कहानी सर्कस के टिकट की..Story For Circus’S Ticket


किशोरावस्था की बात है. एक दिन में पिता के साथ सर्कस देखने गया. हम टिकट खरीदने के लिए लाइन में खड़े थे. काफी देर बाद अब हमारे और टिकट खिड़की के बीच में सिर्फ एक परिवार बचा था. मैं उस परिवार से काफी प्रभावित था. 12 साल से कम उम्र के कुल आठ बच्चे थे. साफ नजर आ रहा था की वे अमीर घर के नही थे. उनके कपड़े तो नये नही थे, लेकिन साफ थे. उनका व्यवहार काफी अच्छा था और वे सभी अपने माता-पिता के पीछे हाथ थमाकर कतार में खड़े थे. वे बहुत रोमांचित होकर बाते कर रहे थे की सर्कस में उन्हें जोकर, हाथी और न जाने कितने सारे बढ़िया करतब देखने को मिलेंगे. यह अंदाज लगाना मुश्किल नही था कि वे पहली बार सर्कस देखने आए थे.
यह बात तय थी की यह उनके बचपन का एक प्रमुख आकर्षण होने वाला था. उनके माता-पिता काफी गर्व से सबसे आगे खड़े हुए थे. माँ अपने पति का हाथ थामकर उन्हें इस तरह से देख रही थी, जैसे कह रही हो,'तुम मेरे हीरो हो.' पिता गर्व से मुस्कुराते हुए अपनी पत्नी की तरफ ऐसे देख रहा था. जैसे कह रहा हो, 'तुम बिल्कुल सही सोचती हो.' टिकट क्लर्क ने पिता से पूछा की उन्हें कितने टिकट चाहिए. पिता ने गर्व से जवाब दिया, 'बच्चो के आठ टिकट और वयस्को के दो टिकट. मैं अपने पूरे परिवार को सर्कस दिखाने लाया हु.

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टिकट क्लर्क ने उसे पैसे जोड़कर बता दिए. यह आंकड़ा सुनकर उस आदमी की पत्नी ने उसका हाथ छोड़ दिया और उसका सिर लटक गया. उस आदमी के होठ कापने लगे. खिड़की की तरफ झुकते हुए उसने पूछा, 'अपने कितने पैसे बताए?' टिकट क्लर्क ने दोबारा पैसे बता दिए. उस आदमी के पास उतने पैसे नही थे. अब वह कैसे मुड़कर अपने बच्चो को बताता की उसके पास उन्हें सर्कस दिखाने लायक पैसे नही थे?

मेरे डैडी यह सब देख रहे थे. उन्होंने अपनी जेब में हाथ डालकर 20 डॉलर का नोट निकाला और उसे नीचे गिरा दिया.(हम किसी भी तरह से दौलतमंद नही थे) मेरे पिता ने झुककर नोट उठाया और उस आदमी का कंधा थपथपाकर कहा, 'माफ़ कीजिए, आपकी जेब से यह नोट गिर गया है.'


वह आदमी जानता था कि क्या हो रहा था. वह मदद की भीख नही मांग रहां था, लेकिन इतनी हताशापूर्ण, दिल तोड़ने वाली शर्मनाक स्थिति में उसे मदद की जरूरत थी. वह मदद पाकर बहुत कृतज्ञ हुआ और उसने मेरे डैडी की आँखों में झांककर देखा. फिर उसने मेरी डैडी के हाथ को अपने हाथों में दबाया और 20 डॉलर का नोट ले लिया. उसने होठ थरथरा रहे थे और उसके गाल पर एक आँसू बह रहा था. उसने मेरे डैडी से कहा, 'धन्यवाद, धन्यवाद सर. यह मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत मायने रखता है.' मेरे डैडी और में अपनी कर में बैठकर घर चले आए. हम उस रात को सर्कस तो नही देख पाए, लेकिन हमने बहुत कुछ सिख लिया था. सच में किसी की मदद करके देखो अच्छा लगता हे.

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