टीबी से भी प्रभावित हो सकती है मातृत्व क्षमता ध्यान रखें इन बातों का


टीबी (माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरक्यूलोसिस) से पीड़ित हर दस महिलाओं में दो गर्भधारण नही कर पाती हैं. अधिकतर वे महिलाए इसकी चपेट में आती है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और जो संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आती है. यह बीमारी प्रमुख रूप से फेफड़ो को प्रभावित करती है, लेकिन समय रहते उपचार न कराया जाये तो शरीर के दूसरे भागो में भी फैल सकती है. ऐसे संक्रमण को द्धितीय संक्रमण खा जाता है.


यह किडनी ,पेल्विरक, फैलोपियन ट्यूब्स, गर्भाशय और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है. यह महिला और पुरुष, दोनों में बाझँपन का कारण बन सकता है. महिलाओं में टीबी के कारण जब गर्भाशय का संक्रमण हो जाता है तब उसकी सबसे अंदरूनी परत पतली हो जाती है, जिनके परिणामस्वरूप गर्भ या भ्रूण के ठीक तरीके से विकसित होने में बाधा आती है.

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चुकी यह बैक्टीरिया चुपके से आक्रमण करता है, इसलिए इसके लक्षणों को पहचानना मुश्किल है. कई मामलो में ये लक्षण संक्रमण काफी बढ़ जाने के बाद दिखाई देते है. टीबी की पहचान के पश्चात के पश्चात तुरंत उपचार प्रारंभ कर देना चाहिए ताकि और अधिक जटिलताएं ना हो. एंटीबॉयोटिक्स का छह से आठ महीनों का कोर्स है वह ठीक तरह से पूरा करना चाहिए, लेकिन यह उपचार फैलोपियन ट्यूब को ठीक करने का कोई आश्वासन नही देता है. उपचार के दौरान खानपान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मरीजो को एयरेटेड प्रोडक्ट्स, अल्कोहल, प्रोसेस्ड मीट और मीठी चीजो से बचना चाहिए. उनके भोजन में पत्तेदार सब्जियां, विटामिन डी और आयरन के सप्लेमेट्स, साबुत अनाज और वसा होना चाहिए.

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