खुद का NGO बनाना चाहते हो तो करे Make Own NGO in Hindi


अखबारों में कई बार खबरें आती हे की बच्चो के लिए काम करने वाले NGO ने बाल श्रमिकों को छुड़वाया, महिला सुरक्षा के लिए बने NGO ने घरेलू हिंसा शिकार महिलाओं की मदद की. इस तरह बहुत सी खबरें NGO के संगठन के बारे में आती रहती हे. यह NGO ऐसे संगठन होते हे जो किसी विशेष उद्देश्य के लिए काम करते हे. ऐसे लोग जो समाज के लिए कुछ करना चाहते हे, लोगो की मदद करना चाहते हे वे लोग ही NGO की शुरुआत करते हे. हर NGO में यह ताकत होनी चाहिए की वो अपनी योजनायें क्रियान्वित कर सकें और अपने द्वारा किये गए कार्यों की जिम्मेदारी ले सकें. आज की इस पोस्ट में, में आपको यह बताऊंगा की खुद का NGO बनाने के लिए क्या करे.

1. अगर खोलना ही हे NGO तो
समाज के लिए लम्बे समय से काम कर रहे लोग NGO खोलने पर गंभीरता से विचार कर रहे हे. अपने कार्यों को संगठन का रूप देने के लिए इस दिशा में रूचि रखने वाले लोगों को एक साथ लेने में मदद मिलती हे, साथ ही इसके लिए फंड जुटाने में भी मदद मिलती हे. अगर कोई संगठन क़ानूनी चीजों के बारे में भी अच्छे से जनता हे तो वो इसमें अच्छा प्रदर्शन कर सकता हे.

2. एक उद्देश्य होना चाहिए
NGO खोलने के लिए सबसे पहले आपके जनहित से जुड़ा एक उद्देश्य होना चाहिए. संस्थापक के सामने आपके उद्देश्य लिखित रूप में हो, ताकि उसे अपनी संस्था का लक्ष्य पता रहे और साथ ही वो अपने साथ जुड़ने वाले लोगों को भी इसके बारे में बता सके. अगर ज्यादा संभावनाओं को जानना हे तो हो सके तो आप पहले किसी NGO के साथ कार्य करें.

3. जरुरी हे क़ानूनी पहल
NGO खोलने वाले अक्सर क़ानूनी सलाहकार नियुक्त करते हे. अब सबसे पहले आपको NGO को रजिस्टर करवाना होगा. भारत में यह रजिस्ट्रेशन इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट और कम्पनी एक्ट के तहत होता हे. रजिस्ट्रेशन से पहले आपको ऐसा नाम और लोगो चुनना होगा, जो भारत में पहले किसी संस्था ने ना ले रखा हो यानी लोगो और नाम कॉपी नहीं होना चाहिए.

4. सही तरह से संचालन कैसे हो
NGO का संचालन सामाजिक कार्यों से जुड़ा होता हे और इन जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाने के लिए उन्हें सरकारी एजेंसियों, दुसरे NGO, मीडिया, कारपोरेट सेक्टर आदि से तालमेल बैठाकर चलना होता हे.

5. जरुरी हे पारदर्शिता
NGO को करों में छुट मिलती हे. NGO सुचारू रूप से चलाने के लिए इसके कार्यों में पारदर्शिता बरतें. एक बार जब अनुदान या फंड मिलना स्टार्ट हो जाए तो मिलने वाले धन, खर्च आदि का पूरा ब्यौरा रखें. इस रिकॉर्ड का वित वर्ष के अंत में ऑडिट जरुर करवाएं. NGO के अकाउंट और अपने निजी अकाउंट को अलग अलग रखें.

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