महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई maharana pratap biography history height hindi
16 October 2016
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maharana pratap history in hindi full video english horse chetak akbar fight poem family tree gujarati pdf -भारत की संस्कृति दुनिया में सबसे पुरानी और पौराणिक कथाओ से भरपूर है. भारत शुरुआत से ही वीरो की धरती रहा है जहाँ अनेको सूरवीर पैदा हुए और अपनी मातृभूमि के लिए न्योछावर हुए. इस धरती पर कुछ वीर और बुद्धिमान लोगो ने जन्म लिया जैसे चक्रवर्ती सम्राट अशोक और गुरु चाणक्य. सम्राट अशोक जिसने अखण्ड भारत का निर्माण किया और चाणक्य जिसने अशोक का मार्गदर्शन किया और जिनकी नीतियों को आज भी दुनिया भर में अपनाया जाता है. ऐसे ही अनेक पराकर्मी राजाओ से सुशोभित है हमारा भारत.
आज हम आपको ऐसे वीर के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में हर कोई सुन कर गर्व महसूस करता है उस महावीर का नाम है – महाराणा प्रताप ! बचपन में या स्कूल में हमने महाराणा प्रताप के काफी किस्से और वीर गाथाएं सुनी थी तो आइये एक बार फिर नज़र डालते है.
आइये जानते है महाराणा प्रताप के कुछ रोचक तथ्य महाराणा प्रताप का height कद 7 फ़ीट 5 इंच था और अपने साथ 80 किलो का भला और 2 तलवार – वजन तक़रीबन 208 किलो उठा सकते थे. ऐसी बातें आज कल हमे काल्पनिक लगती है लेकिन ये सच्चाई है जो सीधे इतिहास से ली गयी है. इसके साथ साथ उनका एक कवच भी था जिसका वजन तक़रीबन 72 किलो था
महाराणा को राजा बनते नहीं देखना चाहते थे उनके सौतेले भाई: - महाराणा प्रताप के तीन सौतेले भाई थे और वे नहीं चाहते थे की महाराणा प्रताप राजा बने. लेकिन प्रजा और राजा उदय सिंह दोनों ही उनको राजा के रूप में मानते थे. यहाँ तक की कुछ राजपूत राजाओ ने राजा बनने की लालसा में अकबर के साथ हाथ मिला लिया और राजा उदय सिंह के विरुद्ध हो गए सन् 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में करीब बीस हजार राजपूतों को साथ लेकर महाराणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के अस्सी हजार की सेना का सामना किया. यह युद्ध काफी दिनों तक चला लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला. युद्ध के बाद कई दिनों तक जंगल में जीवन जीने के बाद मेहनत के साथ प्रताप ने नया नगर बसाया जिसे चावंड नाम दिया गया. अकबर ने बहुत प्रयास किया लेकिन वो प्रताप को अपने अधीन नहीं कर सका.
महाराणा प्रताप के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा- चेतक:maharana pratap horse -
इतिहास में जितनी चर्चा महाराणा प्रताप की है उतनी ही चेतक की, कहा जाता है कि चेतक कई फीट उंचे हाथी के मस्तक तक उछल सकता था. जिसका नाम ‘चेतक’ था. हल्दी घाटी युद्ध में अश्व चेतक की भी मृत्यु हुई. शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप को शक्ति सिंह ने बचाया। यह युद्ध केवल एक दिन चला परंतु इसमें सत्रह हजार लोग मारे गए। चेतक अरबी नस्ल का घोड़ा था जो लंबी-लंबी छलांगे मारने में माहिर था. chetak वफादारी के मामले में चेतक की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ घोड़ों में की गई है. प्रताप शोध प्रतिष्ठान के मुताबिक दोनों का साथ चार साल तक रहा। कहते यहां तक हैं कि हल्दीघाटी युद्ध में चेतक, अकबर के सेनापति मानसिंह के हाथी के मस्तक की उंचाई तक तक बाज की तरह उछल गया था। फिर महाराणा ने मानसिंह पर वार किया था। जब मुगल सेना महाराणा के पीछे लगी थी,तब चेतक उन्हें अपनी पीठ पर लादकर 26 फीट लंबे नाले को लांघ गया, जिसे मुगल फौज का कोई घुड़सवार पार न कर सका. प्रताप के साथ युद्ध में घायल चेतक को वीरगति मिली थी। वह अरबी नस्ल वाला नीले रंग का घोड़ा था तथा राजस्थान में लोग उसे आज भी उसी सम्मान से याद करते हैं, जो सम्मान वे महाराणा को देते हैं. वीरगति के बाद महाराणा ने स्वयं चेतक का अंतिम संस्कार किया था. हल्दीघाटी में उसकी समाधि है और मेवाड़ में लोग चेतक की बाहादुरी के लोकगीत गाते हैं
