हस्त रेखा ज्ञान - सुख सुविधा का लाभ बताने वाली लाइन palmistry in hindi
12 January 2016
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हस्त रेखा पार्ट 2 :-
कल आपको हाथ की उँगलियों और उनके निचे जो पर्वत हे उनकी जानकारी दी थी । आज आगे चलते हे
मणिबन्ध रेखा :- यह कलाई और हथेली के बिच में जोड़नी वाली कड़ी हे । जिसके हाथ में मणिबन्ध रेखा होती हे उसके राजसी ठाठ बाठ या सुख सुविधा का लाभ अवश्य मिलेगा।
मणिबन्ध पर चिन्ह से फलादेश-
चन्द्र पर्वत :- चंद्र पर्वत, अंगूठे के सामने हथेली के आधार पर स्थित होता है। यह पर्वत एक मजबूत कल्पना शक्ति को दर्शाता है। यह लोगों में भावनात्मक या कलात्मक और सौंदर्य, रोमांस, रचनात्मकता, आदर्शवाद आदि को प्रदर्शित करता है। पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को कला प्रेमी बनाता है ऐसे लोग कलाकार, संगीतकार, लेखक बनते हैं।ऐसे व्यक्ति मजबूत कल्पना शक्ति के गुणी होते हैं। यह लोग अति रुमानी होते हैं लेकिन अपनी इच्छाओं के प्रति आदर्शवादी होते हैं। हथेली में मंगल पर्वत दो स्थानों पर स्थित है। पहला, यह जीवन रेखा के ऊपरी स्थान के नीचे स्थित है,और दूसरा उसके विपरीत हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच मे स्थित है। पहला स्थान व्यक्ति मे शारीरिक विशेषताओं को और दूसरा मानसिक विशेषताओं को दर्शाता है। यह व्यक्ति मे निर्भयता, साहस, उद्दंडता, क्रोध, उत्साह, बहादुरी और वीरता की हद को दर्शाता है। ऐसे लोग अपने उद्देश्यों के प्रति दृढ़ संकल्प रहते हैं। आमतौर पर यह नेक दिल और उदार होते हैं लेकिन यह अप्रत्याशित और आवेगी भी होते हैं। इनका सबसे बड़ा दोष इनमें आवेग और आत्म नियंत्रण की कमी है।
(यहाँ क्लिक कर जाने जीवन बर्बाद कर सकते हैं ऐसे काम bad habits ways to get rid)
मस्तिष्क रेखा लंबी होने के बावजूद यह सभी प्रकार की कठिनाइयों और ख़तरों का सामना करते हैं।लोग ऐसे व्यक्तियों कि आलोचना उनके क्रोध और विचारों में कट्टरवादी होने के कारण करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को आत्म -नियंत्रण का अभ्यास करना चाहिये और सभी प्रकार की मदिरा और उत्तेजक पदार्थो से दूर रहना चाहिए। राहु पर्वत :-यह हथेली के बीच में पाया जाता हे । केतु :-यह मणिबन्ध से ऊपर पाया जाता हे। 1:-अंगुठा 2:-तर्जनी3:-मध्यमा4:-अनामिका5:-कनिष्टिका 6:-शुक्र पर्वत 7:-गुरु पर्वत 8:-शनि पर्वत 9:-सूर्य पर्वत 10:-बुध पर्वत 12:-मंगल पर्वत 13:-राहु पर्वत 14:-केतु पर्वत 15:- चन्द्रमा पर्वत 16:-मणिबन्ध रेखा कल आपको रेखाओं के बारे में जानकारी दी जायेगी
पार्ट 1 पढे <<
कल आपको हाथ की उँगलियों और उनके निचे जो पर्वत हे उनकी जानकारी दी थी । आज आगे चलते हे
मणिबन्ध रेखा :- यह कलाई और हथेली के बिच में जोड़नी वाली कड़ी हे । जिसके हाथ में मणिबन्ध रेखा होती हे उसके राजसी ठाठ बाठ या सुख सुविधा का लाभ अवश्य मिलेगा।
(1) यदि हाथ में प्रथम मणिबन्ध रेखा में ‘तारे’ का चिन्ह हो तो विरासत से धन मिलता है अर्थात् पुश्तेनी पैसे वाला होता है। यही चिन्ह यदि हाथ में कहीं और हो तो यह उपरोक्त फल समाप्त हो जाता है, वह जातक व्याभिचारी प्रवृति का होता है।
(2) सुन्दर पहले मणिबन्ध रेखा पर यदि ‘क्रॉस’ का चिन्ह हो जवानी (जीवन का पहला भाग) दुख व कठिनाई में तथा बुढ़ापा सुख में गुजरता है। और यदि इसी रेखा पर ‘क्रॉस’ या कोण का चिन्ह हो तथा वहाँ से रेखा शुक्र या गुरु पर्वत कि ओर जा रही हो तो ऐसे जातक विदेश में ही सफल हो पाते हैं, इन्हें विदेश यात्रा से ही धन लाभ होता है।
(3) यदि प्रथम रेखा के मध्य में त्रिकोण का चिन्ह हो तो बुढ़ापे में पुश्तेनी जायदाद मिलती है, यदि त्रिकोण में क्रॉस का चिन्ह हो तो अपने बच्चों से या अपने उत्तराधिकारी से धन प्राप्त होता है।
स्त्रियों का विशेष फलित- (1)स्त्रियों के विषय में मणिबन्ध यदि रेखायुत, सम्पूर्ण और सुन्दर हो तो ऐसी स्त्री भाग्यशालिनी होती है। खूब रत्न व आभूषणों कि मालकिन होती है। यदि मणिबन्ध रेखा अच्छी हो परंतु जीवन रेखा अच्छी न हो तो भाग्य तो अच्छा रहेगा लेकिन स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहेगा।
