आखिर फांसी की सज़ा के बाद जज क्यों तोड़ देता हे कलम
26 May 2017
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आप अदालत जहाँ जज की कार्यवाई चलती हे और मुजरीम को सज़ा दी जाती हे वहां आप शायद नहीं गए होंगे, लेकिन आपने फिल्मों में अक्सर देखा होगा की जज सज़ा सुनाने के बाद अपनी कलम का निब तोड़ देता हे
जिसे बाद में कोई use ना कर सकें. अक्सर आपने देखा होगा की किसी को फांसी की सज़ा सुनाने के बाद जज अपनी कलम तोड़ देता हे. आखिर इसके पीछे कारण क्या हे वो आज में आपको इस पोस्ट में बताऊंगा.
जिसे बाद में कोई use ना कर सकें. अक्सर आपने देखा होगा की किसी को फांसी की सज़ा सुनाने के बाद जज अपनी कलम तोड़ देता हे. आखिर इसके पीछे कारण क्या हे वो आज में आपको इस पोस्ट में बताऊंगा.
Why Break Pen After Announce Punishment
जब किसी को फांसी की सज़ा दी जाती हे तो वो अपने आप में एक बहुत बड़ी सज़ा होती हे. फांसी की सज़ा उसे ही मिलती हे जिसने कोई गंभीर अपराध किया हो. इसलिए उसे मौत की सज़ा सुनाई जाती हे. हाल ही में निर्भया काण्ड के अपराधियों को फांसी की सज़ा सुनाई गयी थी. एक कारण यह हे की जब जज किसी को फांसी की सज़ा देता हे तो जिस कलम से उसे फांसी की सज़ा दी जाती हे उसे भी मौत की सज़ा दे दी जाती हे.
जब किसी को फांसी की सज़ा दी जाती हे तो वो अपने आप में एक बहुत बड़ी सज़ा होती हे. फांसी की सज़ा उसे ही मिलती हे जिसने कोई गंभीर अपराध किया हो. इसलिए उसे मौत की सज़ा सुनाई जाती हे. हाल ही में निर्भया काण्ड के अपराधियों को फांसी की सज़ा सुनाई गयी थी. एक कारण यह हे की जब जज किसी को फांसी की सज़ा देता हे तो जिस कलम से उसे फांसी की सज़ा दी जाती हे उसे भी मौत की सज़ा दे दी जाती हे.
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इसका मतलब यह हे की उस कलम को भी मनहूस माना जाता हे जिसने किसी की जिंदगी ले ली हे. कलम को इसलिए भी तोड़ा जाता हे की ताकि इससे दोबारा किसी को फांसी की सज़ा ना सुने जाए और इसके बाद कोई ऐसा अपराध ना करें. कलम की निब तोड़ने का एक कारण यह भी हे की जज उस कलम को तोड़कर अपना प्रायश्चित करते हे. जिस तरह कलम से लिखी हुयी बात कोई नहीं मिटा सकता उसी तरह इस सज़ा को भी कोई नहीं रोक सकता.
जिस कलम से किसी की जिंदगी लिखी जाती हे अगर उसी कलम से किसी की जिंदगी ले ली जाये तो उसे रखना अच्छा भी नहीं माना जाता. इस लिए उस मनहूस कलम को तोड़ दिया जाता हे. इसलिए जज फांसी की सज़ा के बाद कलम तोड़ देता हे.
इसका मतलब यह हे की उस कलम को भी मनहूस माना जाता हे जिसने किसी की जिंदगी ले ली हे. कलम को इसलिए भी तोड़ा जाता हे की ताकि इससे दोबारा किसी को फांसी की सज़ा ना सुने जाए और इसके बाद कोई ऐसा अपराध ना करें. कलम की निब तोड़ने का एक कारण यह भी हे की जज उस कलम को तोड़कर अपना प्रायश्चित करते हे. जिस तरह कलम से लिखी हुयी बात कोई नहीं मिटा सकता उसी तरह इस सज़ा को भी कोई नहीं रोक सकता.
जिस कलम से किसी की जिंदगी लिखी जाती हे अगर उसी कलम से किसी की जिंदगी ले ली जाये तो उसे रखना अच्छा भी नहीं माना जाता. इस लिए उस मनहूस कलम को तोड़ दिया जाता हे. इसलिए जज फांसी की सज़ा के बाद कलम तोड़ देता हे.
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