आइये जानते है महाराणा प्रताप के कुछ रोचक तथ्य महाराणा प्रताप का height कद 7 फ़ीट 5 इंच था और अपने साथ 80 किलो का भला और 2 तलवार – वजन तक़रीबन 208 किलो उठा सकते थे. ऐसी बातें आज कल हमे काल्पनिक लगती है लेकिन ये सच्चाई है जो सीधे इतिहास से ली गयी है. इसके साथ साथ उनका एक कवच भी था जिसका वजन तक़रीबन 72 किलो था
महाराणा को राजा बनते नहीं देखना चाहते थे उनके सौतेले भाई: - महाराणा प्रताप के तीन सौतेले भाई थे और वे नहीं चाहते थे की महाराणा प्रताप राजा बने. लेकिन प्रजा और राजा उदय सिंह दोनों ही उनको राजा के रूप में मानते थे. यहाँ तक की कुछ राजपूत राजाओ ने राजा बनने की लालसा में अकबर के साथ हाथ मिला लिया और राजा उदय सिंह के विरुद्ध हो गए सन् 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में करीब बीस हजार राजपूतों को साथ लेकर महाराणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के अस्सी हजार की सेना का सामना किया. यह युद्ध काफी दिनों तक चला लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला. युद्ध के बाद कई दिनों तक जंगल में जीवन जीने के बाद मेहनत के साथ प्रताप ने नया नगर बसाया जिसे चावंड नाम दिया गया. अकबर ने बहुत प्रयास किया लेकिन वो प्रताप को अपने अधीन नहीं कर सका.
महाराणा प्रताप के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा- चेतक:maharana pratap horse -
इतिहास में जितनी चर्चा महाराणा प्रताप की है उतनी ही चेतक की, कहा जाता है कि चेतक कई फीट उंचे हाथी के मस्तक तक उछल सकता था. जिसका नाम ‘चेतक’ था. हल्दी घाटी युद्ध में अश्व चेतक की भी मृत्यु हुई. शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप को शक्ति सिंह ने बचाया। यह युद्ध केवल एक दिन चला परंतु इसमें सत्रह हजार लोग मारे गए। चेतक अरबी नस्ल का घोड़ा था जो लंबी-लंबी छलांगे मारने में माहिर था. chetak वफादारी के मामले में चेतक की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ घोड़ों में की गई है. प्रताप शोध प्रतिष्ठान के मुताबिक दोनों का साथ चार साल तक रहा। कहते यहां तक हैं कि हल्दीघाटी युद्ध में चेतक, अकबर के सेनापति मानसिंह के हाथी के मस्तक की उंचाई तक तक बाज की तरह उछल गया था। फिर महाराणा ने मानसिंह पर वार किया था। जब मुगल सेना महाराणा के पीछे लगी थी,तब चेतक उन्हें अपनी पीठ पर लादकर 26 फीट लंबे नाले को लांघ गया, जिसे मुगल फौज का कोई घुड़सवार पार न कर सका. प्रताप के साथ युद्ध में घायल चेतक को वीरगति मिली थी। वह अरबी नस्ल वाला नीले रंग का घोड़ा था तथा राजस्थान में लोग उसे आज भी उसी सम्मान से याद करते हैं, जो सम्मान वे महाराणा को देते हैं. वीरगति के बाद महाराणा ने स्वयं चेतक का अंतिम संस्कार किया था. हल्दीघाटी में उसकी समाधि है और मेवाड़ में लोग चेतक की बाहादुरी के लोकगीत गाते हैं
MAHARANA PRATAP WAS A GREAT KING.................
ReplyDeleteMaharana ki mratyu kaise hui ye..to khi aapne bataya hi nai
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