एड्स कैसे होता है लक्षण इलाज aids kaise pata chalta hai in hindi
9 March 2019
2 Comments
Aids kaise hota hai Acquired Immuno Deficiency Syndrome मतलब एक ऐसी बीमारी जो रोग प्रतिकार शक्ति कम कर इंसानी शरीर में रोग लक्षण पैदा कर देता है और जल्द ही मौत का करण बनता है, इसलिए गंभीर और जानलेवा रोग है
HIV संक्रमण होने के बाद AIDS कि स्तिथि तक पहुचने में और लक्षण दिखने में 8-10 साल या ज्यादा समय भी लगने के कारण कई सालों तक तो रोगी को पता ही नहीं चलता कि उसे आखिर हुआ क्या है।
धीरे-धीरे करके उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात रोगों से लड़ने की शक्ति समाप्त होने लगती है। इस रोग की जांच करवाने के तीन साल के अन्दर ज्यादातर रोगियों की मृत्यु हो जाती है
एड्स रोग HIV के संक्रमण से होता है। HIV संक्रमित व्यक्ति, जो HIV Positive हो या न हो और जिसमे HIV के लक्षण नहीं दिख रहे है
ऐसे HIV संक्रमित व्यक्ति के खून (Blood), वीर्य (Semen), योनिक पानी (Vaginal fluid) और माँ के दूध (Breast Milk) से HIV संक्रमण होने से AIDS हो सकता है।
आमतौर पर लोग HIV Positive होने का मतलब AIDS समझने लगे है, लेकिन ऐसा नहीं है। HIV Positive होने के बाद 8 से 10 साल में पीड़ित कि रोग प्रतिकार शक्ति क्षीण हो जाती है और वह अन्य मौकापरस्त रोगो से ग्रस्त हो जाता है, इस स्तिथि को AIDS कहते है।
निम्नलिखित प्रकार से HIV संक्रमण हो सकता है :
AIDS के उपचार में कई तरह कि दवा का इस्तेमाल किया जाता है। AIDS के उपचार का मुख्य उद्देश HIV विषाणु को कमजोर करना, शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति को फिर से मजबूत करना और मौकापरस्त अन्य रोगो को ठीक करना होता है।
समय के साथ-साथ AIDS के उपचार में कई नयी दवाओ का निर्माण किया जा रहा है, परन्तु AIDS से बचाव ही AIDS का सबसे बेहतर इलाज है।
AIDS से बचाव कैसे करे ?AIDS prevention Tips in Hindi एडस के बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानी बरते :
AIDS, HIV विषाणु के संक्रमण से होता है HIV का मतलब है Human Immuno Deficiency Virus ऐसा विषाणु जो रोग प्रतिकार शक्ति कम कर देता है
HIV संक्रमण होने के बाद AIDS कि स्तिथि तक पहुचने में और लक्षण दिखने में 8-10 साल या ज्यादा समय भी लगने के कारण कई सालों तक तो रोगी को पता ही नहीं चलता कि उसे आखिर हुआ क्या है।
धीरे-धीरे करके उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात रोगों से लड़ने की शक्ति समाप्त होने लगती है। इस रोग की जांच करवाने के तीन साल के अन्दर ज्यादातर रोगियों की मृत्यु हो जाती है
AIDS कैसे होता हैं ?
एड्स रोग HIV के संक्रमण से होता है। HIV संक्रमित व्यक्ति, जो HIV Positive हो या न हो और जिसमे HIV के लक्षण नहीं दिख रहे है
ऐसे HIV संक्रमित व्यक्ति के खून (Blood), वीर्य (Semen), योनिक पानी (Vaginal fluid) और माँ के दूध (Breast Milk) से HIV संक्रमण होने से AIDS हो सकता है।
आमतौर पर लोग HIV Positive होने का मतलब AIDS समझने लगे है, लेकिन ऐसा नहीं है। HIV Positive होने के बाद 8 से 10 साल में पीड़ित कि रोग प्रतिकार शक्ति क्षीण हो जाती है और वह अन्य मौकापरस्त रोगो से ग्रस्त हो जाता है, इस स्तिथि को AIDS कहते है।
निम्नलिखित प्रकार से HIV संक्रमण हो सकता है :
- संक्रमित व्यक्ति से असुरक्षित यौन-संबंध बनाने से। अगर मुंह में छाले या मसूड़ो से खून बह रहा हो तब भी संक्रमण फ़ैल सकता है।
- AIDS से ग्रस्त रोगी पर प्रयोग किए हुए इंजैक्शन को दूसरे व्यक्ति के शरीर में लगाने से।
- AIDS संक्रमित खून प्राप्त करने से। (Contaminated Blood Transfusion)
- AIDS ग्रस्त मां के द्वारा जन्म लेने वाले बच्चे को।
- AIDS ग्रस्त मां के दूध से।
- दाढ़ी करते समय, टैटू लगाते समय और शरीर में कोई छेद करते समय उपयोग में लिए जाने वाले सुई, ब्लेड इत्यादि सामग्री HIV विषाणु से संक्रमित होने पर
निम्नलिखित प्रकार से HIV संक्रमण नहीं होता है :
- AIDS रोग से ग्रस्त रोगी से हाथ मिलाने से, चूमने से या कसकर पकड़ने से।
- AIDS रोग से ग्रस्त रोगी के साथ रहने से या खाना खाने से।
