भारत की एन एस जी से घबराया चीन what is nsg in indian ranking meaning hindi news
15 July 2016
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what is nsg membership in hindi भारत की एनएसजी यानी परमाणु आपूर्तिकता समूह मे भारतकी एंट्री को लेकर खासा हंगामा मचा हुआ है। चीन और पाकिस्तान की ओर से जहां भारत की इस ग्रुप में एंट्री को लेकर अपना विरोध जताया गया है तो वहीं अमेरिका ने भारत का इस मुद्दे पर समर्थन किया है। आइए आज आपको एनएसजी और इससे जुड़े कुछ खास तथ्यों के बारे में बताते हैं
क्या है एनएसजी nsg membership criteria- एनएसजी की स्थापना मई 1974 में की गई थी। भारत के पहले परमाणु परीक्षण के जवाब में इसकी स्थापना हुई। इस समूह में 48 देश मेंबर हैं। उसी वर्ष नवंबर में इस समूह के सदस्यों की पहली मुलाकात हुई। भारत के परीक्षण ने साबित कर दिया था कि न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी को हथियार बनाने के लिए भी प्रयोग में किया जा सकता है। जो राष्ट्र पहले ही नॉन प्रॉलिफिरेशन ट्रीटी यानी एनपीटी का हिस्सा थे उन्हें न्यूक्लियर इक्विपमेंट्स और टेक्नोलॉजी को सीमित करने की जरूरत महसूस हुई। इसके बाद वर्ष 1975 से 1978 के बीच लंदन मे कई मीटिंग्स हुई थीं। इन मीटिंग्स के बाद कुछ गाइडलाइंस निर्धारित की गईं। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एसोसिएशन की ओर से इन्हें 'ट्रिगर लिस्ट' टाइटल के साथ पब्लिश किया गया।
कैसे मिलती है सदस्यता indian nsg ranking in the world एनएसजी के दरवाजे सभी देशों के लिए खुले हैं लेकिन इसके बाद भी नए सदस्यों को कुछ नियम मानने होते हैं। सिर्फ उन्हीं देशों को मान्यता मिलती है जो एनपीटी या सीटीबीटी जैसी संधियों को साइन कर चुके होते हैं। एनएसजी की सदस्यता किसी भी देश को न्यूक्लियर टेक्नोलॉली और कच्चा माल ट्रांसफर करने में मदद करती है।
क्या है भारत का इतिहास भारत ने एनपीटी या सीटीबीटी जैसी संधि को साइन नहीं किया हुआ है। जुलाई 2006 में अमेरिकी कांग्रेस ने भारत के साथ नागरिक परमाणू आपूर्ति के लिए कानूनों में बदलाव की मंजूरी दे दी थी। वर्ष 2008 में अमेरिकी कांग्रेस ने भारत के साथ परमाणु व्यापार से जुड़े नियमों में बदलाव किया था। वर्ष 2010 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत की इस समूह में एंट्री के लिए अपना समर्थन दिया था
क्या है एनएसजी nsg membership criteria- एनएसजी की स्थापना मई 1974 में की गई थी। भारत के पहले परमाणु परीक्षण के जवाब में इसकी स्थापना हुई। इस समूह में 48 देश मेंबर हैं। उसी वर्ष नवंबर में इस समूह के सदस्यों की पहली मुलाकात हुई। भारत के परीक्षण ने साबित कर दिया था कि न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी को हथियार बनाने के लिए भी प्रयोग में किया जा सकता है। जो राष्ट्र पहले ही नॉन प्रॉलिफिरेशन ट्रीटी यानी एनपीटी का हिस्सा थे उन्हें न्यूक्लियर इक्विपमेंट्स और टेक्नोलॉजी को सीमित करने की जरूरत महसूस हुई। इसके बाद वर्ष 1975 से 1978 के बीच लंदन मे कई मीटिंग्स हुई थीं। इन मीटिंग्स के बाद कुछ गाइडलाइंस निर्धारित की गईं। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एसोसिएशन की ओर से इन्हें 'ट्रिगर लिस्ट' टाइटल के साथ पब्लिश किया गया।
कैसे मिलती है सदस्यता indian nsg ranking in the world एनएसजी के दरवाजे सभी देशों के लिए खुले हैं लेकिन इसके बाद भी नए सदस्यों को कुछ नियम मानने होते हैं। सिर्फ उन्हीं देशों को मान्यता मिलती है जो एनपीटी या सीटीबीटी जैसी संधियों को साइन कर चुके होते हैं। एनएसजी की सदस्यता किसी भी देश को न्यूक्लियर टेक्नोलॉली और कच्चा माल ट्रांसफर करने में मदद करती है।
क्या है भारत का इतिहास भारत ने एनपीटी या सीटीबीटी जैसी संधि को साइन नहीं किया हुआ है। जुलाई 2006 में अमेरिकी कांग्रेस ने भारत के साथ नागरिक परमाणू आपूर्ति के लिए कानूनों में बदलाव की मंजूरी दे दी थी। वर्ष 2008 में अमेरिकी कांग्रेस ने भारत के साथ परमाणु व्यापार से जुड़े नियमों में बदलाव किया था। वर्ष 2010 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत की इस समूह में एंट्री के लिए अपना समर्थन दिया था
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