खून की कमी के लक्षण, कारण और चिकित्सा
23 October 2016
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स्वस्थ मनुष्य का रक्त शवेत एवं लाल कणों के द्वारा बनता है इनकी सख्या 45 लाख से 55 लाख प्रति घन मिली मीटर में होती है. जब इनकी सख्या कम होने लगती है और हिमोग्लोबिन भी कम होता है उसी अवस्तथा को अरक्तता, रक्ताल्पता व एनीमिया कहते है. साधारणतया स्वस्थ्य शरीर में 14 ग्राम हीमोग्लोबिन 100 सी. सी रक्त में पाया जाता है. Khun Ki Kami Ke Lakshan, Reason Or Bachav Ke Upaay
लक्षण
हाथ-पैर, नाख़ून, जीभ, आँखे, चेहरा पीले रंग के हो जाते है. भूख की कमी, दुर्बलता, कमजोरी, थकावट, मन्दज्वर, थोड़ा-सा परिश्रम करने पर साँस फूलना, हाथ पैरो मे सुन्नता आदि के अतिरिक्त्त रोगी का चेहरा पतला पड़ने लगता है.
हाथ-पैर, नाख़ून, जीभ, आँखे, चेहरा पीले रंग के हो जाते है. भूख की कमी, दुर्बलता, कमजोरी, थकावट, मन्दज्वर, थोड़ा-सा परिश्रम करने पर साँस फूलना, हाथ पैरो मे सुन्नता आदि के अतिरिक्त्त रोगी का चेहरा पतला पड़ने लगता है.
यह भी पड़े शरीर में शक्ति और उर्जा बढ़ाने के उपाय
कारण
शरीर में आयरन की कमी होने पर, भोजन में लौह युक्त्त पदार्थो की कमी, किसी कारण से रक्तस्राव होने पर, खुनी बवासीर, तपेदिक, पाचन संस्थान में विकार जिसके कारण खाये गये आहार का रस न बनना इसके अतिरिक्त्त जल्दी-जल्दी गर्भवती होने स्त्रियों में रजो निर्वत्ति के समय व गर्भावस्था के समय यह रोग दिखाई देता है.
चिकित्सा
1. ग्वार पाठे का रस 2 चम्मच प्रतिदिन सेवन करना लाभकारी है. यह रस पित्त नली के दोष को दूर करता है.
2. पिसी हुई हल्दी 6 ग्राम को मट्ठे में मिलाकर सेवन करने से एक हफ्ते में इस रोग में लाभ मिलता है.
3. फिटकरी का फूल 2 चुटकी प्रतिदिन गाय के दूध के दही में मिलाकर एक सप्ताह सेवन करे.
4. बड़ी इलायची के दाने 3 ग्राम, बादाम 8 और छुआरा 2 नग तीनो को रात को एक बर्तन में भिगो दे प्रातः बादाम छीलकर और छुआरे की गुठली निकाल कर पिस ले उसके पश्चात थोड़ा सा मक्खन व् मिश्री मिलाकर प्रातः समय सेवन करे. रोज ताजा तैयार करे एक सप्ताह के प्रयोग से ही लाभ होगा.
कारण
शरीर में आयरन की कमी होने पर, भोजन में लौह युक्त्त पदार्थो की कमी, किसी कारण से रक्तस्राव होने पर, खुनी बवासीर, तपेदिक, पाचन संस्थान में विकार जिसके कारण खाये गये आहार का रस न बनना इसके अतिरिक्त्त जल्दी-जल्दी गर्भवती होने स्त्रियों में रजो निर्वत्ति के समय व गर्भावस्था के समय यह रोग दिखाई देता है.
चिकित्सा
1. ग्वार पाठे का रस 2 चम्मच प्रतिदिन सेवन करना लाभकारी है. यह रस पित्त नली के दोष को दूर करता है.
2. पिसी हुई हल्दी 6 ग्राम को मट्ठे में मिलाकर सेवन करने से एक हफ्ते में इस रोग में लाभ मिलता है.
3. फिटकरी का फूल 2 चुटकी प्रतिदिन गाय के दूध के दही में मिलाकर एक सप्ताह सेवन करे.
4. बड़ी इलायची के दाने 3 ग्राम, बादाम 8 और छुआरा 2 नग तीनो को रात को एक बर्तन में भिगो दे प्रातः बादाम छीलकर और छुआरे की गुठली निकाल कर पिस ले उसके पश्चात थोड़ा सा मक्खन व् मिश्री मिलाकर प्रातः समय सेवन करे. रोज ताजा तैयार करे एक सप्ताह के प्रयोग से ही लाभ होगा.
5. इस रोग में रोग के मूल कारण को जानना आवश्यक है तथा उसकी चिकित्सा के साथ भोजन पर भी ध्यान देना आवश्यक है. रोगी को दिन में 3-4 बार थोड़ा-थोड़ा दूध पीने के लिए दे. लाल टमाटर, गाजर, मूली, चुकन्दर, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन अधिक से अधिक करे. भोजन ताजा, सुपाच्य, हल्का संतुलित व् गर्म होने चाहिए.
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