- छींकने या खांसने से।
- मच्छर के काटने से।
- आसु या थूक से AIDS के फैलने का कोई लिखित प्रमाण नहीं है।
- अत्यधिक वजन का कम होना।
- अधिक समय तक सुखी खांसी आना।
- बार-बार बुखार आना।
- लसिकाओ / ग्रन्थियों में सूजन।
- एक हफ्ते से अधिक समय तक पतले दस्त होना।
- बार-बार Fungal Infection होना।
- रात को पसीना आना।
- चमड़ी के निचे, मुंह, पलको के निचे या नाक में लाल, भूरे, बैंगनी या गुलाबी रंग के धब्बे होना।
- याददाश कम होना।
- शरीर में दर्द होना।
- मानसिक रोग।
- HIV 1 & 2 : AIDS के निदान / Diagnosis करने हेतु HIV 1 & 2 कि खून जांच कि जाती है। शरीर में HIV का संक्रमण होने के बाद, शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति जवाब में HIV Antibodies का निर्माण करती है। यह Antibodies शरीर में निर्माण होने पर व्यक्ति को HIV Positive कहा जाता है। HIV का संक्रमण होने के बाद, शरीर में HIV Antibodies निर्माण होने को 1 से 2 हफ्ते या 6 महीने तक का समय लगता है और इस समय को Window Period कहा जाता है। HIV विषाणु शरीर में मौजूद होने के बावजूद इस कालावधि में पीड़ित कि खून जांच सामान्य आ सकती है और पीड़ित दुसरो को AIDS फैला सकता है।
- HIV Antigen Test : शरीर में HIV का संक्रमण होने के बाद Antibodies तैयार होने में काफी वक़्त लगता है परन्तु Antigen जल्दी तैयार हो जाते है। HIV Antigen Test से HIV का संक्रमण होने के कुछ दिनों में ही निदान हो सकता है और तुरंत उपचार एवं अन्य व्यक्तियो में फैलाव होने से रोका जा सकता है।
- CD4 Count : CD4 Cells को Helper-T Cells भी कहा जाता है। यह हमारे रोग प्रतिकार शक्ति के महत्वपूर्ण अंग है। सामान्य स्वस्थ्य व्यक्ति में CD4 Cells कि संख्या 500-1500/ml होती है। CD4 Cells कि संख्या 200/ml से कम आने पर AIDS का निदान किया जाता है।
- ELISA Test : AIDS के निदान / Diagnosis करने हेतु ELISA Test (enzyme-linked immunosorbent assay) कि जाती है। यह जांच Positive आने पर confirmation के लिए Western Blot Test जांच कि जाती है। HIV संक्रमण होने के शरुआती 3 हफ्ते से 6 महीने के Window Period में यह जांच False Negative भी आ सकती है।
- Saliva Test : एक cotton pad पर मुंह के अंदर से थूक / saliva का sample लेकर laboratory जांच कि जाती है। यह जांच Positive आने पर confirmation के लिए अन्य ब्लड टेस्ट किये जाते है।
- Viral Load Test : इस जांच में खून में HIV के प्रमाण कि जांच कि जाती है। यह जांच निदान और उपचार के दौरान पीड़ित के सुधार के आकलन में काम आती है।
AIDS के उपचार में कई तरह कि दवा का इस्तेमाल किया जाता है। AIDS के उपचार का मुख्य उद्देश HIV विषाणु को कमजोर करना, शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति को फिर से मजबूत करना और मौकापरस्त अन्य रोगो को ठीक करना होता है।
समय के साथ-साथ AIDS के उपचार में कई नयी दवाओ का निर्माण किया जा रहा है, परन्तु AIDS से बचाव ही AIDS का सबसे बेहतर इलाज है।
AIDS से बचाव कैसे करे ?AIDS prevention Tips in Hindi एडस के बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानी बरते :
- ज्यादा व्यक्तियों के साथ सेक्स सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए। अगर किसी अन्य व्यक्ति के साथ सेक्स संबंध बनाने भी हों तो हमेशा कंडोम का प्रयोग करना चाहिए
- अपने साथी से वफादार रहे जहां तक हो सके वेश्या या गलत लोगों से सेक्स संबंध बनाने से बचना चाहिए।
- अगर बाहर दाढ़ी आदि बनवानी हो तो नाई से कहकर हमेशा नए ब्लेड का प्रयोग ही करवाएं।
- अस्पताल आदि में सुई लगवाते समय हमेशा नई सीरींज का ही प्रयोग करना चाहिए।
- अगर अस्पताल आदि में खून चढ़वाने की जरूरत पड़ जाए तो पहले पूरी तरह confirm हो जाएं कि जो खून आपको चढ़ाया जा रहा है वह किसी AIDS रोग से ग्रस्त रोगी का तो नहीं है
Bhai maine s×× kiya protection fat gaya kya muze ads ho sakta hai
ReplyDeleteagar ko normal admi kisi positive admi ke kattha h to kya normal admi ko positive ho sakta h
ReplyDelete