पुरुष होने के 6 साइड इफ़ेक्ट जानकार इमोशनल हो जायेंगे Male Side Effects
18 June 2017
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Side effect of hand practice
हम अक्सर महिलाओं के हक की बात करते हे और करनी भी चाहिए, क्योंकि लंबे समय से उनका कहीं ना कहीं, किसी ना किसी समय शोषण होता रहा हे और हमारे समाज की सोच भी ऐसी ही हे की महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कमतर आँका जाता हे.
लेकिन इन सब के बीच हम पुरुषों के हक या उनसे जुड़े कई सवेंदनशील मुद्दों को नजरअंदाज कर देते हे. पुरुष भी हमारे समाज का हिस्सा हे और उनसे जुड़े भी कई ऐसे मुद्दे हे जिन पर हमें चर्चा करनी चाहिए और अपनी विचारधारा को बदलना चहिये. पुरुष होने की भी अलग कीमत चुकानी पड़ती हे. आईये जानते हे पुरुष होने के साइड इफेक्ट्स क्या-क्या हे?
लेकिन इन सब के बीच हम पुरुषों के हक या उनसे जुड़े कई सवेंदनशील मुद्दों को नजरअंदाज कर देते हे. पुरुष भी हमारे समाज का हिस्सा हे और उनसे जुड़े भी कई ऐसे मुद्दे हे जिन पर हमें चर्चा करनी चाहिए और अपनी विचारधारा को बदलना चहिये. पुरुष होने की भी अलग कीमत चुकानी पड़ती हे. आईये जानते हे पुरुष होने के साइड इफेक्ट्स क्या-क्या हे?
Mens Side Effects
1. मर्द को कभी दर्द नहीं होता
हमारे जेहन में मर्द का नाम आते ही यह आता हे की मर्द तो सुपरमैन हे उसे कभी दर्द नहीं होता. लेकिन सच्चाई तो यह हे की मर्द हो या ओरत सभी को दर्द होता हे. स्ट्रोंग होने का यह मतलब नहीं हे की सामने वाले को कोई दर्द नहीं हे. पुरुष भी इंसान हे, उसमे भी फीलिंग्स हे, दर्द हे, खुशियाँ हे. हमें इस सोच से उबरना होगा की मर्द को कभी दर्द नहीं होता हे.
2. रोना तो लड़कियों का काम हे
बचपन से ही पुरुषों को यह सिखाया जाता हे की रोना-धोना तो लड़कियों का काम हे. तुम लड़के हो, मजबूत बनो. ऐसे में बचपन से ही लडको की यह मानसिकता बन जाती हे की अगर किसी के सामने रोया तो हमें कमजोर समझ लिया जायेगा और लोग मजाक बनायेंगे. यही वजह हे की अधिकतर पुरुष अपनी तकलीफ शेयर नहीं करते हे. वे अपने दर्द को दबाकर रखते हे. जिस वजह से उन्हें हार्ट सम्बधि बिमारियों का खतरा अधिक रहता हे.
1. मर्द को कभी दर्द नहीं होता
हमारे जेहन में मर्द का नाम आते ही यह आता हे की मर्द तो सुपरमैन हे उसे कभी दर्द नहीं होता. लेकिन सच्चाई तो यह हे की मर्द हो या ओरत सभी को दर्द होता हे. स्ट्रोंग होने का यह मतलब नहीं हे की सामने वाले को कोई दर्द नहीं हे. पुरुष भी इंसान हे, उसमे भी फीलिंग्स हे, दर्द हे, खुशियाँ हे. हमें इस सोच से उबरना होगा की मर्द को कभी दर्द नहीं होता हे.
2. रोना तो लड़कियों का काम हे
बचपन से ही पुरुषों को यह सिखाया जाता हे की रोना-धोना तो लड़कियों का काम हे. तुम लड़के हो, मजबूत बनो. ऐसे में बचपन से ही लडको की यह मानसिकता बन जाती हे की अगर किसी के सामने रोया तो हमें कमजोर समझ लिया जायेगा और लोग मजाक बनायेंगे. यही वजह हे की अधिकतर पुरुष अपनी तकलीफ शेयर नहीं करते हे. वे अपने दर्द को दबाकर रखते हे. जिस वजह से उन्हें हार्ट सम्बधि बिमारियों का खतरा अधिक रहता हे.
