इनके श्राप के कारण अलग हुए थे राम और सीता..Ram And Sita Breakup Story
19 May 2017
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हम यह सुनते आये हे की कैकेयी के कारण राम और सीता को 14 साल का वनवास मिला था और बाद में रावण सीता का अपहरण करके ले गया. जिसकी वजह से राम को सीता का वियोग सहना पड़ा. लेकिन इसके पीछे का असली कारण कुछ और ही हे वो हे भगवान नारद मुनि का श्राप. आईये जानते हे पूरी कहानी.
कथाओं के अनुसार एक बार नारद जी को एक कन्या पसंद आ गयी थी. नारदजी उस कन्या से शादी करना चाहते थे. खुद के उस कन्या के जितना सुंदर बनाने के लिए भगवान विष्णु के पास गए और कहा की मुझे एक वरदान चाहिए. नारदजी ने विष्णुजी को प्पुरी बात बताये बिना ही कहा की मुझे हरि जैसी छवि दे दीजिये.
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एक हरि का मतलब होता हे भगवान विष्णु खुद और दुसरे हरी का मतलब होता हे वानर. नारदजी ने हरिमुख माँगा और भगवान ने हरीमुख यानी वानर का मुख दे दिया. जब उस मुख के लेकर वे स्वंयवर में पहुंचे तो लोगों ने उनका काफी मजाक उड़ाया. इस से क्रोधित होकर नारद मुनि ने भगवाण विष्णु को श्राप दिया की आपको भी एक समय देवी लक्ष्मी से दूर रहना पड़ेगा और आपका मिलाप भी एक वानर ही कराएगा.
एक हरि का मतलब होता हे भगवान विष्णु खुद और दुसरे हरी का मतलब होता हे वानर. नारदजी ने हरिमुख माँगा और भगवान ने हरीमुख यानी वानर का मुख दे दिया. जब उस मुख के लेकर वे स्वंयवर में पहुंचे तो लोगों ने उनका काफी मजाक उड़ाया. इस से क्रोधित होकर नारद मुनि ने भगवाण विष्णु को श्राप दिया की आपको भी एक समय देवी लक्ष्मी से दूर रहना पड़ेगा और आपका मिलाप भी एक वानर ही कराएगा.
आपने देखा ही होगा भगवान विष्णु और लक्ष्मी ने सतयुग में राम और सीता का अवतार लिया था. फिर सीता के अपहरण के बाद राम को वियोग सहना पड़ा था. हनुमान के कारण सीता का राम से मिलाप हुआ था.
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