हिन्दू धर्म में क्यों होता हे एक ही गोत्र में शादी करने का विरोध
27 December 2016
Add Comment
हम जानते हे की हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार लड़के और लडकियां एक ही गोत्र में शादी नहीं कर सकती हे. यह परम्परा सालों से चली आ रही हे. लेकिन क्या हम इसका reason जानते हे की ऐसा क्यों होता हे और इसके पीछे क्या तर्क हे.
दो लोगों के गोत्र समान होने का मतलब हे की वे एक ही कुल के हे. इस तरह से उनमे पारिवारिक रिश्ता हो जाता हे. ऐसा माना जाता हे एक ही कुल या गोत्र में शादी करने से इंसान की बुद्धि खत्म हो जाती हे और बच्चे चांडाल श्रेणी में पैदा होते हे. वैदिक संस्कृति के अनुसार एक ही गोत्र में शादी करने से पति और पत्नी भाई-बहन हो जाते हे.
यह भी पढ़े अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय
किस गोत्र में शादी नहीं करनी चाहिए?
आदमी को तीन गोत्र छोड़ कर ही विवाह करना चाहिए. पहला माता का गोत्र, दूसरा खुद का गोत्र, तीसरा दादी का गोत्र. कही-कही लोग नानी का गोत्र भी छोड़ते हे.
science क्या मानता हे इसके बारे में
science का मानना हे की ऐसा प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है क्योंकि एक ही गोत्र या कुल में शादी-विवाह करने करने पर दम्पति की संतान आनुवांशिक दोषों के साथ पैदा होती है. ऐसे दम्पतियों की संतानों में एक सी विचारधारा होती है, कुछ नयापन देखने को नहीं मिलता.
किस गोत्र में शादी नहीं करनी चाहिए?
आदमी को तीन गोत्र छोड़ कर ही विवाह करना चाहिए. पहला माता का गोत्र, दूसरा खुद का गोत्र, तीसरा दादी का गोत्र. कही-कही लोग नानी का गोत्र भी छोड़ते हे.
science क्या मानता हे इसके बारे में
science का मानना हे की ऐसा प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है क्योंकि एक ही गोत्र या कुल में शादी-विवाह करने करने पर दम्पति की संतान आनुवांशिक दोषों के साथ पैदा होती है. ऐसे दम्पतियों की संतानों में एक सी विचारधारा होती है, कुछ नयापन देखने को नहीं मिलता.
0 Response to "हिन्दू धर्म में क्यों होता हे एक ही गोत्र में शादी करने का विरोध"
Post a Comment
Thanks for your valuable feedback.... We will review wait 1 to 2 week 🙏✅