शव का अंतिम संस्कार हैरान कर देंगे ये विचित्र रीती-रिवाज
26 July 2016
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सबकी अलग-अलग प्रथा, रीती-रिवाज होते हे. मोत के बाद हर शव का अंतिम संस्कार उनकी रीती-रिवाज से होता हे. हिन्दुओं में शव को जलाया जाता हे तो मुसलमानों में शव को दफनाया जाता हे. लेकिन कुछ अलग जगहों पर अलग-अलग और विचित्र तरीके से भी अंतिम संस्कार होता हे. आज की इस पोस्ट में, में आपको ऐसे ही कुछ अंतिम संस्कार के बारे में बताऊंगा जो आपको हैरान कर देंगे.
1. यंहा शव को खाने की परंपरा (Eat The Dead Body)
यह परंपरा ब्राज़ील और न्यु गिनी के कुछ क्षेत्रों में हे. यंहा पे शव के शरीर को खाया जाता हे. यंहा पर शव को और किसी तरीके से खत्म करने की बजाय खा लिया जाता हे, क्योकि इन लोगों को खाने की सामग्री मुश्किल से मिलती हे. फिलहाल तो यह परंपरा बहुत ही कम जगह पर हे. (वेसे सही हे कुछ मिले ना मिले, मरने वाले को ही खा लो)
2. यंहा शव को गुफा में रखते हे या फिर पानी में बहा देते हे
पहले इसराइल और इराकी सभ्यता में लोग शव को शहर के बाहर बनाई गयी एक गुफा में छोड़ देते थे और गुफा को बाहर पत्थर से बंद कर दिया जाता था. ईसा को जब सूली पर चडाया गया तो उन्हें भी मृत समझकर गुफा में दफनाया था. दक्षिण अमेरिका की कई सभ्यताओं में शव को जल में बहा दिया जाता हे.
3. यंहा गला घोंटने की परंपरा हे
फिजी के दक्षिण प्रशांत द्वीप पर भारत की प्राचीन सती-प्रथा से मिलती जुलती परंपरा हे. इसमें शव के साथ उसके किसी एक प्रिय व्यक्ति को मरना पड़ता हे. वो भी अपने आप नहीं, उसका गला घोंटा जाता हे, इन लोगो का मानना हे की इस से मरने वाले को तकलीफ नहीं होती. (अब यह तो मरने वाले को पता हे की उसे कितनी तकलीफ होती हे..गजब बात हे)
4. यंहा शव को गिद्धों और चीलों का भोजन बनाया जाता हे
पारसी समुदाय में आज भी शव को ना दफनाया जाता हे और ना ही जलाया. यंहा शव को गिद्धों और चीलों का भोजन बनाया जाता हे. आधुनिक युग में तो सम्भव नहीं हे, क्योकि गिद्धों की संख्या तेजी से घट रही हे. इसलिए यह अब शव को कब्रिस्तान में रख देते हे. जंहा पर सोर उर्जा की बड़ी बड़ी प्लेटे लगी हे, जिसके तेज से शव धीरे-धीरे जलकर खत्म हो जाता हे. (यह तो वही बात हुयी, तडपा-तडपा के मारेंगे)
1. यंहा शव को खाने की परंपरा (Eat The Dead Body)
यह परंपरा ब्राज़ील और न्यु गिनी के कुछ क्षेत्रों में हे. यंहा पे शव के शरीर को खाया जाता हे. यंहा पर शव को और किसी तरीके से खत्म करने की बजाय खा लिया जाता हे, क्योकि इन लोगों को खाने की सामग्री मुश्किल से मिलती हे. फिलहाल तो यह परंपरा बहुत ही कम जगह पर हे. (वेसे सही हे कुछ मिले ना मिले, मरने वाले को ही खा लो)
2. यंहा शव को गुफा में रखते हे या फिर पानी में बहा देते हे
पहले इसराइल और इराकी सभ्यता में लोग शव को शहर के बाहर बनाई गयी एक गुफा में छोड़ देते थे और गुफा को बाहर पत्थर से बंद कर दिया जाता था. ईसा को जब सूली पर चडाया गया तो उन्हें भी मृत समझकर गुफा में दफनाया था. दक्षिण अमेरिका की कई सभ्यताओं में शव को जल में बहा दिया जाता हे.
3. यंहा गला घोंटने की परंपरा हे
फिजी के दक्षिण प्रशांत द्वीप पर भारत की प्राचीन सती-प्रथा से मिलती जुलती परंपरा हे. इसमें शव के साथ उसके किसी एक प्रिय व्यक्ति को मरना पड़ता हे. वो भी अपने आप नहीं, उसका गला घोंटा जाता हे, इन लोगो का मानना हे की इस से मरने वाले को तकलीफ नहीं होती. (अब यह तो मरने वाले को पता हे की उसे कितनी तकलीफ होती हे..गजब बात हे)
4. यंहा शव को गिद्धों और चीलों का भोजन बनाया जाता हे
पारसी समुदाय में आज भी शव को ना दफनाया जाता हे और ना ही जलाया. यंहा शव को गिद्धों और चीलों का भोजन बनाया जाता हे. आधुनिक युग में तो सम्भव नहीं हे, क्योकि गिद्धों की संख्या तेजी से घट रही हे. इसलिए यह अब शव को कब्रिस्तान में रख देते हे. जंहा पर सोर उर्जा की बड़ी बड़ी प्लेटे लगी हे, जिसके तेज से शव धीरे-धीरे जलकर खत्म हो जाता हे. (यह तो वही बात हुयी, तडपा-तडपा के मारेंगे)
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