दो भाइयो की कहानी नीचा दिखाने का परिणाम business mans story
7 May 2017
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Best motivational story in hindi -
एक बूढ़े बाप के दो दो बेटे था। बड़े बेटे का नाम महेश और छोटे का नाम रमेश था। दोनों भाई बहुत जिद्दी थे एक दूसरे के निचे दिखाय बिना रह नहीं सकते। समय बितता गया दोनों भाई में समझदारी भी बढ़ती गई
दोनों भाई ने अपने अलग अलग दुकान खोल ली. दोनों को ब्यापार अच्छा चलता था लेकिन एक दिन घरायसी कारन के चलते दोनों में झगड़ा हो गया। छोटे भाई को बहुत गुस्सा आया और वह निर्णय किया की बड़े भाई का बिज़नेस ख़राब कर दूगा उनका दिवालिया निकल दूंगा
इसी के अनुसार वह अपनी दुकान में सामान बहुत सस्ती कर के बेचने लगा और छोटे भाई का ब्यापार भी बहुत तेजी से बढ़ा इसके साथ साथ छोटा भाई का स्टाफ तथा ऑफिस सञ्चालन खर्च भी बढ़ गया। इसके चलते बड़े भाई के ब्यापर में धीमा हो गया। उनका बिक्री काम होने लगा। लेकिन वह घबराय नहीं अपने तरीके से बिज़नेस करते रहे।
समय बीतता गया पांच बर्ष बाद बड़े भाई ने अपनी नयी कार भी खरीद ली और ने बांग्ला भी खरीद लिया और छोटे भाई से बहुत आगे निकल गया। यह सब देखके छोटे भाई का बहुत बड़ा झटका लगा इसे से ज्यादा sell मेरा है इससे ज्यादा इनकम भी मेरा है लेकिन इसने इतनी झलड़ी तरक्की कैसे कर ली ?यह बात सोच सोच कर वह बहुत परेशान होने लगा।
अंत में वह अपने पिता जी के पास गया और अपनी पूरी कहानी बताई। और छोटे भाई question किया की ऐसा क्यों हुवा ?
पिता जी बड़े आराम से बोले " बेटे बिज़नेस तुम भी करते हो और महेश भी करता है। लेकिन महेश कमाने के लिए करता है और तुम महेश का ब्यापार बंद करने के लिए करते हो ? लेकिन उसके ब्यापार बंद करने के लिए तुम अपनी सामान में नफा बहुत काम रख कर बिक्री किया और महेश जो है वह अपने सामान में अपना चलन चलती अनुसार नाफा रखे के बिक्री करता है। अब तुम बताओ बेटे महेश एक पेन पांच रुपए में बेच कर
रु 1.50 कमाता है और तुम वही पेनको 4 रुपये में बेच कर सिर्फ 24 पैसे कमाते हो और इसमें उपरसे तुम्हारे स्टाफ, गोदाम भाड़ा और सन्चालन खर्च भी ज्यादा है। इसी लिए तुम्हारा बिज़नेस तो बड़ा होगया लेकिन नाफ़ा नहीं बढ़ पाई और महेश के बिज़नेस धीरे धीरे चला और वह बनिया नाफ़ा रखके बनिया कमी कर ली और वह आज तुमसे ज्यादा सफल है। "
दोस्तों हम कोई भी काम करे बस उसे किसी का बुरा नहीं होना चाहिए , किसीको निचा दिखाने के लिए काम नहीं करना चाहिए। हमें सबका साथ लेकर काम करना चाहिए।
दोनों भाई ने अपने अलग अलग दुकान खोल ली. दोनों को ब्यापार अच्छा चलता था लेकिन एक दिन घरायसी कारन के चलते दोनों में झगड़ा हो गया। छोटे भाई को बहुत गुस्सा आया और वह निर्णय किया की बड़े भाई का बिज़नेस ख़राब कर दूगा उनका दिवालिया निकल दूंगा
इसी के अनुसार वह अपनी दुकान में सामान बहुत सस्ती कर के बेचने लगा और छोटे भाई का ब्यापार भी बहुत तेजी से बढ़ा इसके साथ साथ छोटा भाई का स्टाफ तथा ऑफिस सञ्चालन खर्च भी बढ़ गया। इसके चलते बड़े भाई के ब्यापर में धीमा हो गया। उनका बिक्री काम होने लगा। लेकिन वह घबराय नहीं अपने तरीके से बिज़नेस करते रहे।
अंत में वह अपने पिता जी के पास गया और अपनी पूरी कहानी बताई। और छोटे भाई question किया की ऐसा क्यों हुवा ?
पिता जी बड़े आराम से बोले " बेटे बिज़नेस तुम भी करते हो और महेश भी करता है। लेकिन महेश कमाने के लिए करता है और तुम महेश का ब्यापार बंद करने के लिए करते हो ? लेकिन उसके ब्यापार बंद करने के लिए तुम अपनी सामान में नफा बहुत काम रख कर बिक्री किया और महेश जो है वह अपने सामान में अपना चलन चलती अनुसार नाफा रखे के बिक्री करता है। अब तुम बताओ बेटे महेश एक पेन पांच रुपए में बेच कर
रु 1.50 कमाता है और तुम वही पेनको 4 रुपये में बेच कर सिर्फ 24 पैसे कमाते हो और इसमें उपरसे तुम्हारे स्टाफ, गोदाम भाड़ा और सन्चालन खर्च भी ज्यादा है। इसी लिए तुम्हारा बिज़नेस तो बड़ा होगया लेकिन नाफ़ा नहीं बढ़ पाई और महेश के बिज़नेस धीरे धीरे चला और वह बनिया नाफ़ा रखके बनिया कमी कर ली और वह आज तुमसे ज्यादा सफल है। "
- आगे पढ़े - कहानी दुनिया में ईमानदारी और भलाई की
दोस्तों हम कोई भी काम करे बस उसे किसी का बुरा नहीं होना चाहिए , किसीको निचा दिखाने के लिए काम नहीं करना चाहिए। हमें सबका साथ लेकर काम करना चाहिए।
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