यह भी पढ़े कपड़े उतारकर सोने के यह फायदे शायद आप नहीं जानते होंगे
3. भावुक होना पुरुषों के कमजोर होने की निशानी हे
भावुक और संवेदनशील होना स्त्रियों की निशानी हे, अगर पुरुषों में यह बातें आ जाये तो यह अवगुण हे. अगर हम कभी ऐसे लड़के को देखते हे तो क्या कहते हे की कैसा इमोशनल लड़का हे. जबकि सच यह हे की पुरुष भी बेहद भावुक और संवेदनशील होते हे, लेकिन वे अपनी फीलिंग्स शेयर नहीं करते हे, क्योंकि हमारा समाज, पारिवारिक परिस्थिति ऐसा करने से रोक देती हे.
4. रिश्तों में दरार आई तो पुरुष ही जिम्मेदार हे
अगर कहीं कोई रिश्ता टूटता हे तो लोग आँखे बंद करके पुरुष पर ही सारा दोष डाल देते हे. हमें लगता हे की महिलाएं तो पूरी ईमानदारी से रिश्तों को निभाती हे और पुरुष अक्सर बेईमानी करते हे. लेकिन हर मामले में परिस्थितियां अलग होती हे. कई बार स्त्रियाँ भी जिम्मेदार होती हे और उनकी गलतियों की वजह से भी रिश्ते टूटते हे. लेकिन अगर स्त्री रो-धोकर ससुराल और पति पर आरोप लगा दे तो उसे हमदर्दी मिल जाती हे और हम सब आँखे मूंदकर पुरुष पर आरोप लगा देते हे.
5. बाहर का जितना भी काम होगा पुरुष ही करेंगे.
6. अगर पुरुष होकर घर का काम किया तो शर्म की बात हे.
यह सभी बातें बताती हे की पुरुष होना भी इजी नहीं हे. उसे भी समाज के ताने सुनने पड़ते हे. उसमे भी फीलिंग्स होती हे, उसे भी सुख-दुःख का पता होता हे. अगर आप इस बात से सहमत हे तो इस पोस्ट को शेयर करें और अपने विचार दे.
3. भावुक होना पुरुषों के कमजोर होने की निशानी हे
भावुक और संवेदनशील होना स्त्रियों की निशानी हे, अगर पुरुषों में यह बातें आ जाये तो यह अवगुण हे. अगर हम कभी ऐसे लड़के को देखते हे तो क्या कहते हे की कैसा इमोशनल लड़का हे. जबकि सच यह हे की पुरुष भी बेहद भावुक और संवेदनशील होते हे, लेकिन वे अपनी फीलिंग्स शेयर नहीं करते हे, क्योंकि हमारा समाज, पारिवारिक परिस्थिति ऐसा करने से रोक देती हे.
4. रिश्तों में दरार आई तो पुरुष ही जिम्मेदार हे
अगर कहीं कोई रिश्ता टूटता हे तो लोग आँखे बंद करके पुरुष पर ही सारा दोष डाल देते हे. हमें लगता हे की महिलाएं तो पूरी ईमानदारी से रिश्तों को निभाती हे और पुरुष अक्सर बेईमानी करते हे. लेकिन हर मामले में परिस्थितियां अलग होती हे. कई बार स्त्रियाँ भी जिम्मेदार होती हे और उनकी गलतियों की वजह से भी रिश्ते टूटते हे. लेकिन अगर स्त्री रो-धोकर ससुराल और पति पर आरोप लगा दे तो उसे हमदर्दी मिल जाती हे और हम सब आँखे मूंदकर पुरुष पर आरोप लगा देते हे.
5. बाहर का जितना भी काम होगा पुरुष ही करेंगे.
6. अगर पुरुष होकर घर का काम किया तो शर्म की बात हे.
यह सभी बातें बताती हे की पुरुष होना भी इजी नहीं हे. उसे भी समाज के ताने सुनने पड़ते हे. उसमे भी फीलिंग्स होती हे, उसे भी सुख-दुःख का पता होता हे. अगर आप इस बात से सहमत हे तो इस पोस्ट को शेयर करें और अपने विचार दे.
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