महिलाओं के हाथों किशोर लड़कों का यौन शोषण us news teen age
8 January 2016
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अमेरिकी विभाग न्याय का कहना है कि देश के नाबालिगों को आवंटित सुधार केन्द्रों में भी यौन शोषण की घटनाओं जारी हैं और इस अपराध में वहां काम करने वाली महिलाएँ हैं।
इन केन्द्रों में होने वाले यौन शोषण के नब्बे प्रतिशत मामलों में पाया गया कि महिला कर्मचारियों ने अपनी निगरानी में रहने वाले किशोर लड़कों यानी अठारह साल से कम उम्र के लड़कों को निशाना बनाया और उनके साथ यौन क्रिया है। बीबीसी के वॉशिंगटन में मौजूद प्रतिनिधि ब्रजेश उपाध्याय के अनुसार विभाग न्याय की ओर से जारी इस रिपोर्ट ने इस क्षेत्र में काम करने वालों के बीच एक बहस छेड़ दी है।
कैलिफोर्निया स्थित गैर सरकारी संगठन जस्ट डेटनशन इंटरनेशनल प्रमुख लवोेसा स्टेनवो ने एक बयान में कहा है कि नाबालिगों को न्याय प्रणाली में इस पहलू की अनदेखी होती रही है और सुधारात्मक केन्द्रों में काम करने वाले अधिकारी भी इसे अधिक महत्व नहीं देते। उनका कहना था कि 'कुछ लोग यह तर्क भी देते हैं कि यह नाबालिग युवा ही महिला कर्मचारियों को बहका देते हैं और गलती इन किशोरों की ही है। यह सही नहीं। ' यही अपराध यदि पुरुषों ने नाबालिग लड़की के साथ किया होता तो उन्हें 25 साल की सजा होती। यदि महिला कर्मचारियों पर यह आरोप साबित भी होता है तो उसे दो-तीन साल से अधिक की सजा नहीं होगेसोशल मीडिया में एक पक्ष की राय स्टेनवो का कहना है कि इन किशोरों को यह समझाने की जरूरत है कि इस तरह के सेक्स क्रिया एक अपराध है और आगे चल कर उन पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इस तरह के संबंधों को आपसी सहमति से हुए सेक्स क्रिया का दर्जा नहीं दिया जा सकता।
उन्होंने कहा कि यह समझाना सुधारात्मक घरों के कर्मचारियों की जिम्मेदारी है। गृह मंत्रालय को इस तरह के शोषण की जानकारी सबसे पहले 2010 में मिली जब उन्होंने आम सुधारात्मक केन्द्रों में रहने वाले 9000 किशोरों का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 10 प्रतिशत से अधिक ने कहा कि वहाँ के कर्मचारियों ने उनका यौन शोषण किया है और उनमें से 92 प्रतिशत महिलाएं कार्यरत थीं। ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों में स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। देश के 326 बच्चों के सुधार घरों में हुए सर्वेक्षण के अनुसार अभी भी 90 प्रतिशत मामले ऐसे हैं जहां महिला कर्मचारियों के किशोरों के साथ सेक्स संबंध बनाए हैं। पुरुष कर्मचारियों के हाथों भी नाबालिगों का शोषण हुआ है और उसका शिकार बने दो तिहाई युवाओं का कहना था कि उन्हें सेक्स के बदले में विशेष सुविधाएं दी गईं और उपहार भी मिले। 21 प्रतिशत युवाओं का कहना था कि उन्हें यौन क्रिया के बदले शराब और नशीली दवाओं दी गईं। स्टेनवो का कहना है कि इस मामले को अधिक गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि समाज में महिलाओं के हाथों पुरुषों के यौन शोषण बलात्कार की तरह नहीं देखा जाता।
अमेरिकी जेलों में यौन शोषण में जेल स्टाफ कम ही होते हैं राज्य ाोहायू सुधार कार्यक्रम के पूर्व निदेशक रेगियो ोलكनसन का कहना है कि इस तरह के मामलों में सहमति से यौन क्रिया हो ही नहीं सकता, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच शक्ति संतुलन में आसमान जमीन का अंतर है। इस रिपोर्ट ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है। एक पक्ष का कहना है कि यही अपराध यदि पुरुषों ने नाबालिग लड़कियों के साथ होता तो उन्हें 25 साल की सजा होती। यदि महिला कर्मचारियों पर यह आरोप साबित भी होता है तो उन्हें दो तीन साल से अधिक की सजा नहीं होगी। वहीं एक तरफ यह भी कहा जा रहा है कि यह नाबालिग बच्चे दुनिया को अच्छी तरह समझते हैं और जिसे शोषण कहा जा रहा है वह दरअसल आपसी सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध हैं। अमेरिकी वयस्क जेलों में बलात्कार एक बड़ी समस्या है लेकिन वहाँ इन घटनाओं कैदियों के बीच होते हैं और उनमें अधिकारियों और कर्मचारियों का सीधा संबंध नहीं देखा गया है। नाबालिग सुधार केन्द्रों या हिरासत केंद्रों में भी ऐसी घटनाएं घटती हैं लेकिन वहां कर्मचारियों की भूमिका पर उंगली उठ रही है और गैर सरकारी संगठनों इसकी जड़ तक जाने की कोशिश में हैं।
