जेएनयू घटना विवाद क्या है jnu issue in hindi
24 February 2016
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क्या है विवाद? -
JNU में 9 फरवरी को लेफ्ट स्टूडेंट्स के ग्रुप्स ने संसद पर हमले के गुनहगार अफजल गुरु और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के को-फाउंडर मकबूल भट की याद में एक प्रोग्राम ऑर्गनाइज किया था।
इसे कल्चरल इवेंट का नाम दिया गया था। - जेएनयू में साबरमती हॉस्टल के सामने शाम 5 बजे उसी प्रोग्राम में कुछ लोगों ने देशविरोधी नारेबाजी की। इसके बाद लेफ्ट और एबीवीपी स्टूडेंट्स के बीच झड़प हुई।
- 10 फरवरी को नारेबाजी का वीडियो सामने आया। दिल्ली पुलिस ने 12 फरवरी को नारेबाजी के आरोप में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया।
- जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार को अरेस्ट कर लिया। जबकि फरार खालिद अब जेएनयू कैम्पस में लौट आया है।
कौन है उमर खालिद? -
डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन का नेता उमर महाराष्ट्र का रहने वाला है।
- खालिद ने ही 9 फरवरी को संसद पर हमले के गुनहगार अफजल गुरु की बरसी पर प्रोग्राम करवाया था।
- प्रोग्राम की इजाजत रद्द होने के बाद जब डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन और लेफ्ट के लोग जेएनयू में मार्च कर रहे थे, तब उमर उनकी अगुआई कर रहा था।
- बताया जाता है कि जिस वक्त नारे लग रहे थे, उस वक्त उमर न केवल वहां मौजूद था, बल्कि जेएनयू प्रशासन और एबीवीपी के खिलाफ उसने ही नारेबाजी शुरू की थी।
- कन्हैया कुमार के साथ भी उसे कई वीडियो में देखा गया।
- 11 फरवरी को जब एबीवीपी के खिलाफ लेफ्ट की स्टूडेंट्स यूनियन प्रदर्शन कर रही थी, तो उस वक्त उमर और कन्हैया एक साथ थे।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुए बवाल के बाद फिर से देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस होने लगी है। दूसरी ओर हर रोज तिरंगे की शान की खातिर हंसते-हंसते जवान अपनी जान कुर्बान कर दे रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पंपोर में तीन दिनों से चल रही मुठभेड़ सोमवार को खत्म हो गई। सेना ने तीन आतंकियों को मार गिराया, इस घटना में एक लांस नायक और सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हो गए हैं।
शहीद कैप्टन पवन कुमार- हरियाणा के जींद के रहने वाले 22 साल के कैप्टन पवन कुमार सेना की 10 पैरा रेजीमेंट में कैप्टन थे। शहादत से पहले उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा था- 'किसी को आरक्षण चाहिए, तो किसी को आज़ादी... भाई, हमें कुछ नहीं चाहिए, बस अपनी रज़ाई।'
शहीद कैप्टन तुषार महाजन- उधमपुर के रहने वाले 26 वर्षीय कैप्टन तुषार नौ पैरा रेजीमेंट में थे। गणतंत्र दिवस वाले दिन उन्होंने व्हाट्सएप स्टेटस लिखा था- 'सो जाएगी कल लिपटकर तिरंगे के साथ, ये देशभक्ति है साहब तारीखों पर जागती है।'
शहीद कैप्टन ओम प्रकाश- शिमला के रहने वाले लांस नायक ओम प्रकाश नौ पैरा रेजीमेंट में थे।
शहीद सीआरपीएफ जवान राजकुमार राणा- हिमाचल प्रदेश के मंडी के रहने वाले राजकुमार राणा सीआरपीएफ में हेड कॉन्सटेबल थे।
शहीद सीआरपीएफ जवान भोला सिंह- उत्तर प्रदेश के जालौन के रहने वाले भोला सिंह सीआरपीएफ में हेड कॉन्सटेबल थे।
ये है जेएनयू विवाद का पूर्ण सत्य
देशभर के कई बुद्धिजीवी, पत्रकार और संपादक कश्मीर में शहीद हुए जवानों पर सोशल मीडिया में आंसू बहा रहे हैं। उनमें ही वो लोग भी हैं जो जेएनयू में कश्मीर की आजादी के नारे लगाने वाले आरोपी छात्रों का साथ भी दे रहे हैं। ऐसे लोगों का दोहरा चरित्र ये है कि ये शहीद हुए जवानों पर आंसू बहाते हैं, लेकिन अपने आंसुओं का एक कोटा उन लोगों के लिए भी आरक्षित कर लेते हैं जो जवानों की शहादत का जश्न मनाते हैं, जो देश को तोड़ने की सोच रखते हैं। विंडबना ये है कि ऐसे दोहरे चरित्र वाले पत्रकार और संपादक मीडिया और सोशल मीडिया पर पत्रकारिता के नाम पर रोना-धोना करते हैं और यह बताते हैं कि देश में पत्रकारिता किस हाल में पहुंच गई है? ऐसे लोगों को आइने के सामने खड़े होकर खुद से सवाल करने चाहिए।
देशद्रोह के आरोपियों के आगे सिस्टम बेबस क्यों?