(2) यदि स्त्रियों के हाथ में मणिबन्ध कि प्रथम रेखा हथेली की ओर बढ़ी हुई हो और उसी गोलाई लिए हुए हो तो प्रसव कठिनता से होता है। यदि मणिबन्ध की प्रथम रेखा श्रन्खलाकर हो तो चिंताकार जीवन रहता है किन्तु अंतिम परिणाम अच्छा प्राप्त होता है।(यहाँ क्लिक कर स्त्रियों के 8 अवगुणों के बारे में आप भी जान लो)
(2) सुन्दर पहले मणिबन्ध रेखा पर यदि ‘क्रॉस’ का चिन्ह हो जवानी (जीवन का पहला भाग) दुख व कठिनाई में तथा बुढ़ापा सुख में गुजरता है। और यदि इसी रेखा पर ‘क्रॉस’ या कोण का चिन्ह हो तथा वहाँ से रेखा शुक्र या गुरु पर्वत कि ओर जा रही हो तो ऐसे जातक विदेश में ही सफल हो पाते हैं, इन्हें विदेश यात्रा से ही धन लाभ होता है।
(3) यदि प्रथम रेखा के मध्य में त्रिकोण का चिन्ह हो तो बुढ़ापे में पुश्तेनी जायदाद मिलती है, यदि त्रिकोण में क्रॉस का चिन्ह हो तो अपने बच्चों से या अपने उत्तराधिकारी से धन प्राप्त होता है।
स्त्रियों का विशेष फलित- (1)स्त्रियों के विषय में मणिबन्ध यदि रेखायुत, सम्पूर्ण और सुन्दर हो तो ऐसी स्त्री भाग्यशालिनी होती है। खूब रत्न व आभूषणों कि मालकिन होती है। यदि मणिबन्ध रेखा अच्छी हो परंतु जीवन रेखा अच्छी न हो तो भाग्य तो अच्छा रहेगा लेकिन स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहेगा।
(2) यदि स्त्रियों के हाथ में मणिबन्ध कि प्रथम रेखा हथेली की ओर बढ़ी हुई हो और उसी गोलाई लिए हुए हो तो प्रसव कठिनता से होता है। यदि मणिबन्ध की प्रथम रेखा श्रन्खलाकर हो तो चिंताकार जीवन रहता है किन्तु अंतिम परिणाम अच्छा प्राप्त होता है।(यहाँ क्लिक कर स्त्रियों के 8 अवगुणों के बारे में आप भी जान लो)
चन्द्र पर्वत :- चंद्र पर्वत, अंगूठे के सामने हथेली के आधार पर स्थित होता है। यह पर्वत एक मजबूत कल्पना शक्ति को दर्शाता है। यह लोगों में भावनात्मक या कलात्मक और सौंदर्य, रोमांस, रचनात्मकता, आदर्शवाद आदि को प्रदर्शित करता है। पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को कला प्रेमी बनाता है ऐसे लोग कलाकार, संगीतकार, लेखक बनते हैं।ऐसे व्यक्ति मजबूत कल्पना शक्ति के गुणी होते हैं। यह लोग अति रुमानी होते हैं लेकिन अपनी इच्छाओं के प्रति आदर्शवादी होते हैं। हथेली में मंगल पर्वत दो स्थानों पर स्थित है। पहला, यह जीवन रेखा के ऊपरी स्थान के नीचे स्थित है,और दूसरा उसके विपरीत हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच मे स्थित है। पहला स्थान व्यक्ति मे शारीरिक विशेषताओं को और दूसरा मानसिक विशेषताओं को दर्शाता है। यह व्यक्ति मे निर्भयता, साहस, उद्दंडता, क्रोध, उत्साह, बहादुरी और वीरता की हद को दर्शाता है। ऐसे लोग अपने उद्देश्यों के प्रति दृढ़ संकल्प रहते हैं। आमतौर पर यह नेक दिल और उदार होते हैं लेकिन यह अप्रत्याशित और आवेगी भी होते हैं। इनका सबसे बड़ा दोष इनमें आवेग और आत्म नियंत्रण की कमी है।
(यहाँ क्लिक कर जाने जीवन बर्बाद कर सकते हैं ऐसे काम bad habits ways to get rid)
मस्तिष्क रेखा लंबी होने के बावजूद यह सभी प्रकार की कठिनाइयों और ख़तरों का सामना करते हैं।लोग ऐसे व्यक्तियों कि आलोचना उनके क्रोध और विचारों में कट्टरवादी होने के कारण करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को आत्म -नियंत्रण का अभ्यास करना चाहिये और सभी प्रकार की मदिरा और उत्तेजक पदार्थो से दूर रहना चाहिए। राहु पर्वत :-यह हथेली के बीच में पाया जाता हे । केतु :-यह मणिबन्ध से ऊपर पाया जाता हे। 1:-अंगुठा 2:-तर्जनी3:-मध्यमा4:-अनामिका5:-कनिष्टिका 6:-शुक्र पर्वत 7:-गुरु पर्वत 8:-शनि पर्वत 9:-सूर्य पर्वत 10:-बुध पर्वत 12:-मंगल पर्वत 13:-राहु पर्वत 14:-केतु पर्वत 15:- चन्द्रमा पर्वत 16:-मणिबन्ध रेखा कल आपको रेखाओं के बारे में जानकारी दी जायेगी
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