गुरु की महिमा गुरु पूर्णिमा स्पेशल..Guru Purnima in Hindi
19 July 2016
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“गुरु गोविन्द दोनों खड़े काके लागू पाय !
बलिहारी गुरु आपने जिन गोविन्द दियो मिलाय !”
बलिहारी गुरु आपने जिन गोविन्द दियो मिलाय !”
अगर इश्वर और गुरु दोनों साथ खड़े हो तो विधार्थी किसे पहले प्रणाम करेगा? भारतीय संस्कृति के अनुसार जवाब हे – गुरु को, क्योकि बिना उसके मार्गदर्शन और मदद के विधार्थी इश्वर तक नही पहूच सकता.
एक गुरु वह होता हे जिसके बीते हुए कल आपके आने वाले कल के मार्गदर्शक बन सकते हे. किसी ऐसे आदर्श को खोजे जो आपको अपना शिष्य बना सकें. अपने आदर्श या गुरु का चुनाव सोच-समझकर करे. एक अच्छा गुरु आपको सही राह दिखा सकता हे, मगर एक घटिया गुरु आपको गुमराह कर सकता हे और भटका सकता हे. हमेशा अपने गुरु का सम्मान करे और उस से ज्ञान की इच्छा रखें. गुरु ज्ञान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले स्टूडेंट को ज्यादा पसंद करते हे. अच्छे गुरु आपकी प्यास नहीं बुझाते, बल्कि आपको प्यासा बनायेंगे. वे आपको जिज्ञासु बनाते हे.
पुराने समय में एक ऐसे राजा की कहानी हे जो किसी ऐसे व्यक्ति का सम्मान करना चाहता था जिसने समाज की उन्नति के लिए सबसे ज्यादा योगदान किया हो. हर तरह के लोग जिनमे, डॉक्टर और व्यवसायी भी आये थे, और सबने उस सम्मान को पाने के लिए अपना-अपना दावा पेश किया, मगर राजा उनसे प्रभावित नहीं हुआ. अंत में एक बुजुर्ग इंसान आया जिसके चेहरे पे एक अजीब सी चमक थी उसने खुद को एक शिक्षक बताया. राजा ने उसे झुककर प्रणाम किया और उस शिक्षक को सम्मानित किया, क्योकि समाज के भविष्य को बनाने और संवारने में सबसे बड़ा योगदान शिक्षक का ही होता हे.
आज वेसे भी गुरु पूर्णिमा हे. जिन्होंने अपना गुरु बना लिया हे वे उनकी पूजा करे और जिन्होंने गुरु नहीं बनाया हे. वे किसी को अपना गुरु बना ले. क्योकि जिंदगी में हमें सच्ची और अच्छी सलाह हमारा गुरु ही दे सकता.
“गुरु ही शक्ति, गुरु ही भक्ति और गुरु ही एक वरदान हे !
एक सच्ची सलाह और भविष्य के लिए वो ही एक अच्छा इंसान हे !!”
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आज वेसे भी गुरु पूर्णिमा हे. जिन्होंने अपना गुरु बना लिया हे वे उनकी पूजा करे और जिन्होंने गुरु नहीं बनाया हे. वे किसी को अपना गुरु बना ले. क्योकि जिंदगी में हमें सच्ची और अच्छी सलाह हमारा गुरु ही दे सकता.
“गुरु ही शक्ति, गुरु ही भक्ति और गुरु ही एक वरदान हे !
एक सच्ची सलाह और भविष्य के लिए वो ही एक अच्छा इंसान हे !!”
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