आँखों के रोग, देखभाल, नेत्र झुर्रियाँ डार्क सर्कल्स | Eyes Treatments hindi


कम उम्र में चश्मा लग जाना आजकल एक सामान्य सी बात है। इस समस्या से जुझ रहे लोग इसे मजबूरी मानकर हमेशा के लिए अपना लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर किसी कारण से एक बार चश्मा लग जाए तो वह उतर नहीं सकता। 

चश्मा लगने का सबसे प्रमुख कारण आंखों की ठीक से देखभाल न करना, पोषक तत्वों की कमी या अनुवांशिक हो सकते हैं। इनमें से अनुवांशिक कारण को छोड़कर अन्य कारणों से लगा चश्मा सही देखभाल व खानपान का ध्यान रखने के साथ ही देसी नुस्खे अपनाकर उतारा जा सकता है।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही घरेलू नुस्खे जो आंखों की समस्या में रामबाण की तरह काम करते हैं....



सुबह दांत साफ करके, मुँह में पानी भरकर मुँह फुला लें। इसके बाद आखॉं पर ठ्ण्डे जल के छीटे मारें। प्रातिदिन इस प्रकार दिन तीन बार प्रात: दोपहर तथा सांयकाल ठ्ण्डे जल से मुख भरकर, मुँह फुलाकर ठ्ण्डे जल से ही आखॉं पर हल्के छींटे मारने से नेत्र में तेजी का अहसास होता है और किसी प्रकार नेत्र विकार नहीं होता ।
विशेष - ध्यान रहे कि मुँह का पाने गर्म न होनी पाये। गर्म होने से पानी बदल लें । मुँह से पाने निकालते समय भी पूरे जोर से मुँह फुलाते हुए वेग से पानी छोड़ने से ज्यादा लाभ होता है, आँखों के आस पास झुर्रियाँ नहीं पड़ती

बादाम से अपनी आखों के आसपास मसाज करें। इससे ब्ल्ड सर्कुलेशन बढ़ता है।

रात को मिट्टी के बर्तन में दो चम्मच त्रिफला एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छानकर उस पानी से आंखे धोने से आंखे स्वस्थ रहती हैं ।

रूई को गुलाबजल में भिंगाकर आंखों पर एक घंटा रखने से गर्मी से होने वाले नेत्र रोगों में आराम मिलता है।

कच्चे आलू को कद्दूकस कर लें। फिर इसका सारा जूस निकाल लें और उसे अपनी आंखों के आस-पास 10 मिनट के लिए लगाएं। इसके अलावा आप सोने से पहले आलू के पतले स्लाइस काटकर भी आंखों पर लगा सकते हैं। यह एक असरदार होम मेड तरीका है डार्क सर्कल्स को हटाने का।

खीरे के दो स्लाइसेज लें और आंखों पर लगाएं। यह आंखों की पफीनैस को दूर करता है और साथ ही आंखों को ठंडक भी पहुंचाता है।

रात को आठ बादाम की गिरी को पानी में डालकर छोड़ दें। सुबह उसे पीस कर पानी मिलाकर पी जाएं।

रुई को गर्म दूध में भिंगोकर ठंडा कर लें और फिर उसे आंखों पर रखें। आंखों को ठंडक मिलेगी

सूखे नारियल की गिरी और 60 ग्राम शक्कर मिलकर प्रतिदिन एक सप्ताह तक खाने से आंखों के सामान्य रोगों में लाभ होता है।

गन्ना व केला खाना आंखों के लिए हितकारी है।

एक गिलास नींबू पानी रोज पीने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।

मसूर की दाल घी में छौंक लगाकर खाने से भी आंखों को शक्ति मिलती है।



- पैर के तलवों पर सरसों के तेल की मालिश करके सोएं। सुबह के समय नंगे पैर हरी घास पर चलें व नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें आंखों की कमजोरी दूर हो जाएगी।

- एक चने के दाने जितनी फिटकरी को सेंककर सौ ग्राम गुलाबजल में डालें और रोजाना रात को सोते समय इस गुलाबजल की चार-पांच बूंद आंखों में डाले साथ पैर के तलवों पर घी की मालिश करें इससे चश्में के नंबर कम हो जाते हैं।

- आंवले के पानी से आंखें धोने से या गुलाबजल डालने से आंखें स्वस्थ रहती है।

- बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ व मिश्री तीनों को समान मात्रा में मिला लें। रोज इस मिश्रण को एक चम्मच मात्रा में एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।

- बेलपत्र का 20 से 50 मि.ली. रस पीने और 3 से 5 बूंद आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी रोग में आराम होता है।

- आंखों के हर प्रकार के रोग जैसे पानी गिरना , आंखें आना, आंखों की दुर्बलता, आदि होने पर रात को आठ बादाम भिगोकर सुबह पीस कर पानी में मिलाकर पी जाएं।