जिन छात्रों ने जेएनयू के अंदर देश विरोधी नारे लगाए वो छात्र जेएनयू के कैंपस में आजाद घूम रहे हैं, खुलेआम नेतागीरी कर रहे हैं, भाषण दे रहे हैं और देश के कानून को सीधी चुनौती दे रहे हैं। ये आरोपी छात्र पिछले 10 दिन से फरार थे। रविवार को जेएनयू कैंपस में दिखने के बाद भी इन्होंने पुलिस के पास जाना उचित नहीं समझा। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जेएनयू का कैंपस देश के कानून से ऊपर है? क्या जेएनयू में एंट्री करने के लिए पुलिस को किसी वीजा की जरूरत है? जेएनयू के अंदर देश विरोधी नारे लगाने वाला अफजल गैंग बत्तीसी दिखाकर हंस रहा है। यह चुभने वाली हंसी भारत के कानून को चुनौती दे रही है। यह उस सिस्टम पर हंसी है जो देश के संविधान, कानून और न्याय व्यवस्था को खारिज करने वालों के सामने बेबस है। कैसी विंडबना है आतंकवादी अफजल गुरू को हीरो मानने वाला और उसके समर्थन में नारे लगाने वाला 10 दिन बाद जेएनयू में किसी हीरो की तरह लौटा है और अब धर्म की आड़ में खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही जेएनयू का टीचर्स एसोसिएशन भी आरोपी छात्रों को बचा रहा है और पुलिस से कैंपस से दूर रहने को कह रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि आरोपी छात्रों पर केस हटा दिए जाए और जेएनयू का प्रशासन ही छात्रों पर फैसला ले।
News Sources -
http://www.bhaskar.com/news-ht/UT-DEL-HMU-NEW-jnu-anti-national-slogan-row-updates-and-followups-5256550-PHO.html?seq=3
http://zeenews.india.com/hindi/india/zee-jankari-this-is-the-truth-of-jnu-stir/284145
क्या है विवाद? -
JNU में 9 फरवरी को लेफ्ट स्टूडेंट्स के ग्रुप्स ने संसद पर हमले के गुनहगार अफजल गुरु और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के को-फाउंडर मकबूल भट की याद में एक प्रोग्राम ऑर्गनाइज किया था।
इसे कल्चरल इवेंट का नाम दिया गया था। - जेएनयू में साबरमती हॉस्टल के सामने शाम 5 बजे उसी प्रोग्राम में कुछ लोगों ने देशविरोधी नारेबाजी की। इसके बाद लेफ्ट और एबीवीपी स्टूडेंट्स के बीच झड़प हुई।
- 10 फरवरी को नारेबाजी का वीडियो सामने आया। दिल्ली पुलिस ने 12 फरवरी को नारेबाजी के आरोप में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया।
- जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार को अरेस्ट कर लिया। जबकि फरार खालिद अब जेएनयू कैम्पस में लौट आया है।
कौन है उमर खालिद? -
डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन का नेता उमर महाराष्ट्र का रहने वाला है।
- खालिद ने ही 9 फरवरी को संसद पर हमले के गुनहगार अफजल गुरु की बरसी पर प्रोग्राम करवाया था।
- प्रोग्राम की इजाजत रद्द होने के बाद जब डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन और लेफ्ट के लोग जेएनयू में मार्च कर रहे थे, तब उमर उनकी अगुआई कर रहा था।
- बताया जाता है कि जिस वक्त नारे लग रहे थे, उस वक्त उमर न केवल वहां मौजूद था, बल्कि जेएनयू प्रशासन और एबीवीपी के खिलाफ उसने ही नारेबाजी शुरू की थी।
- कन्हैया कुमार के साथ भी उसे कई वीडियो में देखा गया।
- 11 फरवरी को जब एबीवीपी के खिलाफ लेफ्ट की स्टूडेंट्स यूनियन प्रदर्शन कर रही थी, तो उस वक्त उमर और कन्हैया एक साथ थे।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुए बवाल के बाद फिर से देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस होने लगी है। दूसरी ओर हर रोज तिरंगे की शान की खातिर हंसते-हंसते जवान अपनी जान कुर्बान कर दे रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पंपोर में तीन दिनों से चल रही मुठभेड़ सोमवार को खत्म हो गई। सेना ने तीन आतंकियों को मार गिराया, इस घटना में एक लांस नायक और सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हो गए हैं।
