदेन की होती है, तो यहां रोजमर्रा के काम के लिए भी नगदी का इस्तेमाल नहीं होता. यहां मोबाइल पेमेंट्स के जरिये सबसे ज्यादा लेनदेन होता है. डेबिट और क्रेडिट कार्ड की इसमें भागीदारी महज 5 फीसदी है.
कनाडा : कैशलेस इकोनॉमी के हिसाब से कनाडा सबसे बेहतर माना जाता है. यहां 56 फीसदी से भी ज्यादा लोग ई-वॉलेट का इस्तेमाल करते हैं. जबकि 70 फीसदी लोग क्रेडिट व डेबिट कार्ड का यूज करते हैं. यहां पिछले चार सालों से नये नोट नहीं छापे गए हैं.
केन्या : केन्या में 1.5 करोड़ से भी ज्यादा लोग एम-पेसा नाम की मनी ट्रांसफर ऐप का इस्तेमाल करते हैं. यहां के लोग इसके जरिये न सिर्फ अपने रोजमर्रा के काम निपटाते हैं, बल्कि स्कूल फीस भी इसी से भरते हैं. कुछ कारोबारी अपने मजदूरों को सैलरी भी एम-पेसा के जरिये ही भेजते हैं.
साउथ कोरिया : साउथ कोरिया में अगर आप क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट करते हैं, तो आपको टैक्स में छूट मिलती है. यही नहीं, यहां कैशलेस लेनदेन करने वाले को सरकार सरकारी योजनाओं में विशेष छूट देती है.
नाइजीरिया : नाइजीरिया की सरकार ने खुद की इकोनॉमी को मजबूत बनाने के लिए पहला कदम कैशलेस होने का उठाया है. यहां के केंद्रीय बैंक ने कैशलेस नाइजीरिया प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसके जरिये जहां कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा दिया जाता है. वहीं, कैश में लेनदेन पर चार्ज वसूला जाता है.
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