- कनपटी पर गाय के घी की हल्के हाथ से रोजाना कुछ देर मसाज करने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है।

- रात्रि में सोते समय अरण्डी का तेल या शहद आंखों में डालने से आंखों की सफेदी बढ़ती है।

- नींबू एवं गुलाबजल का समान मात्रा का मिश्रण एक-एक घण्टे के अंतर से आंखों में डालने से आखों को ठंडक मिलती है। हैं।

- त्रिफला चूर्ण को रात्रि में पानी में भीगोकर, सुबह छानकर उस पानी से आंखें धोने से नेत्रज्योति बढ़ती है।

- लघुपाठा नामक लता के पत्तियों के रस को भी नेत्र रोगों में प्रयोग कराने का विधान है।

- रोजाना दिन में कम से कम दो बार अपनी आंखों पर ठंडे पानी के छींटे जरूर मारें। रात को त्रिफला (हरड़, बहेड़ा व आंवला) को भिगोकर सुबह उस पानी से आंखे धोने से आंखों की बीमारियां दूर होती है व ज्योति बढ़ती है।

- एक चम्मच पानी में एक बूंद नींबू का रस डालकर दो-दो बूंद करके आंखों में डालें। इससे आंखें स्वस्थ रहती है।

- आंखों पर चोट लगी हो, जल गई हो, मिर्च मसाला गिरा हो, कोई कीड़ा गिर गया हो, आंख लाल हो, तो दूध गर्म करके उसमें रूई का फुआ डालकर ठंडा करके आंखों पर रखने से लाभ होता है।

- 1से 2 ग्राम मिश्री तथा जीरे को 2 से 5 ग्राम गाय के घी के साथ खाने से एवं लेंडीपीपर को छाछ में घिसकर आंखों में लगाने से रतौंधी में फायदा होता है।

- ठंडी ककड़ी या कच्चे आलू की स्लाइस काटकर दस मिनट आंखों पर रखें। पानी अधिक पीएं। पानी कमी से आंखों पर सूजन दिखाई देती हैं। सोने से 3 घंटे पहले भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से आंखे स्वस्थ रहती हैं।

- गुलाब जल का फोहा आंखों पर पर एक घंटा बांधने से गर्मी से होने वाली परेशानी में तुरंत आराम मिल जाता है

- श्याम तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिन तक आंखों में डालने से रतौंधी रोग में लाभ होता है। इस प्रयोग से आंखों का पीलापन भी मिटता है।

- केला, गन्ना खाना आंखों के लिए हितकारी है। गन्ने का रस पीएं। एक नींबू एक गिलास पानी में पीते रहने से जीवन भर नेत्र ज्योति बनी रहती है।

- हल्दी की गांठ को तुअर की दाल में उबालकर, छाया में सुखाकर, पानी में घिसकर सूर्यास्त से पूर्व दिन में दो बार आंख में काजल की तरह लगाने से आंखों की लालिमा दूर होती है व आंखें स्वस्थ रहती हैं।
- सुबह के समय उठकर बिना कुल्ला किये मुंह की लार (Saliva) अपनी आँखों में काजल की भाँती लगायें. लगातार ६ महीने करते रहने पर चश्मे का नंबर कम हो जाता है.








आँखों के रोग

नेत्रज्योति बढ़ाने के लिएः

पहला प्रयोगः इन्द्रवरणा (बड़ी इन्द्रफला) के फल को काटकर अंदर से बीज निकाल दें। इन्द्रवरणा की फाँक को रात्रि में सोते समय लेटकर (उतान) ललाट पर बाँध दें। आँख में उसका पानी न जाये, यह सावधानी रखें। इस प्रयोग से नेत्रज्योति बढ़ती है।

दूसरा प्रयोगः त्रिफला चूर्ण को रात्रि में पानी में भीगोकर, सुबह छानकर उस पानी से आँखें धोने से नेत्रज्योति बढ़ती है।

तीसरा प्रयोगः जलनेति करने से नेत्रज्योति बढ़ती है। इससे आँख, नाक, कान के समस्त रोग मिट जाते हैं। (आश्रम से प्रकाशित 'योगासन' पुस्तक में जलनेति का संपूर्ण विवरण दिया गया है।)


रतौंधी अर्थात् रात को न दिखना (Night Blindness)-

पहला प्रयोगः बेलपत्र का 20 से 50 मि.ली. रस पीने और 3 से 5 बूँद आँखों में आँजने से रतौंधी रोग में आराम होता है।

दूसरा प्रयोगः श्याम तुलसी के पत्तों का दो-दो बूँद रस 14 दिन तक आँखों में डालने से रतौंधी रोग में लाभ होता है। इस प्रयोग से आँखों का पीलापन भी मिटता है।