शहीद कैप्टन पवन कुमार- हरियाणा के जींद के रहने वाले 22 साल के कैप्टन पवन कुमार सेना की 10 पैरा रेजीमेंट में कैप्टन थे। शहादत से पहले उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा था- 'किसी को आरक्षण चाहिए, तो किसी को आज़ादी... भाई, हमें कुछ नहीं चाहिए, बस अपनी रज़ाई।'
शहीद कैप्टन तुषार महाजन- उधमपुर के रहने वाले 26 वर्षीय कैप्टन तुषार नौ पैरा रेजीमेंट में थे। गणतंत्र दिवस वाले दिन उन्होंने व्हाट्सएप स्टेटस लिखा था- 'सो जाएगी कल लिपटकर तिरंगे के साथ, ये देशभक्ति है साहब तारीखों पर जागती है।'
शहीद कैप्टन ओम प्रकाश- शिमला के रहने वाले लांस नायक ओम प्रकाश नौ पैरा रेजीमेंट में थे।
शहीद सीआरपीएफ जवान राजकुमार राणा- हिमाचल प्रदेश के मंडी के रहने वाले राजकुमार राणा सीआरपीएफ में हेड कॉन्सटेबल थे।
शहीद सीआरपीएफ जवान भोला सिंह- उत्तर प्रदेश के जालौन के रहने वाले भोला सिंह सीआरपीएफ में हेड कॉन्सटेबल थे।
ये है जेएनयू विवाद का पूर्ण सत्य
देशभर के कई बुद्धिजीवी, पत्रकार और संपादक कश्मीर में शहीद हुए जवानों पर सोशल मीडिया में आंसू बहा रहे हैं। उनमें ही वो लोग भी हैं जो जेएनयू में कश्मीर की आजादी के नारे लगाने वाले आरोपी छात्रों का साथ भी दे रहे हैं। ऐसे लोगों का दोहरा चरित्र ये है कि ये शहीद हुए जवानों पर आंसू बहाते हैं, लेकिन अपने आंसुओं का एक कोटा उन लोगों के लिए भी आरक्षित कर लेते हैं जो जवानों की शहादत का जश्न मनाते हैं, जो देश को तोड़ने की सोच रखते हैं। विंडबना ये है कि ऐसे दोहरे चरित्र वाले पत्रकार और संपादक मीडिया और सोशल मीडिया पर पत्रकारिता के नाम पर रोना-धोना करते हैं और यह बताते हैं कि देश में पत्रकारिता किस हाल में पहुंच गई है? ऐसे लोगों को आइने के सामने खड़े होकर खुद से सवाल करने चाहिए।
देशद्रोह के आरोपियों के आगे सिस्टम बेबस क्यों?
जिन छात्रों ने जेएनयू के अंदर देश विरोधी नारे लगाए वो छात्र जेएनयू के कैंपस में आजाद घूम रहे हैं, खुलेआम नेतागीरी कर रहे हैं, भाषण दे रहे हैं और देश के कानून को सीधी चुनौती दे रहे हैं। ये आरोपी छात्र पिछले 10 दिन से फरार थे। रविवार को जेएनयू कैंपस में दिखने के बाद भी इन्होंने पुलिस के पास जाना उचित नहीं समझा। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जेएनयू का कैंपस देश के कानून से ऊपर है? क्या जेएनयू में एंट्री करने के लिए पुलिस को किसी वीजा की जरूरत है? जेएनयू के अंदर देश विरोधी नारे लगाने वाला अफजल गैंग बत्तीसी दिखाकर हंस रहा है। यह चुभने वाली हंसी भारत के कानून को चुनौती दे रही है। यह उस सिस्टम पर हंसी है जो देश के संविधान, कानून और न्याय व्यवस्था को खारिज करने वालों के सामने बेबस है। कैसी विंडबना है आतंकवादी अफजल गुरू को हीरो मानने वाला और उसके समर्थन में नारे लगाने वाला 10 दिन बाद जेएनयू में किसी हीरो की तरह लौटा है और अब धर्म की आड़ में खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही जेएनयू का टीचर्स एसोसिएशन भी आरोपी छात्रों को बचा रहा है और पुलिस से कैंपस से दूर रहने को कह रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि आरोपी छात्रों पर केस हटा दिए जाए और जेएनयू का प्रशासन ही छात्रों पर फैसला ले।
News Sources -
http://www.bhaskar.com/news-ht/UT-DEL-HMU-NEW-jnu-anti-national-slogan-row-updates-and-followups-5256550-PHO.html?seq=3
http://zeenews.india.com/hindi/india/zee-jankari-this-is-the-truth-of-jnu-stir/284145
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