इन केन्द्रों में होने वाले यौन शोषण के नब्बे प्रतिशत मामलों में पाया गया कि महिला कर्मचारियों ने अपनी निगरानी में रहने वाले किशोर लड़कों यानी अठारह साल से कम उम्र के लड़कों को निशाना बनाया और उनके साथ यौन क्रिया है। बीबीसी के वॉशिंगटन में मौजूद प्रतिनिधि ब्रजेश उपाध्याय के अनुसार विभाग न्याय की ओर से जारी इस रिपोर्ट ने इस क्षेत्र में काम करने वालों के बीच एक बहस छेड़ दी है।
कैलिफोर्निया स्थित गैर सरकारी संगठन जस्ट डेटनशन इंटरनेशनल प्रमुख लवोेसा स्टेनवो ने एक बयान में कहा है कि नाबालिगों को न्याय प्रणाली में इस पहलू की अनदेखी होती रही है और सुधारात्मक केन्द्रों में काम करने वाले अधिकारी भी इसे अधिक महत्व नहीं देते। उनका कहना था कि 'कुछ लोग यह तर्क भी देते हैं कि यह नाबालिग युवा ही महिला कर्मचारियों को बहका देते हैं और गलती इन किशोरों की ही है। यह सही नहीं। ' यही अपराध यदि पुरुषों ने नाबालिग लड़की के साथ किया होता तो उन्हें 25 साल की सजा होती। यदि महिला कर्मचारियों पर यह आरोप साबित भी होता है तो उसे दो-तीन साल से अधिक की सजा नहीं होगेसोशल मीडिया में एक पक्ष की राय स्टेनवो का कहना है कि इन किशोरों को यह समझाने की जरूरत है कि इस तरह के सेक्स क्रिया एक अपराध है और आगे चल कर उन पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इस तरह के संबंधों को आपसी सहमति से हुए सेक्स क्रिया का दर्जा नहीं दिया जा सकता।
उन्होंने कहा कि यह समझाना सुधारात्मक घरों के कर्मचारियों की जिम्मेदारी है। गृह मंत्रालय को इस तरह के शोषण की जानकारी सबसे पहले 2010 में मिली जब उन्होंने आम सुधारात्मक केन्द्रों में रहने वाले 9000 किशोरों का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 10 प्रतिशत से अधिक ने कहा कि वहाँ के कर्मचारियों ने उनका यौन शोषण किया है और उनमें से 92 प्रतिशत महिलाएं कार्यरत थीं। ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों में स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। देश के 326 बच्चों के सुधार घरों में हुए सर्वेक्षण के अनुसार अभी भी 90 प्रतिशत मामले ऐसे हैं जहां महिला कर्मचारियों के किशोरों के साथ सेक्स संबंध बनाए हैं। पुरुष कर्मचारियों के हाथों भी नाबालिगों का शोषण हुआ है और उसका शिकार बने दो तिहाई युवाओं का कहना था कि उन्हें सेक्स के बदले में विशेष सुविधाएं दी गईं और उपहार भी मिले। 21 प्रतिशत युवाओं का कहना था कि उन्हें यौन क्रिया के बदले शराब और नशीली दवाओं दी गईं। स्टेनवो का कहना है कि इस मामले को अधिक गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि समाज में महिलाओं के हाथों पुरुषों के यौन शोषण बलात्कार की तरह नहीं देखा जाता।
अमेरिकी जेलों में यौन शोषण में जेल स्टाफ कम ही होते हैं राज्य ाोहायू सुधार कार्यक्रम के पूर्व निदेशक रेगियो ोलكनसन का कहना है कि इस तरह के मामलों में सहमति से यौन क्रिया हो ही नहीं सकता, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच शक्ति संतुलन में आसमान जमीन का अंतर है। इस रिपोर्ट ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है। एक पक्ष का कहना है कि यही अपराध यदि पुरुषों ने नाबालिग लड़कियों के साथ होता तो उन्हें 25 साल की सजा होती। यदि महिला कर्मचारियों पर यह आरोप साबित भी होता है तो उन्हें दो तीन साल से अधिक की सजा नहीं होगी। वहीं एक तरफ यह भी कहा जा रहा है कि यह नाबालिग बच्चे दुनिया को अच्छी तरह समझते हैं और जिसे शोषण कहा जा रहा है वह दरअसल आपसी सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध हैं। अमेरिकी वयस्क जेलों में बलात्कार एक बड़ी समस्या है लेकिन वहाँ इन घटनाओं कैदियों के बीच होते हैं और उनमें अधिकारियों और कर्मचारियों का सीधा संबंध नहीं देखा गया है। नाबालिग सुधार केन्द्रों या हिरासत केंद्रों में भी ऐसी घटनाएं घटती हैं लेकिन वहां कर्मचारियों की भूमिका पर उंगली उठ रही है और गैर सरकारी संगठनों इसकी जड़ तक जाने की कोशिश में हैं।
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