तीसरा प्रयोगः 1 से 2 ग्राम मिश्री तथा जीरे को 2 से 5 ग्राम गाय के घी के साथ खाने से एवं लेंडीपीपर को छाछ में घिसकर आँजने से रतौंधी में फायदा होता है।

चौथा प्रयोगः जीरा, आँवला एवं कपास के पत्तों को समान मात्रा में लेकर पीसकर सिर पर 21 दिन तक पट्टी बाँधने से रतौंधी में लाभ होता है।


आँखों का पीलापनः

रात्रि में सोते समय अरण्डी का तेल या शहद आँखों में डालने से आँखों की सफेदी बढ़ती है।


आँखों की लालिमाः

पहला प्रयोगः आँवले के पानी से आँखें धोने से या गुलाबजल डालने से लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः जामफल के पत्तों की पुल्टिस बनाकर (20-25 पत्तों को पीसकर, टिकिया जैसी बनाकर, कपड़े में बाँधकर) रात्रि में सोते समय आँख पर बाँधने से आँखों का दर्द मिटता है, सूजन और वेदना दूर होती है।

तीसरा प्रयोगः हल्दी की डली को तुअर की दाल में उबालकर, छाया में सुखाकर, पानी में घिसकर सूर्यास्त से पूर्व दिन में दो बार आँख में आँजने से आँखों की लालिमा, झामर एवं फूली में लाभ होता है।


आँखों का कालापनः

आँखों के नीचे के काले हिस्से पर सरसों के तेल की मालिश करने से तथा सूखे आँवले एवं मिश्री का चूर्ण समान मात्रा में 1 से 5 ग्राम तक सुबह-शाम पानी के साथ लेने से आँखों के पास के काले दाग दूर होते हैं।


आँखों की गर्मी या आँख आने परः

नींबू एवं गुलाबजल का समान मात्रा का मिश्रण एक-एक घण्टे के अंतर से आँखों में डालने से एवं हल्का-हल्का सेंक करते रहने से एक दिन में ही आयी हुई आँखें ठीक होती हैं।


आँख की अंजनी (मुहेरी या बिलनी) (Stye)-

हल्दी एवं लौंग को पानी में घिसकर गर्म करके अथवा चने की दाल को पीसकर पलकों पर लगाने से तीन दिन में ही गुहेरी मिट जाती है।


आँख में कचरा जाने परः

पहला प्रयोगः सौ ग्राम पानी में एक नींबू का रस डालकर आँखे धोने से कचरा निकल जाता है।

दूसरा प्रयोगः आँख में चूना जाने पर घी अथवा दही का तोर (पानी) आँजें।
आँख दुखने परः

गर्मी की वजह से आँखें दुखती हो तो लौकी को कद्दूकस करके उसकी पट्टी बाँधने से लाभ होता है।
आँखों से पानी बहने परः

पहला प्रयोगः आँखें बन्द करके बंद पलको पर नीम के पत्तों की लुगदी रखने से लाभ होता है। इससे आँखों का तेज भी बढ़ता है।

दूसरा प्रयोगः रोज जलनेति करें। 15 दिन तक केवल उबले हुए मूँग ही खायें। त्रिफला गुगल की 3-3 गोली दिन में तीन बार चबा-चबाकर खायें तथा रात्रि को सोते समय त्रिफला की तीन गोली गर्म पानी के साथ सेवन करें। बोरिक पावडर के पानी से आँखें धोयें इससे लाभ होता है।

मोतियाबिंद (Cataract) एवं झामर (तनाव)-

पहला प्रयोगः पलाश (टेसू) का अर्क आँखों में डालने से नये मोतियाबिंद में लाभ होता है। इससे झामर में भी लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः गुलाबजल में विषखपरा (पुनर्नवा) घिसकर आँजने से झामर में लाभ होता है।


चश्मा उतारने के लिएः

पहला प्रयोगः छः से आठ माह तक नियमित जलनेति करने से एवं पाँव के तलवों तथा कनपटी पर गाय का घी घिसने से लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः 7 बादाम, 5 ग्राम मिश्री और 5 ग्राम सौंफ दोनों को मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर रात्रि को सोने से पहले दूध के साथ लेने से नेत्रज्योति बढ़ती है।

तीसरा प्रयोगः एक चने के दाने जितनी फिटकरी को सेंककर सौ ग्राम गुलाबजल में डालें और प्रतिदिन रात्रि को सोते समय इस गुलाबजल की चार-पाँच बूँद आँखों में डालकर आँखों की पुतलियों को इधर-उधर घुमायें। साथ ही पैरों के तलुए में आधे घण्टे तक घी की मालिश करें। इससे आँखों के चश्मे के नंबर उतारने में सहायता मिलती है तथा मोतियाबिंद में लाभ होता है।

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