द्रौपदी के कौमार्य का रहस्य मां ने बनाया पांचाली mahabharat draupadi hindi story


Did draupadi sleep with all pandavas - जैसा की महाभारत कथा में बताया गया हे द्रोपदी के 5 पति थे इसके बावजूद आजीवन उनका कौमार्य बना रहा इसलिए उन्‍हें कन्‍या कहा जाता था नारी नहीं।
 उज्‍जैन की ज्‍योतिषाचार्य रश्मि शर्मा बताती हैं कि इस संदर्भ में एक श्‍लोक है-
अहिल्या द्रोपदी कुन्ती तारा मन्दोदरी तथा
पंचकन्या स्वरानित्यम महापातका नाशका
इन पांच अक्षतकुमारियों अहिल्या‚ द्रोपदी‚ कुन्ती‚ तारा और मन्दोदरी के संदर्भ में कहा जाता है कि इनका स्मरण भी महापापों को भी नष्ट करने में सक्षम हैं। इस श्लोक में इन पात्रों के लिए कन्या शब्द का प्रयोग किया गया है, नारी शब्द का नहीं ऐसा क्‍यों है यह जानने के लिए द्रोपदी की कहानी जानते हैं।

 How draupadi managed 5 husbands 

द्रौपदी का विवाह महर्षि वेद व्‍यास ने पांडवों के साथ करवाया था। स्‍वयंवर की शर्त के अनुसार, अर्जुन ने अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करते हुए उन्होंने मछली की आंख पर निशाना लगाया। अर्जुन से विवाह करने के बाद द्रौपदी जब पांडवों के साथ उनके घर गईं तो उन्होंने अपनी मां से कहा, मां देखो हम क्या लाए हैं। उनकी मां ने बिना देखे पुत्रों से कहा कि वे जो भी लाए हैं उसे आपस में बांट लें।
मां ने बनाया पांचाली - मां का कहना टालना मुश्किल था इसलिए पांचों ने पांचाली से विवाह करने का निश्चय किया और मजबूरन पांचाली को सिर्फ अर्जुन की नहीं बल्कि पांडवों की पत्नी बनना स्वीकार करना पड़ा। वेद व्यास ने पांडवों के साथ पांचाली का विवाह करवाया।

वेद व्‍यास ने दिया आशीर्वाद - पांचों भाइयों की सुविधा को देखते हुए उनसे कहा कि द्रौपदी एक-एक वर्ष के लिए सभी पांडवों के साथ रहेंगी और जब वह एक भाई से दूसरे भाई के पास जाएगी, तो उसका कौमार्य पुन: वापस आ जाएगा। 

वेद व्यास ने ये भी कहा जब द्रौपदी एक भाई के साथ पत्नी के तौर पर रहेंगी तब अन्य चार भाई उनकी तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखेंगे। लेकिन शायद अर्जुन को वेद व्यास की ये शर्त और पांचाली का पांडवों से विवाह करना पसंद नहीं आया, तभी तो वह पति के रूप में भी कभी भी द्रौपदी के साथ सामान्य नहीं रह पाए।

पांच पति फिर भी नहीं मिला प्रेम - अलग-अलग साल द्रौपदी, अलग-अलग पांडव के साथ रहती थीं। एक पुरुष होने के नाते कोई भी पांडव अगले चार वर्ष तक अपनी काम वासना पर नियंत्रण नहीं कर पाया और द्रौपदी के इतर सबने अलग-अलग स्त्री को अपनी पत्नी बनाया। पांच पतियों की पत्नी होने के बावजूद द्रौपदी ताउम्र अपने पति के प्रेम के लिए तरसती रहीं। वह हर साल अलग-अलग पति की शारीरिक इच्छाएं पूरी करतीं, लेकिन पूर्ण रूप से वह किसी को नहीं पा सकीं

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