गूगल के CEO सुंदर पिचाई के जीवन के बारे में About Sundar Pichai
20 August 2017
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सुंदर पिचाई को कौन नहीं जानता. वे दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनी गूगल के CEO हे. इस पद पर पहुँचने का रास्ता इतना आसान नहीं था. इस सफलता का राज सुंदर के अच्छा स्वभाव और टेक्नोलॉजी की अच्छी समझ हे. आईये जानते हे उनकी जिंदगी के सफर के बारे में.
जन्म
सुंदर पिचाई का जन्म 12 जुलाई 1972 को मदुरई में हुआ था. वे अभी केलिफोर्निया के लोस अल्टास हिल्स में रहते हे. इनकी शिक्षा IIT खड़गपुर में हुयी थी. इन्हें बचपन से ही टेक्नोलॉजी से प्यार हे.
टेक्नोलॉजी से रहा हमेशा प्यार
सुंदर को शुरू से ही टेक्नोलॉजी के बारे में काफी जिज्ञासा थी. पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट सुंदर का पसंदीदा गेम था. उनके घर में ना तो टेलीविजन था और ना टेलीफ़ोन. परिवार दो कमरों के एक तंग फ्लेट में रहता था. जब सुंदर 12 साल के हुए तब उनके घर में टेलीफ़ोन लगा. टेलीफ़ोन उनके लिए किसी जादुई शक्ति से कम नहीं था. इससे उन्हें टेक्नोलॉजी की जादुई शक्ति का पता चला और उन्हें इस बात का पता चला की उनमे किसी भी संख्या को याद रखने की अद्भुत क्षमता हे.
लव स्टोरी और शादी
जब सुंदर IIT खड़गपुर में थे तब उनकी मुलाकात अंजली से हुयी थी. दोनों एक ही बैच में पढ़ते थे. जल्द ही दोनों अच्छे दोस्त बन गए. कॉलेज के अंतिम वर्ष में सुंदर ने अंजली से अपने प्यार का इजहार कर दिया और अंजली नी हामी भर दी. सुंदर जब आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए तो उन्हें अंजली की बहुत याद सताती थी. पैसों की किल्लत के कारण फोन पर भी बात नहीं कर पाते थे. बाद में अंजली सुंदर से शादी करके अमेरिका चली गई. आज उनके दो बच्चे हे. बेटी का नाम काव्य हे तो बेटे का नाम किरण हे.
गूगल ने बदल दी जिंदगी
गूगल में नौकरी के लिए सुंदर ने जब आवेदन किया तो 1 अप्रैल को इंटरव्यू के लिए उन्हें बुलाया गया. पहले तो सुंदर को भरोसा ही नहीं हुआ. 2004 में सुंदर ने गूगल में बतौर प्रोडक्ट मेनेजर ज्वाइन किया और यहाँ से शुरू हुयी उनकी यात्रा. उन्होंने गूगल क्रोम, क्रोम O.S और गूगल ड्राइव को डवलप करने वाली टीम को लीड किया. 10 अगस्त 2015 को गूगल के संस्थापक लैरी पेज ने उन्हें गूगल का नया CEO चुना. माना जाता हे की गूगल में ऐसा कोई इंसान नहीं हे जिसके मन में सुंदर के लिए बैर हो. सब लोग सुंदर को पसंद करते थे.
सुंदर पिचाई का जन्म 12 जुलाई 1972 को मदुरई में हुआ था. वे अभी केलिफोर्निया के लोस अल्टास हिल्स में रहते हे. इनकी शिक्षा IIT खड़गपुर में हुयी थी. इन्हें बचपन से ही टेक्नोलॉजी से प्यार हे.
टेक्नोलॉजी से रहा हमेशा प्यार
सुंदर को शुरू से ही टेक्नोलॉजी के बारे में काफी जिज्ञासा थी. पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट सुंदर का पसंदीदा गेम था. उनके घर में ना तो टेलीविजन था और ना टेलीफ़ोन. परिवार दो कमरों के एक तंग फ्लेट में रहता था. जब सुंदर 12 साल के हुए तब उनके घर में टेलीफ़ोन लगा. टेलीफ़ोन उनके लिए किसी जादुई शक्ति से कम नहीं था. इससे उन्हें टेक्नोलॉजी की जादुई शक्ति का पता चला और उन्हें इस बात का पता चला की उनमे किसी भी संख्या को याद रखने की अद्भुत क्षमता हे.
लव स्टोरी और शादी
जब सुंदर IIT खड़गपुर में थे तब उनकी मुलाकात अंजली से हुयी थी. दोनों एक ही बैच में पढ़ते थे. जल्द ही दोनों अच्छे दोस्त बन गए. कॉलेज के अंतिम वर्ष में सुंदर ने अंजली से अपने प्यार का इजहार कर दिया और अंजली नी हामी भर दी. सुंदर जब आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए तो उन्हें अंजली की बहुत याद सताती थी. पैसों की किल्लत के कारण फोन पर भी बात नहीं कर पाते थे. बाद में अंजली सुंदर से शादी करके अमेरिका चली गई. आज उनके दो बच्चे हे. बेटी का नाम काव्य हे तो बेटे का नाम किरण हे.
गूगल ने बदल दी जिंदगी
गूगल में नौकरी के लिए सुंदर ने जब आवेदन किया तो 1 अप्रैल को इंटरव्यू के लिए उन्हें बुलाया गया. पहले तो सुंदर को भरोसा ही नहीं हुआ. 2004 में सुंदर ने गूगल में बतौर प्रोडक्ट मेनेजर ज्वाइन किया और यहाँ से शुरू हुयी उनकी यात्रा. उन्होंने गूगल क्रोम, क्रोम O.S और गूगल ड्राइव को डवलप करने वाली टीम को लीड किया. 10 अगस्त 2015 को गूगल के संस्थापक लैरी पेज ने उन्हें गूगल का नया CEO चुना. माना जाता हे की गूगल में ऐसा कोई इंसान नहीं हे जिसके मन में सुंदर के लिए बैर हो. सब लोग सुंदर को पसंद करते थे.
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