मीडिया और समाज या आम आदमी media in hindi essay
20 February 2016
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India me media industry कहते है की आज का युग विज्ञानं का युग है l इस विज्ञानं ने मनुष्य का जीवन सुविधाओं से भर दिया है l इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है इंटरनेट और दूरदर्शन
लेकिन इन तेज संचार के साधनो का एक दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहा है l आज टेलीविज़न पर न्यूज़ चैनल्स की इतनी भीड़ जमा हो गयी है बस पूछो ही मत l हर चैनल आगे निकलने की होड़ में जरा सी बात को बढ़ा चढ़ा कर दिखता है और वह वाही लूटता है
l TRP की होड़ में ये लोग सही और गलत का फर्क भी भूल जाते है l कौन सी खबर दिखानी चाहिए और कौन सी नहीं इसकी किसी को परवाह नहीं है l इसका फायदा देशद्रोही और अवसरवादी लोग उठाते है l ताज होटल पर हुए 26 /11 के हमले की घटना आप को याद ही होगी
दिन भर का थका हरा आदमी शाम को घर जाकर जब टीवी के सामने ये सोचकर बैठता है की थोड़ी दुनिया की जानकारी ली जाये, ठीक उसी समय सुपर फ़ास्ट खबरों की ट्रैन पता नहीं कब गुजर जाती है और फिर एक अनचाही बहस शुरू हो जाती है जिसका कोई अंत ही नहीं होता है
l एक बात और है हमारा देश इतना बड़ा है की इसके किसी न किसी कोने में कोई न कोई घटना होती रहती है लेकिन जब मीडिया पर पुरे देश की घटनाये एक साथ बढ़ा चढ़ाकर बताई जाती है तो आदमी सोचने पर मज़बूर हो जाता है की मेरे देश में बहुत ही अशांति है और बेचारा टेंशन में आ जाता है l
जरा सी घटना को सांप्रदायिक रंग देकर ये लोग खुद को हीरो साबित करने में लगे रहते है और देश की जनता गुमराह होती रहती है
इसके समाधान लिए मैंने अपने मित्रों के साथ मिलकर एक प्रयोग किया जो मेरे हिसाब से कुछ हद तक सही भी है l हुआ यूँ की एक दिन हम मित्रों ने एक योजना बनायीं की आज सुबह से शाम तक हमारे नगर में किस गली में कौन सी छोटी या बड़ी घटना घटती है उसका पूरा विवरण एकत्र करेंगे और शाम को किसी सयाने व्यक्ति को एक साथ सुनाएंगे और उनकी प्रतिक्रिया क्या होती है
यह देखेंगे योजनानुसार दिनभर में हर छोटी बड़ी घटना को पूरी डिटेल के साथ नोट किया और गली के ही एक बुजुर्ग व्यक्ति को एकसाथ सुना दी l कुछ देर के लिए तो वो बुजुर्ग घबरा गए ये सोचकर की मेरे नगर को अचानक ये क्या हो गया है, एकदम से इतनी अशांति क्यों हो गयी l जबकि वास्तव में ये घटनाएँ सामान्य थी l मित्रों यही हमारे साथ भी होता है
जब हम पुरे देश की घटनाओ का विवरण एकसाथ सुनते है तो हम भी घबरा जाते है l इनसे बचने का एक ही तरीका है इनसे दूर रहो आप खुद एक सप्ताह इनसे दूर रह कर महसूस कर सकते है की हमारे देश में कितनी शांति है
आज दुनिया के किस कोने में क्या चल रहा है यह एक पल में हमे पता चल जाता है क्योंकि संचार के साधन इतने आधुनिक और तेज़ हो गए है
लेकिन इन तेज संचार के साधनो का एक दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहा है l आज टेलीविज़न पर न्यूज़ चैनल्स की इतनी भीड़ जमा हो गयी है बस पूछो ही मत l हर चैनल आगे निकलने की होड़ में जरा सी बात को बढ़ा चढ़ा कर दिखता है और वह वाही लूटता है
l TRP की होड़ में ये लोग सही और गलत का फर्क भी भूल जाते है l कौन सी खबर दिखानी चाहिए और कौन सी नहीं इसकी किसी को परवाह नहीं है l इसका फायदा देशद्रोही और अवसरवादी लोग उठाते है l ताज होटल पर हुए 26 /11 के हमले की घटना आप को याद ही होगी
दिन भर का थका हरा आदमी शाम को घर जाकर जब टीवी के सामने ये सोचकर बैठता है की थोड़ी दुनिया की जानकारी ली जाये, ठीक उसी समय सुपर फ़ास्ट खबरों की ट्रैन पता नहीं कब गुजर जाती है और फिर एक अनचाही बहस शुरू हो जाती है जिसका कोई अंत ही नहीं होता है
l एक बात और है हमारा देश इतना बड़ा है की इसके किसी न किसी कोने में कोई न कोई घटना होती रहती है लेकिन जब मीडिया पर पुरे देश की घटनाये एक साथ बढ़ा चढ़ाकर बताई जाती है तो आदमी सोचने पर मज़बूर हो जाता है की मेरे देश में बहुत ही अशांति है और बेचारा टेंशन में आ जाता है l
जरा सी घटना को सांप्रदायिक रंग देकर ये लोग खुद को हीरो साबित करने में लगे रहते है और देश की जनता गुमराह होती रहती है
इसके समाधान लिए मैंने अपने मित्रों के साथ मिलकर एक प्रयोग किया जो मेरे हिसाब से कुछ हद तक सही भी है l हुआ यूँ की एक दिन हम मित्रों ने एक योजना बनायीं की आज सुबह से शाम तक हमारे नगर में किस गली में कौन सी छोटी या बड़ी घटना घटती है उसका पूरा विवरण एकत्र करेंगे और शाम को किसी सयाने व्यक्ति को एक साथ सुनाएंगे और उनकी प्रतिक्रिया क्या होती है
यह देखेंगे योजनानुसार दिनभर में हर छोटी बड़ी घटना को पूरी डिटेल के साथ नोट किया और गली के ही एक बुजुर्ग व्यक्ति को एकसाथ सुना दी l कुछ देर के लिए तो वो बुजुर्ग घबरा गए ये सोचकर की मेरे नगर को अचानक ये क्या हो गया है, एकदम से इतनी अशांति क्यों हो गयी l जबकि वास्तव में ये घटनाएँ सामान्य थी l मित्रों यही हमारे साथ भी होता है
जब हम पुरे देश की घटनाओ का विवरण एकसाथ सुनते है तो हम भी घबरा जाते है l इनसे बचने का एक ही तरीका है इनसे दूर रहो आप खुद एक सप्ताह इनसे दूर रह कर महसूस कर सकते है की हमारे देश में कितनी शांति है
Isko smjhny ke liye mae ek poem hi likh deti hu takki logo Ko achyy se samjh me asJaye.
ReplyDeleteMedia me di hamko itni takat ki samaj Ko hi Badal Dala.kya samaj ke logo me itni takat nahi ki badrang media Ko samaj Badal dale, puchna hai to khud ke andar jhak ke dekho, kya media ke andar jhakty ho.