अजीब से डर बैचेनी उनसे बचने के उपाय phobia in hindi language treatment
29 April 2016
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Phobia meaning in hindi- डर ने इंसान को ना जाने केसे आवेश में ला रखा हे एक ऐसा अहसास जो बैचेनी, घबराहट, अशान्ति पैदा कर देता हे डर का ऐसा ही एक प्रकार हे फोबिया कोई भी चीज, वस्तु, हालात आदि जो भी पीड़ित को परेशान करती हे, वो उन्हें नजरंदाज़ करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हे !
फोबिया को 3 प्रकार से बांटा जा सकता हे (3 Types Of Fobia)
1. सोशल फोबिया
सोशल फोबिया के दोरान पीड़ित कुछ हालातों से डरने लगता हे ! सामाजिक कार्यों को नजरंदाज़ करता हे और कभी कभी ऐसे हालातों में उन्हें शर्मिंदगी भी जेलनी पड़ती हे ! उसे समाज में रहना ही अजीब लगने लगता हे और वो इन चीजो से भागने लगता हे ! इसमें पीड़ित को हमेशा ऐसा लगता हे की लोग उसके बारे में बुरा सोचते हे और उसे बहुत बुरा समजते हे ! लोग पीठ पीछे उसकी बुराई करते रहते हे और उसके उपर हँसते हे ! पीड़ित खुद को बहुत छोटा समजने लगता हे उसे खुद से घृणा होने लगती हे उसका आत्मविश्वास खो जाता हे ! किसी भी इंटरव्यू या मीटिंग में वो बोल नहीं पाता हे और यंहा तक की उसे वंहा खड़ा होने में भी अजीब सा लगने लगता हे ! हालाँकि पीड़ित को यह पता होता हे की यह डर बेबुनियाद हे लेकिन तब भी बैचेनी और और घबराहट उसका पीछा नहीं छोड़ती ! उसे किसी से मिलने में भी डर लगता हे ! अगर वो किसी से मिल लेता हे तो भी उसे डर लगता हे की अब वो मेरा मजाक उड़ायेंगे !
फोबिया को 3 प्रकार से बांटा जा सकता हे (3 Types Of Fobia)
1. सोशल फोबिया
सोशल फोबिया के दोरान पीड़ित कुछ हालातों से डरने लगता हे ! सामाजिक कार्यों को नजरंदाज़ करता हे और कभी कभी ऐसे हालातों में उन्हें शर्मिंदगी भी जेलनी पड़ती हे ! उसे समाज में रहना ही अजीब लगने लगता हे और वो इन चीजो से भागने लगता हे ! इसमें पीड़ित को हमेशा ऐसा लगता हे की लोग उसके बारे में बुरा सोचते हे और उसे बहुत बुरा समजते हे ! लोग पीठ पीछे उसकी बुराई करते रहते हे और उसके उपर हँसते हे ! पीड़ित खुद को बहुत छोटा समजने लगता हे उसे खुद से घृणा होने लगती हे उसका आत्मविश्वास खो जाता हे ! किसी भी इंटरव्यू या मीटिंग में वो बोल नहीं पाता हे और यंहा तक की उसे वंहा खड़ा होने में भी अजीब सा लगने लगता हे ! हालाँकि पीड़ित को यह पता होता हे की यह डर बेबुनियाद हे लेकिन तब भी बैचेनी और और घबराहट उसका पीछा नहीं छोड़ती ! उसे किसी से मिलने में भी डर लगता हे ! अगर वो किसी से मिल लेता हे तो भी उसे डर लगता हे की अब वो मेरा मजाक उड़ायेंगे !
2. स्पेसिफिक फोबिया
इस फोबिया में व्यक्ति किसी खास वस्तु या व्यक्ति या हालात से डरने लगता हे ! ऐसे में कभी कभी जरूरत से ज्यादा खुश भी हो सकता हे या दुखी भी ! जेसे ही पीड़ित बीते हालातों के बारे में सोचता हे तो उसे घबराहट होने लगती हे ! इन हालातों में पीड़ित कुछ कर नहीं पाता हे ! यह डर उसके उपर हावी हो जाता हे और कभी कभी वो इस डर की वजह से गलत कदम भी उठा लेते हे ! इसमें कुछ निम्न भाग हे :-
(a ) एनिमल फोबिया:- इसमें जानवरों से डर लगता हे जेसे कुता, बिल्ली, सांप आदि !
(b ) कंडीशन फोबिया :- इसमें तूफ़ान, पानी, उंचाई से डर लगता हे !
(c ) इसमें ब्लड, इंजेक्शन आदि से भी डर लगता हे !
3. एगोरा फोबिया
इस फोबिया में पीड़ित को भीड़ में अकेलेपन का अहसास होता हे ! वो किसी भी सुपरमार्किट या मंदिर आदि में अकेला महसूस करता हे और वो अहसास उसको कचोटने लगता हे !
इस फोबिया में व्यक्ति किसी खास वस्तु या व्यक्ति या हालात से डरने लगता हे ! ऐसे में कभी कभी जरूरत से ज्यादा खुश भी हो सकता हे या दुखी भी ! जेसे ही पीड़ित बीते हालातों के बारे में सोचता हे तो उसे घबराहट होने लगती हे ! इन हालातों में पीड़ित कुछ कर नहीं पाता हे ! यह डर उसके उपर हावी हो जाता हे और कभी कभी वो इस डर की वजह से गलत कदम भी उठा लेते हे ! इसमें कुछ निम्न भाग हे :-
(a ) एनिमल फोबिया:- इसमें जानवरों से डर लगता हे जेसे कुता, बिल्ली, सांप आदि !
(b ) कंडीशन फोबिया :- इसमें तूफ़ान, पानी, उंचाई से डर लगता हे !
(c ) इसमें ब्लड, इंजेक्शन आदि से भी डर लगता हे !
3. एगोरा फोबिया
इस फोबिया में पीड़ित को भीड़ में अकेलेपन का अहसास होता हे ! वो किसी भी सुपरमार्किट या मंदिर आदि में अकेला महसूस करता हे और वो अहसास उसको कचोटने लगता हे !
इन फोबिया से बचने के लिए दवाईयां, साइकोथेरेपी आदि की मदद ली जा सकती हे ! इलाज द्वारा इन फोबिया से छुटकारा पाया जा सकता हे ! किसी भी प्रकार के इलाज से पहले मरीज को डॉक्टर से इसके वास्तविक लक्षण की जान करा लेनी चाहिए ! यह कुछ हार्मोन की वजह से भी हो सकता हे ! कुछ दवाईयां जेसे सेट्रालीन, पैरोक्सटिन, क्लोनाजेपम, लोराजेपम आदि इस समस्या के उपचार में कारगार हे ! इस प्रकार के मरीजो को शराब और केफीन का सेवन नहीं करना चाहिए ! व्यायाम, योग, ध्यान आदि करने चाहिए और अपनी परेशानी को अपने अंदर तक मत रखते उन्हें खुलकर परिवार या डॉक्टर को बताये !
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