कहानी पढ़े-लिखे होने का मतलब यह तो नहीं की आपके सारे फैसले सही हो
16 July 2016
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एक आदमी था जो सडक के किनारे समोसे बेचा करता था. वह अनपढ़ था, उसने इसलिए कभी अखबार नहीं पड़ा था. ऊँचा सुनाई देने की वजह से रेडियो भी नहीं सुना था. उसकी आँखे कमजोर थी, इसलिए उसने कभी टीवी भी नहीं देखा था. लेकिन वह ढेरो समोसे बड़े उत्साह से बेचा करता था. उसकी बिक्री और मुनाफा दिनों दिनों इतना बढ़ता गया की परिणाम स्वरूप उसे ज्यादा सामान और बड़ा चूल्हा खरीदना पड़ा. जब उसका व्यापार दिन दोगुना बढ़ रहा था, तब उसका बेट, जिसने हाल ही में कॉलेज की अपनी पढाई पूरी की थी, अपने बाप के साथ काम में जुट गया. उन्ही दिनों एक अजीब घटना घटी बेटे ने एक दिन अपने पिता से पूछा “पिताजी क्या व्यापार में आने वाली मंदी के बारे में आपको जानकारी हे??”
पिता ने जवाब दिया “नहीं, लेकिन मुझे इस बारे में बताओ.” बेटे ने आगे कहा, “इंटरनेशनल हालात बेहद खराब हे और देश के हालात तो उस से भी बुरे हे. हमें आने वाले बुरे दिनों के लिए तैयार रहना चाहिए.” पिता ने सोचा की उसका बेटा कॉलेज पढ़ चूका हे, अखबार पढता हे और रेडियो भी सुनता हे इसलिए उसे सब जानकारी हे. उसकी सलाह को हल्के ढंग से नहीं लेना चाहिए. इसलिए अगले ही दिन से पिता ने समोसों के कच्चे सामान की खरीद कम कर दी, दूकान का बोर्ड भी हटा दिया, काम में उसका उत्साह भी कम होता गया. जल्दी ही उसकी दूकान पर ग्राहकों का आना कम होता चला गया और उसकी बिक्री भी गिरने लगी. तब बाप ने बेटे से कहा, “तुम ठीक कह रहे थे, हम लोग मंदी के दोर से गुजर रहे हे. मुझे ख़ुशी हे की तुमने मुझे समय से पहले ही आगाह कर लिया था.”
A Real Life Changing Story In Hindi इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हे की हम बहुत बार अक्लमंदी और सही फैसले में फर्क नहीं कर पाते हे. एक इन्सान अक्लमंद तो हो सकता हे लेकिन उसके फैसले कभी गलत भी हो सकते हे. अगर आप में चरित्र, कमिटमेंट, दृढ विश्वास, विनम्रता और होसला हे तो आप पढ़े-लिखे लोगो से भी ज्यादा शिक्षित हे. जीवन में व्यवहारिक ज्ञान का होना भी जरुरी हे.
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